नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सात राज्यों के पुलिस अधिकारियों को डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया के अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जो डॉक्यूमेंट्री सीरीज कल्ट ऑफ फियर: आसाराम बापू? की रिलीज के बाद कथित तौर पर धमकियों का सामना कर रहे हैं.
यह डॉक्यूमेंट्री डिस्कवरी के ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी+ पर रिलीज की गई थी. यह मामला भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली और जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को याचिकाकर्ता शशांक वालिया और अन्य डिस्कवरी इंडिया के कर्मचारियों और उनके कार्यालयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता सिद्धार्थ सिन्हा के माध्यम से याचिका दायर की और उनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी ने सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष किया. मुखर्जी ने तर्क दिया कि पुलिस कार्रवाई करने में विफल रही है और हाल ही में अपने मुंबई ऑफिस में हुई घटना के बाद डिस्कवरी ने अपने कर्मचारियों को काम पर न आने को कहा है.
'अलग-अलग होई कोर्ट में जाना संभव नहीं'
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के लिए अलग-अलग होई कोर्ट में जाना संभव नहीं है और उसने केंद्र और दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और तेलंगाना के अधिकारियों को नोटिस जारी किया. सु्प्रीम कोर्ट ने अदालत ने पुलिस अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि याचिकाकर्ताओं को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की कोई धमकी न मिले.
डिस्कवरी ने डॉक्यूमेंट्री सीरीज जारी
कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है, "डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया ने 29 जनवरी 2025 को अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी+ पर डॉक्यूमेंट्री सीरीज जारी की. यह सीरीज आसाराम बापू के जीवन पर प्रकाश डालती है, जो एक स्वघोषित आध्यात्मिक नेता हैं और वर्तमान में 2018 से बलात्कार और हत्या सहित अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. यह सार्वजनिक रिकॉर्ड, गवाहों के बयानों और न्यायिक रिकॉर्ड के आधार पर फैक्चुअल इनसाइट प्रस्तुत करता है."
ऑफिस में घुले लोग
याचिका में कहा गया है कि 30 जनवरी 2025 को 10 से 15 लोगों का एक ग्रुप डिस्कवरी के ऑफिस के बाहर इकट्ठा हुआ, अनधिकृत प्रवेश का प्रयास किया और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा की. हालांकि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया, लेकिन अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
याचिका में कहा गया है, "रिहाई के बाद, आसाराम बापू के स्वयंभू समर्थकों, फैंस, फॉलोवर्स और भक्तों ने याचिकाकर्ताओं और उनके सहयोगियों और इसी तरह की स्थिति वाले अन्य लोगों को हिंसा, घृणा अपराध और आपराधिक धमकी की धमकी दी है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19(एल)(ए) और (जी) और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है."
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं और उनके सहयोगियों को लगातार धमकियां मिल रही हैं, जिससे डिस्कवरी को कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए घर से काम करने की व्यवस्था अनिवार्य करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
याचिका में कहा गया है, "इससे घर में नजरबंद होने की स्थिति पैदा हो गई है, जिससे उनके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही डिस्कवरी और उसके कर्मचारियों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अभद्र टिप्पणियां और धमकियां दी गई हैं, जिससे स्थिति और खराब हो गई है."