प्रयागराज: महाकुंभ के भव्य स्वरूप को दिखाने के लिए डिजिटल और कई हाईटेक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन ऐसे में महाकुंभ के इस आयोजन को क्यों किया जाता है और इसके पीछे का मकसद क्या है. उसे दर्शाने के लिए एक रेत से आकृति बनाने वाले कलाकार ने महाकुंभ के सेक्टर नंबर 9 में एक अद्भुत कलाकृति बना दी.
इसमें महाकुंभ के आयोजन के होने के पीछे के मकसद को दर्शाते गया है. समुद्र मंथन का पूरा दृश्य और 14 रत्न के साथ भगवान भोलेनाथ के विषपान का अद्भुत दृश्य रेत पर आकृति के जरिए उकेरा गया है, जिसे देखकर हर कोई मंत्र मुग्ध है.
यह कलाकृति मूल रूप से बलिया के रहने वाले कलाकार रूपेश सिंह ने बनाई है और इसे सेल्फी प्वाइंट के रूप में लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से उन्होंने फाइन आर्ट्स की पढ़ाई की है.
रुपेश का कहना है कि मैं रेत पर एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बनाता हूं और यही वजह से मैं कुंभ के आयोजन में आया हूं, क्योंकि गंगा किनारे पड़ी रेत मेरी कलाकृतियों के लिए सबसे उत्तम और बेहतर जगह है, इस संदर्भ में मैं मेला प्रशासन से संपर्क किया और मेला प्रशासन ने मुझे कलाकृतियों के बनाने की अनुमति दी. जिसके बाद में अलग-अलग तरह की कलाकृतियों के जरिए महाकुंभ में एक संदेश देने की कोशिश कर रहा हूं.
रूपेश ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी मोबाइल और सेल्फी पर ज्यादा विश्वास करती है यही वजह है कि मैंने प्रयागराज के सेक्टर 9 में रेत पर आकृति उकेरने करने का काम किया है. इस रेत पर आकृति बनाने का मकसद लोगों को जागरूक करना और महाकुंभ के भव्य आयोजन के पीछे की पौराणिक कथा की जानकारी देना है.
उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन की पूरी कहानी और नागवासुकी के जरिए मंथन के बाद निकल 14 रतन को रेत पर उकेर कर भगवान भोलेनाथ के विषपान का अद्भुत दृश्य मैंने महाकुंभ में दर्शाने की कोशिश की है. यह पॉइंट प्रशासन सेल्फी प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और यहां आने वाले लोगों को महाकुंभ की पौराणिक कथा के साथ ही एक अलग एक्सपीरियंस भी मिल रहा है. रुपेश इससे पहले भी कई ज्वलंत मुद्दों पर रेत के जरिए आकृति बनाकर महत्वपूर्ण संदेश देते रहे हैं महाकुंभ में भी उनका यह प्रयास जारी है.
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