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खिचड़ी से बने हैं यहां के शिवलिंग, जहां विराजते हैं पांच देवी देवता

सावन के पावन माह में आइए आज हम आपको शिव के ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताते हैं उनके दर्शन कराते हैं, जहां भगवान खिचड़ी से प्रकट हुए थे. भोले के इस अनोखे स्वरूप के दर्शन के लिए देशभर से यहां श्रद्धालु आते हैं. ज्यादातर दक्षिण भारत के श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. जी हां, काशी के केदारेश्वर महादेव, जहां इनके दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल मिलता है.

यहां की है विशेष महिमा
यहां की है विशेष महिमा
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Published : Aug 19, 2021, 6:34 AM IST

Updated : Aug 19, 2021, 2:58 PM IST

वाराणसी: भगवान शिव के प्रिय नगरी में हजारों शिव मंदिर हैं और इन मंदिरों का अपना ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. काशी के हर मंदिर की अपनी महत्ता अपनी कहानी. आइए आज आपको यहां के एक ऐसे शिव मंदिर के दर्शन कराते हैं. ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां भगवान खिचड़ी से प्रकट हुए थे. भोले के इस अनोखे स्वरूप के दर्शन के लिए देशभर से यहां श्रद्धालु आते हैं. ज्यादातर दक्षिण भारत के श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. काशी के भक्त महादेव को हिमालय के केदारनाथ का प्रतिरूप मानते हैं. काशी के केदारेश्वर महादेव 15 कला में विराजते हैं इनके दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल मिलता है सोमवार और हर दिन और सावन में विशेषकर यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं बाबा का दर्शन प्राप्त करते हैं.

यहां के पुजारी आनंद प्रकाश दुबे ने बताया कि शिव की नगरी वाराणसी प्रमुख तीन खंडों में बांटा हैं. मधुमेह विशेश्वर जिन के प्रधान श्री काशी विश्वनाथ है.उत्तर भाग को ओमकारेश्वर और दक्षिण भाग को केदारेश्वर खंड कहते हैं जहां पर श्री गौरी केदारेश्वर का मंदिर है. खास बात यह है कि यह शिवलिंग खिचड़ी का बना हुआ है.

खिचड़ी से बने इस शिवलिंग में विराजते हैं पांच देवी देवता

हमने इसकी पौराणिक मान्यता को जाना चाहा तो उन्होंने बताया राजा मांधाता जिन्होंने शिवलिंग के लिए हिमालय पर तपस्या किया. हिमालय पर केदारेश्वर मंदिर पीठ की दर्शन की मान्यता है हिंदू धर्म में वहां पर उन्हें आदेश हुआ कि तुम काशी जाओ हम वहां पर आकर दर्शन देंगे. यहां पर आकर उन्होंने खिचड़ी रखा और उसको रोज पूजा करते थे और उसको दो भाग में बांट देते थे. एक ब्राह्मण को दान देने के लिए और एक अपने लिए. मकर संक्रांति के दिन जब उन्होंने खिचड़ी रखकर पूजा किया आप खोला तो देखा खिचड़ी पत्थर हो गई. राजा वहीं पर रोने लगे पहले से मौजूद भगवान ब्राह्मणों त्याग कर राजा को दर्शन दिया और बोला तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई. यह शिवलिंग शिव सत्तात्मक हरि हरात्मक है.

खिचड़ी से बनी शिवलिंग

आनंद प्रकाश दुबे वाराणसी में प्रमुख तीन खंडों में बांटा हैं. मधुमेह विशेश्वर जिन के प्रधान श्री काशी विश्वनाथ है उत्तर भाग को ओमकारेश्वर और दक्षिण भाग को केदारेश्वर खंड कहते हैं जहां पर श्री गौरी केदारेश्वर का मंदिर है. शिवलिंग खिचड़ी का बना हुआ है किसी के द्वारा स्थापित नहीं है. मान्यता है राजा मांधाता जिन्होंने शिवलिंग के लिए हिमालय पर तपस्या किया. हिमालय पर केदारेश्वर मंदिर पीठ की दर्शन की मान्यता है हिंदू धर्म में वहां पर उन्हें आदेश हुआ कि तुम काशी जाओ हम वहां पर आकर दर्शन देंगे. यहां पर आकर उन्होंने खिचड़ी रखा और उसको रोज पूजा करते थे और उसको दो भाग में बांट देते थे. एक ब्राह्मण को दान देने के लिए और एक अपने लिए. मकर संक्रांति के दिन जब उन्होंने खिचड़ी रखकर पूजा किया आप खोला तो देखा खिचड़ी पत्थर हो गई. राजा वहीं पर रोने लगे पहले से मौजूद भगवान ब्राह्मणों त्याग कर राजा को दर्शन दिया और बोला तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई. यह शिवलिंग शिव सत्तात्मक हरि हरात्मक है.आनंद प्रकाश दुबे ने बताया इस मंदिर के शिवलिंग बेहद ही खास हैं, क्योंकि यहां पर विष्णु, लक्ष्मी, शिव, पार्वती स्थापित हैं और अन्न से शिवलिंग के निर्माण होने के कारण मां अन्नपूर्णा भी यहां विराजती हैं. उन्होंने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ और ओमकारेश्वर महादेव में दर्शन करने से सभी प्रकार की मुक्ति तो मिलती है, लेकिन भैरवी यात्रा का दुख सहना पड़ता है. जो काशी के केदारखंड में प्राण को त्यागेगा उसको भैरव दंड से

यहां की है विशेष महिमा
यहां की है विशेष महिमा

मुक्ति मिलेगी. इसे भी पढ़ें-सिद्धेश्वर महादेव मंदिर : चरवाहे की खुरपी लगने पर इस शिवलिंग से निकनले लगा था खून, भगवान कृष्ण ने भी यहां थी पूजा



आनंद प्रकाश दुबे ने बताया हमारे धर्म में मान्यता है कि बाबा भोले नाथ ने श्रृष्ट्रि को बचाने के लिए इसी समय विष पिया था. विष पीने के कारण महादेव का शरीर गर्म हो गया था. इसीलिए उन्हें जल चढ़ाने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उस समय देवताओं ने भी महादेव को जल चढ़ाया उसके बाद से युगांतर तक कावड़ यात्रा का प्रारंभ हो गया.

इसे भी पढ़ें-हरियाली तीज पर इन मंत्रों से करें माता पार्वती का पूजन, जानें सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है ये व्रत



यहां शिव दर्शन के लिए आए चंद्रभान ने बताया कि इस शिवलिंग में अन्नपूर्णा सहित पांच देवी देवता विराजमान है और मंदिर के सामने से दर्शन करने पर नंदी और मां भागीरथी गंगा के भी दर्शन होते हैं. यकीनन इस अनोखे मंदिर का अद्भुत ही मान्यता है, जहां गर्भ गृह में खड़े होकर मां गंगा का दर्शन होते हैं. और हां एक खास बात यह कि यहां पर दर्शन करने से व्यक्ति को पुनर्जन्म भी नहीं होता है.

वाराणसी: भगवान शिव के प्रिय नगरी में हजारों शिव मंदिर हैं और इन मंदिरों का अपना ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. काशी के हर मंदिर की अपनी महत्ता अपनी कहानी. आइए आज आपको यहां के एक ऐसे शिव मंदिर के दर्शन कराते हैं. ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां भगवान खिचड़ी से प्रकट हुए थे. भोले के इस अनोखे स्वरूप के दर्शन के लिए देशभर से यहां श्रद्धालु आते हैं. ज्यादातर दक्षिण भारत के श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. काशी के भक्त महादेव को हिमालय के केदारनाथ का प्रतिरूप मानते हैं. काशी के केदारेश्वर महादेव 15 कला में विराजते हैं इनके दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल मिलता है सोमवार और हर दिन और सावन में विशेषकर यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं बाबा का दर्शन प्राप्त करते हैं.

यहां के पुजारी आनंद प्रकाश दुबे ने बताया कि शिव की नगरी वाराणसी प्रमुख तीन खंडों में बांटा हैं. मधुमेह विशेश्वर जिन के प्रधान श्री काशी विश्वनाथ है.उत्तर भाग को ओमकारेश्वर और दक्षिण भाग को केदारेश्वर खंड कहते हैं जहां पर श्री गौरी केदारेश्वर का मंदिर है. खास बात यह है कि यह शिवलिंग खिचड़ी का बना हुआ है.

खिचड़ी से बने इस शिवलिंग में विराजते हैं पांच देवी देवता

हमने इसकी पौराणिक मान्यता को जाना चाहा तो उन्होंने बताया राजा मांधाता जिन्होंने शिवलिंग के लिए हिमालय पर तपस्या किया. हिमालय पर केदारेश्वर मंदिर पीठ की दर्शन की मान्यता है हिंदू धर्म में वहां पर उन्हें आदेश हुआ कि तुम काशी जाओ हम वहां पर आकर दर्शन देंगे. यहां पर आकर उन्होंने खिचड़ी रखा और उसको रोज पूजा करते थे और उसको दो भाग में बांट देते थे. एक ब्राह्मण को दान देने के लिए और एक अपने लिए. मकर संक्रांति के दिन जब उन्होंने खिचड़ी रखकर पूजा किया आप खोला तो देखा खिचड़ी पत्थर हो गई. राजा वहीं पर रोने लगे पहले से मौजूद भगवान ब्राह्मणों त्याग कर राजा को दर्शन दिया और बोला तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई. यह शिवलिंग शिव सत्तात्मक हरि हरात्मक है.

खिचड़ी से बनी शिवलिंग

आनंद प्रकाश दुबे वाराणसी में प्रमुख तीन खंडों में बांटा हैं. मधुमेह विशेश्वर जिन के प्रधान श्री काशी विश्वनाथ है उत्तर भाग को ओमकारेश्वर और दक्षिण भाग को केदारेश्वर खंड कहते हैं जहां पर श्री गौरी केदारेश्वर का मंदिर है. शिवलिंग खिचड़ी का बना हुआ है किसी के द्वारा स्थापित नहीं है. मान्यता है राजा मांधाता जिन्होंने शिवलिंग के लिए हिमालय पर तपस्या किया. हिमालय पर केदारेश्वर मंदिर पीठ की दर्शन की मान्यता है हिंदू धर्म में वहां पर उन्हें आदेश हुआ कि तुम काशी जाओ हम वहां पर आकर दर्शन देंगे. यहां पर आकर उन्होंने खिचड़ी रखा और उसको रोज पूजा करते थे और उसको दो भाग में बांट देते थे. एक ब्राह्मण को दान देने के लिए और एक अपने लिए. मकर संक्रांति के दिन जब उन्होंने खिचड़ी रखकर पूजा किया आप खोला तो देखा खिचड़ी पत्थर हो गई. राजा वहीं पर रोने लगे पहले से मौजूद भगवान ब्राह्मणों त्याग कर राजा को दर्शन दिया और बोला तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई. यह शिवलिंग शिव सत्तात्मक हरि हरात्मक है.आनंद प्रकाश दुबे ने बताया इस मंदिर के शिवलिंग बेहद ही खास हैं, क्योंकि यहां पर विष्णु, लक्ष्मी, शिव, पार्वती स्थापित हैं और अन्न से शिवलिंग के निर्माण होने के कारण मां अन्नपूर्णा भी यहां विराजती हैं. उन्होंने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ और ओमकारेश्वर महादेव में दर्शन करने से सभी प्रकार की मुक्ति तो मिलती है, लेकिन भैरवी यात्रा का दुख सहना पड़ता है. जो काशी के केदारखंड में प्राण को त्यागेगा उसको भैरव दंड से

यहां की है विशेष महिमा
यहां की है विशेष महिमा

मुक्ति मिलेगी. इसे भी पढ़ें-सिद्धेश्वर महादेव मंदिर : चरवाहे की खुरपी लगने पर इस शिवलिंग से निकनले लगा था खून, भगवान कृष्ण ने भी यहां थी पूजा



आनंद प्रकाश दुबे ने बताया हमारे धर्म में मान्यता है कि बाबा भोले नाथ ने श्रृष्ट्रि को बचाने के लिए इसी समय विष पिया था. विष पीने के कारण महादेव का शरीर गर्म हो गया था. इसीलिए उन्हें जल चढ़ाने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उस समय देवताओं ने भी महादेव को जल चढ़ाया उसके बाद से युगांतर तक कावड़ यात्रा का प्रारंभ हो गया.

इसे भी पढ़ें-हरियाली तीज पर इन मंत्रों से करें माता पार्वती का पूजन, जानें सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है ये व्रत



यहां शिव दर्शन के लिए आए चंद्रभान ने बताया कि इस शिवलिंग में अन्नपूर्णा सहित पांच देवी देवता विराजमान है और मंदिर के सामने से दर्शन करने पर नंदी और मां भागीरथी गंगा के भी दर्शन होते हैं. यकीनन इस अनोखे मंदिर का अद्भुत ही मान्यता है, जहां गर्भ गृह में खड़े होकर मां गंगा का दर्शन होते हैं. और हां एक खास बात यह कि यहां पर दर्शन करने से व्यक्ति को पुनर्जन्म भी नहीं होता है.

Last Updated : Aug 19, 2021, 2:58 PM IST
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