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महाकुंभ 2025; मिलिए इस साढ़े तीन साल के बाल संत से, 3 माह की उम्र में मां-पिता ने दे दिया दान - MAHA KUMBH MELA 2025

मेला क्षेत्र में फैल रही बाल संत की ख्याति, दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

महाकुंभ में बाल संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है.
महाकुंभ में बाल संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 11 hours ago

प्रयागराज : महाकुंभ मेले में देश भर से तमाम अखाड़ों के साधु-संन्यासी पहुंचे हुए हैं. इसमें एक संत ऐसा है, जिसकी उम्र तीन साल से कुछ ही ज्यादा है. जूना अखाड़े के शिविर में इस बाल संत को हर कोई देखना चाहता है. बाल संत की रुचि धार्मिक अनुष्ठानों में खूब है. उनकी दिनचर्या भी संतों के अनुरूप ही है. अखाड़े में बाल संत को श्रवण पुरी नाम दिया गया है. मेला शुरू होने से पहले ही इस बाल संत की ख्याति फैलने लगी है. मेले में आने वाले श्रद्धालु बाल संत के दर्शन करने के लिए अभी से पहुंच रहे हैं.

महाकुंभ में बाल संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है. (Video Credit; ETV Bharat)

तीन माह की उम्र में माता-पिता ने सौंपा था: करीब साढ़े तीन साल के संत श्रवण पुरी के गुरु अष्टकौशल महंत संत पुरी महाराज बताते हैं कि 3 माह की उम्र में बाल संत के माता-पिता ने उन्हें समर्पित कर दिया था. जिसके बाद बाद आश्रम के संत ही उनका पालन पोषण करते हैं. कहते हैं, छोटी सी उम्र के इस संत के अंदर साधुओं के जैसे चमत्कारी लक्षण अभी से दिखने लगे हैं. श्रवण पुरी की दिनचर्या और व्यवहार देखकर ऐसा लगता है कि वो पिछले जीवन में भी कोई संत या महापुरुष ही थे.

कुंभ क्षेत्र में बन रही अलग पहचान: संगम की रेती पर बसने वाले महाकुंभ मेले में देश-दुनिया से साधु-संत, संन्यासी आए हुए हैं. इन्हीं संतों के बीच जूना अखाड़े के शिविर में महज साढ़े तीन साल की उम्र के बाल संत कौतूहल का विषय बन गए हैं. जिसे भी इस बाल संन्यासी की जानकारी मिलती है वो दर्शन करने के लिए जूना अखाड़े के इस शिविर में पहुंच रहा है. जूना अखाड़े में एक तरफ जहां हठ योगी और कई दूसरे साधु-संतों ने धूनी रमाई है, वहीं बाल संत श्रवण पुरी की अलग ही पहचान बनती जा रही है. नन्हें संन्यासी श्रवण पुरी का दर्शन करने वालों का कहना है कि बच्चों के अंदर तो खुद भगवान का वास होता है और अबोध बालक जब साधु के रूप में उन्हें दर्शन दे रहे हैं तो उनका इससे कल्याण हो जाएगा.

मन्नत पूरी होने पर बच्चे को दिया दान : हरियाणा के फतेहाबाद में धारसूल इलाके में बने डेरा बाबा श्यामपुरी जी महाराज के आश्रम में 2021 में इस बच्चे को उनके माता-पिता दान में दे गए थे. अष्ट कौशल महंत संत पुरी महाराज ने बताया कि आश्रम में आने वाले दंपत्ति ने मन्नत मांगी थी और पहली संतान को दान देने कसम खायी थी. जब उनकी मन्नत पूरी हो गई तो उन्होंने आश्रम में आकर बच्चे को दान करके सौंप दिया था.

बालरूपी संत की गुरुभाई कर रहे हैं देखभाल : तीन माह के दुधमुंहे बच्चे के आश्रम में आने के बाद से संत उनकी देखभाल करते हैं. महंत कुंदन पुरी को अष्टकौशल महंत ने बालक की देखभाल और पालन पोषण की जिम्मेदारी सौंप दी है. महंत कुंदन पुरी ने बताया कि तीन साल से वे बच्चे की देखभाल कर रहे हैं औऱ आश्रम में आने के बाद गुरु ने उनका नाम श्रवण पुरी रख दिया था. वो उसे अपना गुरुभाई मानकर ही उसकी सेवा करते हुए पालन पोषण कर रहे हैं.

शिक्षा की भी हो चुकी है शुरुआत : अष्टकौशल महंत संत पुरी महाराज बताते हैं कि श्रवण पुरी का निजी स्कूल में दाखिला करवा दिया गया है. उनका स्कूल जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसके साथ ही उन्हें आश्रम में धर्म की शिक्षा देने का काम भी शुरू कर दिया गया है. जिसके तहत वो बालक रूपी संत को पूजा पाठ करने और जप-तप करने के दौरान साथ में रखते हैं, जिससे बालक की रुचि उन कार्यों में लगने लगे. इसी का नतीजा है कि लगातार संतों की संगत में रहने की वजह से अब साढ़े तीन साल के श्रवण पुरी के अंदर संन्यासियों के लक्षण दिखने लगे हैं. इतना ही नहीं, श्रवण पुरी धार्मिक पुष्तकों के पन्ने पलटकर फ़ोटो भी देखते हैं. महंत संत पुरी महाराज का कहना है कि कई बार बच्चे के अंदर विलक्षण प्रतिभा दिखती है, जिसको देखकर वो भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं.

चॉकलेट की जगह फल खाना पसंद: महंत बताते हैं कि इस छोटी सी उम्र में जब बच्चे टॉफी-बिस्कुट, चॉकलेट के लिए जिद करते हैं तो श्रवण पुरी उसकी जगह फल लेना पसंद करते हैं. पूजा-पाठ के सामानों के साथ भगवान के मंदिर में शांति से रहना पसंद करते हैं. गुरु ने बताया कि उनके साढ़े तीन साल के शिष्य के अंदर बच्चों वाला सिर्फ एक लक्षण है, वो है खिलौने से खेलना. इतना ही नहीं, उन्हें अपने और अखाड़े के नाम के अलावा गुरुओं और गुरु भाइयों की पहचान है और उन्हीं के साथ रहना भी पसंद करते हैं.

यह भी पढ़ें : इस बार महाकुंभ में स्नान के लिए श्रद्धालुओं को नहीं चलना पड़ेगा 25-25 किमी, जानिए क्या है मेला प्रशासन का नया ट्रैफिक प्लान - MAHA KUMBH MELA 2025

प्रयागराज : महाकुंभ मेले में देश भर से तमाम अखाड़ों के साधु-संन्यासी पहुंचे हुए हैं. इसमें एक संत ऐसा है, जिसकी उम्र तीन साल से कुछ ही ज्यादा है. जूना अखाड़े के शिविर में इस बाल संत को हर कोई देखना चाहता है. बाल संत की रुचि धार्मिक अनुष्ठानों में खूब है. उनकी दिनचर्या भी संतों के अनुरूप ही है. अखाड़े में बाल संत को श्रवण पुरी नाम दिया गया है. मेला शुरू होने से पहले ही इस बाल संत की ख्याति फैलने लगी है. मेले में आने वाले श्रद्धालु बाल संत के दर्शन करने के लिए अभी से पहुंच रहे हैं.

महाकुंभ में बाल संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है. (Video Credit; ETV Bharat)

तीन माह की उम्र में माता-पिता ने सौंपा था: करीब साढ़े तीन साल के संत श्रवण पुरी के गुरु अष्टकौशल महंत संत पुरी महाराज बताते हैं कि 3 माह की उम्र में बाल संत के माता-पिता ने उन्हें समर्पित कर दिया था. जिसके बाद बाद आश्रम के संत ही उनका पालन पोषण करते हैं. कहते हैं, छोटी सी उम्र के इस संत के अंदर साधुओं के जैसे चमत्कारी लक्षण अभी से दिखने लगे हैं. श्रवण पुरी की दिनचर्या और व्यवहार देखकर ऐसा लगता है कि वो पिछले जीवन में भी कोई संत या महापुरुष ही थे.

कुंभ क्षेत्र में बन रही अलग पहचान: संगम की रेती पर बसने वाले महाकुंभ मेले में देश-दुनिया से साधु-संत, संन्यासी आए हुए हैं. इन्हीं संतों के बीच जूना अखाड़े के शिविर में महज साढ़े तीन साल की उम्र के बाल संत कौतूहल का विषय बन गए हैं. जिसे भी इस बाल संन्यासी की जानकारी मिलती है वो दर्शन करने के लिए जूना अखाड़े के इस शिविर में पहुंच रहा है. जूना अखाड़े में एक तरफ जहां हठ योगी और कई दूसरे साधु-संतों ने धूनी रमाई है, वहीं बाल संत श्रवण पुरी की अलग ही पहचान बनती जा रही है. नन्हें संन्यासी श्रवण पुरी का दर्शन करने वालों का कहना है कि बच्चों के अंदर तो खुद भगवान का वास होता है और अबोध बालक जब साधु के रूप में उन्हें दर्शन दे रहे हैं तो उनका इससे कल्याण हो जाएगा.

मन्नत पूरी होने पर बच्चे को दिया दान : हरियाणा के फतेहाबाद में धारसूल इलाके में बने डेरा बाबा श्यामपुरी जी महाराज के आश्रम में 2021 में इस बच्चे को उनके माता-पिता दान में दे गए थे. अष्ट कौशल महंत संत पुरी महाराज ने बताया कि आश्रम में आने वाले दंपत्ति ने मन्नत मांगी थी और पहली संतान को दान देने कसम खायी थी. जब उनकी मन्नत पूरी हो गई तो उन्होंने आश्रम में आकर बच्चे को दान करके सौंप दिया था.

बालरूपी संत की गुरुभाई कर रहे हैं देखभाल : तीन माह के दुधमुंहे बच्चे के आश्रम में आने के बाद से संत उनकी देखभाल करते हैं. महंत कुंदन पुरी को अष्टकौशल महंत ने बालक की देखभाल और पालन पोषण की जिम्मेदारी सौंप दी है. महंत कुंदन पुरी ने बताया कि तीन साल से वे बच्चे की देखभाल कर रहे हैं औऱ आश्रम में आने के बाद गुरु ने उनका नाम श्रवण पुरी रख दिया था. वो उसे अपना गुरुभाई मानकर ही उसकी सेवा करते हुए पालन पोषण कर रहे हैं.

शिक्षा की भी हो चुकी है शुरुआत : अष्टकौशल महंत संत पुरी महाराज बताते हैं कि श्रवण पुरी का निजी स्कूल में दाखिला करवा दिया गया है. उनका स्कूल जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसके साथ ही उन्हें आश्रम में धर्म की शिक्षा देने का काम भी शुरू कर दिया गया है. जिसके तहत वो बालक रूपी संत को पूजा पाठ करने और जप-तप करने के दौरान साथ में रखते हैं, जिससे बालक की रुचि उन कार्यों में लगने लगे. इसी का नतीजा है कि लगातार संतों की संगत में रहने की वजह से अब साढ़े तीन साल के श्रवण पुरी के अंदर संन्यासियों के लक्षण दिखने लगे हैं. इतना ही नहीं, श्रवण पुरी धार्मिक पुष्तकों के पन्ने पलटकर फ़ोटो भी देखते हैं. महंत संत पुरी महाराज का कहना है कि कई बार बच्चे के अंदर विलक्षण प्रतिभा दिखती है, जिसको देखकर वो भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं.

चॉकलेट की जगह फल खाना पसंद: महंत बताते हैं कि इस छोटी सी उम्र में जब बच्चे टॉफी-बिस्कुट, चॉकलेट के लिए जिद करते हैं तो श्रवण पुरी उसकी जगह फल लेना पसंद करते हैं. पूजा-पाठ के सामानों के साथ भगवान के मंदिर में शांति से रहना पसंद करते हैं. गुरु ने बताया कि उनके साढ़े तीन साल के शिष्य के अंदर बच्चों वाला सिर्फ एक लक्षण है, वो है खिलौने से खेलना. इतना ही नहीं, उन्हें अपने और अखाड़े के नाम के अलावा गुरुओं और गुरु भाइयों की पहचान है और उन्हीं के साथ रहना भी पसंद करते हैं.

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