शाहजहांपुर : आजादी के आंदोलन की सबसे ऐतिहासिक घटना काकोरी कांड के नायक रहे अशफाक उल्ला खां, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को अलग-अलग जेलों में फांसी दे दी गई. उनकी इस कुर्बानी की कद्र आज पूरा विश्व करता है. लेकिन इन क्रांतिकारियों की धरोहर, उनकी यादों को सरकार सहेज नहीं पा रही है. इन क्रांतिकारियों ने बचपन में जिस स्कूल में शिक्षा ली थी, आज वह स्कूल जर्जर हालत में है. कई सरकारें आई और चलीं गईं लेकिन अभी तक किसी ने भी इस ऐतिहासिक धरोहर की सुध नहीं ली.
शहर के एबी. रिच स्कूल की स्थापना 1916 में अंग्रेजी शासनकाल में हुई थी. इस स्कूल में आजादी के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां ने पढ़ाई की थी. अशफाक उल्ला खान कक्षा 8 के छात्र थे तो वहीं राम प्रसाद बिस्मिल कक्षा 7 में पढ़ते थे. स्कूल में पढ़ते-पढ़ते पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के बीच गहरी दोस्ती हो गई.
दोनों की दोस्ती हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल थी क्योंकि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल पक्के आर्य समाजी थे तो अशफाक उल्ला कट्टर मुसलमान. दोनों ही स्कूल के बाद अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की कई योजनाएं बनाया करते थे.
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इस बात की भनक अंग्रेजों को लग गई. इसके बाद अंग्रेजों की पुलिस स्कूल पहुंची और दोनों बालकों के बारे में जानकारी लेने लगी. उसी स्कूल के अंग्रेज प्रिंसिपल ने दोनों बालकों की मदद की और पुलिस को अपनी बातों में उलझाए रखा. इसी बात का फायदा उठाकर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां छत से पानी के पाइप से उतर कर नाले के रास्ते स्कूल से भाग निकले. इस ऐतिहासिक स्कूल के हालात इन दिनों बेहद खराब हैं.
सन 1916 में बने इस स्कूल को 100 साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन इसकी मरम्मत नहीं कराई गई. इसके चलते यह स्कूल अब जर्जर अवस्था में है. मौजूदा समय में स्कूल के प्रिंसिपल मिहिर फिलिप्स का कहना है कि उन्होंने इस स्कूल को ऐतिहासिक धरोहर बनाए जाने की अपील की है.
उनका कहना है कि सरकारें कोई ऐसी योजना बनाएं जिससे इसे ऐतिहासिक धरोहर बनाया जाए, इसके एतिहासिक महत्व को समझते हुए संजोकर रखा जा सके ताकि आने वाली पीढ़ियां क्रांतिकारियों से जुड़ी चीजों के बारे में जान सके, उनके महत्व को पहचान सके.