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मेहदावल सीट: मोदी लहर में बीजेपी ने मारी थी बाजी, क्या फिर हो पाएगी वापसी?

संत कबीर नगर (Sant Kabir Nagar) जिले का मेहदावल विधानसभा सीट (Menhdawal Assembly) , सपा की पारंपरिक सीट रही है. 2017 यूपी चुनाव में मोदी लहर और राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी उम्मीदवार राकेश सिंह बघेल (Rakesh singh baghel) ने चुनाव तो जीत लिया. लेकिन क्या इस बार बीजेपी की वापसी फिर से हो पाएगी?

मेहदावल सीट
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Published : Sep 15, 2021, 1:36 PM IST

संत कबीर नगर : ( UP assembly elections 2022) यूपी के संत कबीर नगर (Sant Kabir Nagar) जिले का 312 विधानसभा मेहदावल (Menhdawal Assembly) अपने आप में एक अलग पहचान रखता है. क्योंकि इसी विधानसभा से यूपी की पहली मुख्यमंत्री सुचिता कृपलानी हुई थी. विधानसभा में अगर समस्याओं की बात करें तो यहां पर समस्याओं का अंबार है. सड़के टूटी हुई है. पीतल नगरी दम तोड़ रही है. वहीं बखीरा झील भी अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.

मेहदावल विधानसभा सीट समाजवादी की पारंपरिक सीट रही है. 2017 यूपी चुनाव में राम मंदिर और मोदी लहर के चलते मेहदावल से राकेश सिंह बघेल विधायक बने थे. पूर्व में समाजवादी पार्टी से पप्पू निषाद विधायक हुए थे. यहां की जनता ने विधायकों को बार-बार दो बदला लेकिन विकास की जो सूरत है अभी भी उसी तरीके से बनी हुई है.

मेहदावल सीट पर इस बार कौन मारेगा बाजी

312 मेहदावल विधानसभा तीन बार समाजवादी पार्टी के पक्ष में रही. मेहदावल विधानसभा पर विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाता रहा है, लेकिन यहां की जो हालत है वह पूरी तरह बदहाल है. ऐतिहासिक बखीरा झील जहां अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है वही यहां की सड़कें खस्ताहाल हैं. हालांकि 2017 में मोदी लहर के चलते इस विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राकेश सिंह बघेल को बड़ी जीत मिली थी. राकेश सिंह बघेल ने बसपा प्रत्याशी अनिल त्रिपाठी को हराकर विधायक बने थे.

मेहदावल विधानसभा के करमैनी घाट से राप्ती नदी का बहाव है जो बरसात के दिनों में तराई इलाकों में खेतिहर भूमि को प्रभावित करता है. नीचे के इलाकों में रहने वाले दर्जनों गांव के लोग बाढ़ प्रभावित करता है. राजनीतिक मुद्दे में शामिल होने के बावजूद बखीरा झील लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है. सरकार की तमाम योजनाएं आई, लेकिन बखिरा झील आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता जोश से लबरेज नजर आ रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी और बीएसपी भी इस लड़ाई को अपने पाले में गिराने के लिए आतुर है. मेहदावल विधानसभा निषाद बहुल क्षेत्र माना जाता है. निषाद जाति समीकरण से किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को यहां पर जीत दिलाने का काम करते हैं.

25 किलोमीटर की परिधि में बसा मेहदावल विधानसभा ज्यादातर हिस्से खेतिहर भूमि वाला है. यहां केले, सब्जी और खेती से जुड़े अन्य व्यवसाय को रोजगार मानकर स्थानीय निवासी अपना जीवन यापन करते हैं. मेहदावल विधानसभा में आने वाले पक्षी विहार विश्व विख्यात है. जहां जाड़े के सीजन में साइबेरियन पक्षियों का एक बड़ा खेमा यहां उतरता है, जिसे देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं. मेहदावल विधानसभा का बखीरा कस्बा पीतल उद्योग के लिए जाना जाता है. यहां पर पीतल के बर्तन बनाकर पूरे देश में यहां से सप्लाई होती है, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते पीतल नगरी भी अब बदहाल है.

मेहदावल विधानसभा क्षेत्र में मतदाजाओं की संख्या
मेहदावल विधानसभा क्षेत्र में मतदाजाओं की संख्या

राजनीति

मेहदावल विधानसभा की सबसे बड़ी समस्या खलीलाबाद से लेकर मेहदावल मार्ग है जो लगभग 25 किलोमीटर का है. यह पिछले कई दशकों से बदहाल है. लोगों ने 2017 विधानसभा चुनाव में कमल खिलाया था. उन्हें उम्मीद थी कि हालत कुछ ठीक होंगे, लेकिन आज भी खलीलाबाद मेहदावल मार्ग बदहाली झेल रहा है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का परचम लहराया है, लेकिन समाजवादी पार्टी में चुनाव से पहले हुए 2 साल ने साफ कर दिया है कि पार्टी को सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा. 2017 विधानसभा चुनाव में मेहदावल विधानसभा सीट पर कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच रहा. मेहदावल विधानसभा सीट पर कुल 449761 मतदाता थे. 40.5 वोटरों ने मतदान किया था. भाजपा के कैंडिडेट राकेश सिंह बघेल को सर्वाधिक 86976 मत मिले थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी के अनिल कुमार त्रिपाठी 44062 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे.

जूता कांड से चर्चे में आये थे राकेश बघेल

भारतीय जनता पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल अक्सर चर्चा में रहे मेहदावल विधानसभा से जीतने के बाद कलेक्ट्रेट सभागार में जूता कांड के बाद एक बार फिर चर्चा में आ गए लेकिन उसके बाद जब संत कबीर नगर न्यायालय के न्यायाधीश ने एक मामले में इनके खिलाफ 419, 420 का मामला दर्ज कराया तो एक बार फिर राकेश सिंह बघेल सुर्खियों में आ गए थे.


विधायक का रिपोर्ट कार्ड

अगर मेहदावल विधायक राकेश सिंह बघेल के रिपोर्ट कार्ड की बात करें तो उन्होंने बस स्टैंड, राजकीय इंटर कॉलेज और अन्य योजनाओं तो ले आयी लेकिन अगर विकास के मुद्दों पर बात करें तो मेहदावल की सड़कें खस्ताहाल सड़कें हैं यहां के लोग जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं बखीरा की पीतल नगरी आज भी बदहाली के कगार पर है बखीरा झील जिसको ऐतिहासिक दर्जा प्राप्त है वह भी अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार अपना विधायक बदला लेकिन विकास की जो योजनाएं थी मेहदावल तक आते-आते दम तोड़ दी.

संत कबीर नगर : ( UP assembly elections 2022) यूपी के संत कबीर नगर (Sant Kabir Nagar) जिले का 312 विधानसभा मेहदावल (Menhdawal Assembly) अपने आप में एक अलग पहचान रखता है. क्योंकि इसी विधानसभा से यूपी की पहली मुख्यमंत्री सुचिता कृपलानी हुई थी. विधानसभा में अगर समस्याओं की बात करें तो यहां पर समस्याओं का अंबार है. सड़के टूटी हुई है. पीतल नगरी दम तोड़ रही है. वहीं बखीरा झील भी अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.

मेहदावल विधानसभा सीट समाजवादी की पारंपरिक सीट रही है. 2017 यूपी चुनाव में राम मंदिर और मोदी लहर के चलते मेहदावल से राकेश सिंह बघेल विधायक बने थे. पूर्व में समाजवादी पार्टी से पप्पू निषाद विधायक हुए थे. यहां की जनता ने विधायकों को बार-बार दो बदला लेकिन विकास की जो सूरत है अभी भी उसी तरीके से बनी हुई है.

मेहदावल सीट पर इस बार कौन मारेगा बाजी

312 मेहदावल विधानसभा तीन बार समाजवादी पार्टी के पक्ष में रही. मेहदावल विधानसभा पर विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाता रहा है, लेकिन यहां की जो हालत है वह पूरी तरह बदहाल है. ऐतिहासिक बखीरा झील जहां अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है वही यहां की सड़कें खस्ताहाल हैं. हालांकि 2017 में मोदी लहर के चलते इस विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राकेश सिंह बघेल को बड़ी जीत मिली थी. राकेश सिंह बघेल ने बसपा प्रत्याशी अनिल त्रिपाठी को हराकर विधायक बने थे.

मेहदावल विधानसभा के करमैनी घाट से राप्ती नदी का बहाव है जो बरसात के दिनों में तराई इलाकों में खेतिहर भूमि को प्रभावित करता है. नीचे के इलाकों में रहने वाले दर्जनों गांव के लोग बाढ़ प्रभावित करता है. राजनीतिक मुद्दे में शामिल होने के बावजूद बखीरा झील लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है. सरकार की तमाम योजनाएं आई, लेकिन बखिरा झील आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता जोश से लबरेज नजर आ रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी और बीएसपी भी इस लड़ाई को अपने पाले में गिराने के लिए आतुर है. मेहदावल विधानसभा निषाद बहुल क्षेत्र माना जाता है. निषाद जाति समीकरण से किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को यहां पर जीत दिलाने का काम करते हैं.

25 किलोमीटर की परिधि में बसा मेहदावल विधानसभा ज्यादातर हिस्से खेतिहर भूमि वाला है. यहां केले, सब्जी और खेती से जुड़े अन्य व्यवसाय को रोजगार मानकर स्थानीय निवासी अपना जीवन यापन करते हैं. मेहदावल विधानसभा में आने वाले पक्षी विहार विश्व विख्यात है. जहां जाड़े के सीजन में साइबेरियन पक्षियों का एक बड़ा खेमा यहां उतरता है, जिसे देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं. मेहदावल विधानसभा का बखीरा कस्बा पीतल उद्योग के लिए जाना जाता है. यहां पर पीतल के बर्तन बनाकर पूरे देश में यहां से सप्लाई होती है, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते पीतल नगरी भी अब बदहाल है.

मेहदावल विधानसभा क्षेत्र में मतदाजाओं की संख्या
मेहदावल विधानसभा क्षेत्र में मतदाजाओं की संख्या

राजनीति

मेहदावल विधानसभा की सबसे बड़ी समस्या खलीलाबाद से लेकर मेहदावल मार्ग है जो लगभग 25 किलोमीटर का है. यह पिछले कई दशकों से बदहाल है. लोगों ने 2017 विधानसभा चुनाव में कमल खिलाया था. उन्हें उम्मीद थी कि हालत कुछ ठीक होंगे, लेकिन आज भी खलीलाबाद मेहदावल मार्ग बदहाली झेल रहा है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का परचम लहराया है, लेकिन समाजवादी पार्टी में चुनाव से पहले हुए 2 साल ने साफ कर दिया है कि पार्टी को सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा. 2017 विधानसभा चुनाव में मेहदावल विधानसभा सीट पर कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच रहा. मेहदावल विधानसभा सीट पर कुल 449761 मतदाता थे. 40.5 वोटरों ने मतदान किया था. भाजपा के कैंडिडेट राकेश सिंह बघेल को सर्वाधिक 86976 मत मिले थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी के अनिल कुमार त्रिपाठी 44062 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे.

जूता कांड से चर्चे में आये थे राकेश बघेल

भारतीय जनता पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल अक्सर चर्चा में रहे मेहदावल विधानसभा से जीतने के बाद कलेक्ट्रेट सभागार में जूता कांड के बाद एक बार फिर चर्चा में आ गए लेकिन उसके बाद जब संत कबीर नगर न्यायालय के न्यायाधीश ने एक मामले में इनके खिलाफ 419, 420 का मामला दर्ज कराया तो एक बार फिर राकेश सिंह बघेल सुर्खियों में आ गए थे.


विधायक का रिपोर्ट कार्ड

अगर मेहदावल विधायक राकेश सिंह बघेल के रिपोर्ट कार्ड की बात करें तो उन्होंने बस स्टैंड, राजकीय इंटर कॉलेज और अन्य योजनाओं तो ले आयी लेकिन अगर विकास के मुद्दों पर बात करें तो मेहदावल की सड़कें खस्ताहाल सड़कें हैं यहां के लोग जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं बखीरा की पीतल नगरी आज भी बदहाली के कगार पर है बखीरा झील जिसको ऐतिहासिक दर्जा प्राप्त है वह भी अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार अपना विधायक बदला लेकिन विकास की जो योजनाएं थी मेहदावल तक आते-आते दम तोड़ दी.

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