पीलीभीत: एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. कुछ दिनों पहले ही ईटीवी भारत ने पीलीभीत विकास भवन में करोड़ों रुपए की अनियमितताओं को लेकर खबर चलाई थी. जिसके बाद लखनऊ में पंचायती राज डायरेक्टर किंजल सिंह ने पीलीभीत विकास भवन में करोड़ों रुपए की अनियमितता में सम्मिलित जिला विकास अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी को 7 दिन के अंदर लिखित स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है. जिससे पूरे विकास भवन में हड़कंप मचा हुआ है.
दरअसल, पीलीभीत विकास भवन में जहां पूरे जनपद के विकास को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाती है. वहीं पर कोरोना काल की आड़ में अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपये की अनियमितताओं का मामला सामने आया है. जहां पर शासन स्तर से जनपद पीलीभीत के घुंघचिआई, मानपुर बीसलपुर, संतोषपुर, बिलगंवा इन चार जगह पर अंत्येष्टि स्थल बनाने के लिए 97 लाख 19 हजार 640 रुपए 7 अगस्त 2019 में भेज गए थे, लेकिन विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने शासन की मंशा पर पलीता लगाते हुए किसी भी अंत्येष्टि स्थल का निर्माण नहीं कराया.
जब 31 मार्च को 97 लाख 19 हजार 640 रुपए लैप्स हो गया तो अधिकारियों ने मिलीभगत से अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए अन्य मदों से 97 लाख 19 हजार 640 रुपए जारी कर दिए. यह बात मीडिया में आने के बाद जिला विकास अधिकारी ने खुद को बचाने के लिए अपने विभाग के 2 बाबुओं हरिशंकर अग्रवाल और श्याम बहादुर सक्सेना को इस तर्क के आधार पर सस्पेंड कर दिया. इन दोनों बाबुओं ने हम उच्च अधिकारियों को मामला बिना संज्ञान में दिए अन्य मदो से पैसा निकाल लिया.
इतनी बड़ी धनराशि अधिकारियों के हस्ताक्षर से अन्य मदों से निकाला गया. जब इस मामले की सूचना जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को हुई तो जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने विकास भवन के अधिकारियों कि फटकार लगाते हुए शासन से शिकायत की.
इस खबर को ईटीवी भारत प्रमुखता से चलाया. जिसके बाद पंचायती राज निदेशालय से डायरेक्टर ने जिला विकास अधिकारी योगेंद्र पाठक और अपर जिला पंचायत राज अधिकारी प्रमोद कुमार यादव से 7 दिन के अंदर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है.
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