चंदौली: कोरोना से निपटने के लिए भले ही बड़े दावे केंद्र सरकार कर रही हो लेकिन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पास इस दौरान किए गए कई महत्त्वपूर्ण कार्यों की कोई जानकारी नहीं है. इस बात का खुलासा एक आरटीआई के जवाब में हुआ. ये आरटीआई संतोष पाठक ने भेजी थी.
केंद्र सरकार भले ही अपनी रिपोर्ट में यह दावा कर रही हो कि ऑक्सीजन की कमी के चलते कोई मौत नहीं हुई है. लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी बेहद चौकाने वाली है. दरअसल संतोष पाठक ने 31 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय से आरटीआई के तहत 4 बिंदुओं पर जवाब मांगा था. इसमें पूछा गया था कि भारत सरकार ने मार्च 2020 से अब तक देश में कितने हॉस्पिटल खोले? कितने ट्रामा सेंटर खोले गए? कितने मेडिकल रिसर्च सेंटर खोले गए? और मार्च 2020 से अब तक कितने आक्सीजन प्लांट लगाए गए? इसके अलावा भारत सरकार ने मार्च 2020 से अब तक कितने वेंटिलेटर खरीदे? उन्होंने इसके खर्च का ब्यौरा भी मांगा था. वहीं भारत सरकार ने 2014 से 2019 तक व 2019 से अब तक कुल कितनी धनराशि मेडिकल सुविधाओं को बढ़ाने में खर्च की?
इस RTI का भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अंडर सेक्रेट्री विकास आर महतो ने जवाब भेजा. इसमें बताया गया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पास ये जानकारी उपलब्ध नहीं है कि मार्च 2020 से अब तक देश में कितने हॉस्पिटल, ट्रामा सेंटर, मेडिकल रिसर्च सेंटर खोले गये अथवा कितने ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए या कितने वेंटिलेटर इस दौरान खरीदे गए?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान सिर्फ 18 करोड ही खर्च हुए. इस धनराशि से हाइड्रो क्लोरोक्वीन 200 मिलीग्राम व एजिथ्रोमाइसिन 500 मिलीग्राम टेबलेट खरीदी गयीं. इसके अलावा और कोई सूचना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास नहीं है.
आरटीआई एक्टिविस्ट और आप नेता संतोष पाठक ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर में लाखों मौतों, गंगा में तैरती लाशों और प्रयागराज की रेती में दफनाए गए शवों के लिए मोदी सरकार उत्तरदायी है. मोदी सरकार ने कोरोना की पहली लहर से कुछ नहीं सीखा था. पीएम केयर फंड में देश की जनता के अरबों रुपये जमा कराकर, उसका बंदरबांट किया गया और दूसरी लहर से लड़ने के लिए कोई तैयारी नहीं की गयी.