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न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़

अधिकारी दावे जरूर करते हैं कि समय-समय पर अभियान चलाते हैं. ऐसे वाहनों की धरपकड़ कर जब्त किया जाता है. लेकिन जिस तरह कुकुरमुत्ते की तरह मेरठ की हर सड़क पर ये दौड़ते नजर आ रहे हैं, उससे ये अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है यह कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही व उनकी ओर से दी गई छूट का ही नतीजा है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
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Published : Oct 16, 2021, 4:15 PM IST

मेरठ : जिले में सड़कों पर ऐसे वाहनों की खूब भरमार है जिनमें स्टेयरिंग किसी का, पहिए किसी औऱ के तो इंजन किसी और ही वाहन के लगे हैं. ऐसी कोई नियमावली भी मोटर व्हीकल एक्ट में इन वाहनों के संचालन को लेकर नहीं है. उसके बावजूद मेरठ में इनकी भरमार है. ये वाहन न केवल सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं बल्कि इन्हें दौड़ाने वालों से लेकर सड़क पर चलने वाले लोगों तक की जान जोखिम में रहती है. आख़िर मेरठ में परिवहन विभाग के अधिकारी इसे लेकर क्या रहे हैं. ईटीवी भारत ने इसे लेकर एक रियलिटी चेक किया. खास खबर..

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़



मेरठ में सड़कों पर जुगाड़ वाहनों को फर्राटा भरते देखा जा सकता है. परिवहन विभाग के जिम्मेदार इसे गलत भी मानते हैं. संचालन को अवैध करार देते हैं लेकिन इसके बावजूद न इनके चलने पर कोई रोक लगाई जाती है और न परिवहन विभाग की तरफ से कोई एक्शन लिया जाता है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
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अधिकारी दावे जरूर करते हैं कि समय-समय पर अभियान चलाते हैं. ऐसे वाहनों की धरपकड़ कर जब्त किया जाता है. लेकिन जिस तरह कुकुरमुत्ते की तरह मेरठ की हर सड़क पर ये दौड़ते नजर आ रहे हैं, उससे ये अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है यह कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही व उनकी ओर से दी गई छूट का ही नतीजा है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़

यह भी पढ़ें : मेरठ की ईशा ने बिहार PCS में पाई सफलता, पहले प्रयास में बनीं DSP

ईटीवी भारत ने कुछ ट्रांसपोर्टर्स से बात की तो वो कहते हैं कि एक तो कोरोनाकाल के बाद से मंदी की मार से पहले ही वो लोग उभर नहीं पा रहे हैं. ऊपर से इन डग्गामार वाहनों ने भी उनका खासा नुकसान किया है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
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हमने शहर के प्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट सचिन सैनी से बात की. उनका कहना है कई बार तो ये जुगाड़ हादसे का सबब भी बन जाते हैं. उनका कहना है कि कई बार तो शिकायतें भी उनकी तरफ से अधिकारिययों से की गईं.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
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प्रतिबंधित मार्गों पर भी आख़िर शहर में अगर ये दौड़ रहे हैं तो इससे ये तो प्रतीत होता है कि ये कोई बड़ा खेल है. यानी इसमें कहीं न कहीं यातायात पुलिस व संबंधित परिवहन विभाग की कार्यशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है.

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इस बारे में ईटीवी भारत ने मेरठ के क्षेत्रीय संभागीय परिवहन कार्यालय में पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (PTO) का जिम्मा संभाल रहे सुधीर कुमार से बात की. वो मानते हैं कि ये जुगाड़ गलत हैं. अवैध तरीके से बनाकर इनका संचालन किया जा रहा है.

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नियम कायदे भी वो बताते हैं कि ये सड़कों पर चलने को अधिकृत नहीं हैं. कार्रवाई की बात भी वो करते हैं. हालांकि कितनी कार्रवाई हुई, सड़कों पर ये जुगाड़ किसके रहमोकरम पर दौड़ रहे हैं, ये स्वतः ही समझा जा सकता है.

वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार तो इतना अधिक सामान इन पर लदा रहता है कि सड़कों पर निकलना दूभर हो जाता है. हिलते डुलते लंबी-लंबी लोहे की सरिया या अन्य सामान भरकर ये सड़कों पर फर्राटा भरते हैं. ऐसे में राहगीरों को भी दिक्कत-परेशानी होती है.

मेरठ : जिले में सड़कों पर ऐसे वाहनों की खूब भरमार है जिनमें स्टेयरिंग किसी का, पहिए किसी औऱ के तो इंजन किसी और ही वाहन के लगे हैं. ऐसी कोई नियमावली भी मोटर व्हीकल एक्ट में इन वाहनों के संचालन को लेकर नहीं है. उसके बावजूद मेरठ में इनकी भरमार है. ये वाहन न केवल सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं बल्कि इन्हें दौड़ाने वालों से लेकर सड़क पर चलने वाले लोगों तक की जान जोखिम में रहती है. आख़िर मेरठ में परिवहन विभाग के अधिकारी इसे लेकर क्या रहे हैं. ईटीवी भारत ने इसे लेकर एक रियलिटी चेक किया. खास खबर..

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मेरठ में सड़कों पर जुगाड़ वाहनों को फर्राटा भरते देखा जा सकता है. परिवहन विभाग के जिम्मेदार इसे गलत भी मानते हैं. संचालन को अवैध करार देते हैं लेकिन इसके बावजूद न इनके चलने पर कोई रोक लगाई जाती है और न परिवहन विभाग की तरफ से कोई एक्शन लिया जाता है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
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अधिकारी दावे जरूर करते हैं कि समय-समय पर अभियान चलाते हैं. ऐसे वाहनों की धरपकड़ कर जब्त किया जाता है. लेकिन जिस तरह कुकुरमुत्ते की तरह मेरठ की हर सड़क पर ये दौड़ते नजर आ रहे हैं, उससे ये अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है यह कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही व उनकी ओर से दी गई छूट का ही नतीजा है.

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ईटीवी भारत ने कुछ ट्रांसपोर्टर्स से बात की तो वो कहते हैं कि एक तो कोरोनाकाल के बाद से मंदी की मार से पहले ही वो लोग उभर नहीं पा रहे हैं. ऊपर से इन डग्गामार वाहनों ने भी उनका खासा नुकसान किया है.

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न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़

हमने शहर के प्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट सचिन सैनी से बात की. उनका कहना है कई बार तो ये जुगाड़ हादसे का सबब भी बन जाते हैं. उनका कहना है कि कई बार तो शिकायतें भी उनकी तरफ से अधिकारिययों से की गईं.

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प्रतिबंधित मार्गों पर भी आख़िर शहर में अगर ये दौड़ रहे हैं तो इससे ये तो प्रतीत होता है कि ये कोई बड़ा खेल है. यानी इसमें कहीं न कहीं यातायात पुलिस व संबंधित परिवहन विभाग की कार्यशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़

इस बारे में ईटीवी भारत ने मेरठ के क्षेत्रीय संभागीय परिवहन कार्यालय में पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (PTO) का जिम्मा संभाल रहे सुधीर कुमार से बात की. वो मानते हैं कि ये जुगाड़ गलत हैं. अवैध तरीके से बनाकर इनका संचालन किया जा रहा है.

न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़
न कोई नियम न कानून, फिर आख़िर किसकी शह पर फर्राटा भर रहे जुगाड़

नियम कायदे भी वो बताते हैं कि ये सड़कों पर चलने को अधिकृत नहीं हैं. कार्रवाई की बात भी वो करते हैं. हालांकि कितनी कार्रवाई हुई, सड़कों पर ये जुगाड़ किसके रहमोकरम पर दौड़ रहे हैं, ये स्वतः ही समझा जा सकता है.

वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार तो इतना अधिक सामान इन पर लदा रहता है कि सड़कों पर निकलना दूभर हो जाता है. हिलते डुलते लंबी-लंबी लोहे की सरिया या अन्य सामान भरकर ये सड़कों पर फर्राटा भरते हैं. ऐसे में राहगीरों को भी दिक्कत-परेशानी होती है.

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