हैदराबाद: इरफान खान एक ऐसे एक्टर थे, जिनकी एक्टिंग ने ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी लोहा मनवाया था. उन्होंने भारतीय सिनेमा से लेकर हॉलीवुड तक की फिल्मों में काम किया. लेकिन, एक समय आया जब ये एक्टर हम सभी को हमेशा के लिए अलविदा कह गया. न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से 2 साल की जंग के बाद 29 अप्रैल 2020 में मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में इरफान का निधन हो गया. इरफान भले ही आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वे अपनी फिल्मों और अपनी जिदंगी की दिलचस्प कहानी के जरिए हमेशा हमारे बीच में बने रहेंगे. तो चलिए इरफान खान के बर्थ एनिवर्सरी पर आपको उनके उस पहलू से रूबरू कराते है, जिसके बारे में शायद ही आप जानते होंगे...
इरफान खान ने कई सारे इंटरव्यू में अपने पर्सनल लाइफ से जुड़े किस्से सुनाए हैं. इन्हीं में से एक इंटरव्यू में इरफान ने अपने लाइफ के उस पार्ट के बारे बताया, जिसने सभी को हैरान कर दिया. एक मीडिया इंटरव्यू में इरफान से पूछा गया कि उनके पिता उन्हें टफ, एक शिकारी जैसा बनाना चाहते थे.
इस पर इरफान ने कहा, 'मेरे पिता एक शिकारी आदमी थे, वो शिकार करते थे. हम उनके साथ शिकार करने जाते थे. हमें शिकार करना और जंगल देखना अच्छा लगता था. लेकिन जब जानवर मरते थे, तो हम उनके बारे में स्टोरी बनाया करते थे कि ये मर गया, अब इसके बेटे का क्या हो रहा होगा, इसके मां का क्या हो रहा होगा... ये सब दिमाग में चलता रहता था'.
'पठानों के घर में ये ब्राह्मण पैदा हो गया है'
इरफान ने आगे बताया, 'एक बार मेरे पिता ने मुझसे बंदूक चलवाई थी और एक जानवर मर गया था. उस जानवर के मरने से मेरे जिंदगी में काफी असर रहा था. लोग मुझे कहा करते थे कि पठानों के घर में ये ब्राह्मण पैदा हो गया है'.
इरफान के आंखों के दीवाने थे उनके पिता
पुराने इंटरव्यू में ये भी पूछा गया कि क्या ये सच है कि शख्त मिजाज वाले पिता भी अपने बेटे के आंखों के दीवाने थे? इस पर इरफान ने कहा था, 'वो कहा करते थे कि ये आंखें है या प्याला है'.
'कॉलेज जाना, लड़कियों को छोड़ना और...'
इंटरव्यू में इरफान से जब उनके घर छोड़ने के बारे में पूछा गया तब एक्टर ने कहा, 'मुझे घर बैठे कुछ समझ नहीं समझ आ रहा था. मेरी जिंदगी जयपुर में एग्जॉस्ट हो गई थी. कुछ नहीं होता था. वहीं दोस्तों के साथ बैठे हुए है, वहीं कॉलेज की तरफ जाना, लड़कियों को छेड़ना, लड़कियों के पीछे जाना और लड़कियों को हम तो छेड़ भी नहीं पाते थे. हम लोग सिर्फ मार्क किया करते थे, जैसे 2 लड़कियां जा रही हैं, उनको मार्क किया करते थे, ये तेरी ये मेरी. और उसके बाद आपस में झगड़े भी हो जाया करते थे. नहीं यार वो तो मेरी है. फिर सोचते थे कि कैसे उस लड़की तक अपना मैसेज पहुंचाया जाए. तो प्रॉसेस चलता था महीनो तक'.