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इस खास डिवाइस से मिनटों में जगमग होगा पूरा शहर, बचेगी 50 लाख की बिजली

मेरठ के इंजीनियर ने एक खास स्मार्ट स्ट्रीट लाइट डिवाइस बनाई है. दावा है कि कई खूबियों वाली यह डिवाइस शहर की 50 लाख की बिजली हर महीने बचा सकती है. आखिर वह कैसे? चलिए जानते हैं इस खबर के जरिए.

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मेरठ के इंजीनियर ने ईजाद की खास तरह की स्ट्रीट लाइट डिवाइस.
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Published : May 25, 2022, 3:35 PM IST

Updated : May 25, 2022, 4:29 PM IST

मेरठः शहर के एक इंजीनियर ने एक खास तरह की स्मार्ट स्ट्रीट लाइट डिवाइस विकसित की है. दावा है कि साफ्टवेयर से चलने वाली इस डिवाइस के जरिए एक कमांड देते ही पूरा शहर एक साथ जगमग हो जाएगा. इससे शहर की हर महीने करीब 50 लाख की बिजली की बचत हो सकती है. इसके अलावा भी इस डिवाइस में कई खूबियां हैं.

यह डिवाइस बनाने वाले इंजीनियर महेश पाल सिंह ने बताया कि इसे बनाने का आइडिया घर के पास जलती हुई स्ट्रीट लाइट को देखकर आया. यह लाइट हमेशा जलती रहती है. इसे बंद कराने के लिए कई बार नगर निगम के कंट्रोलरूम में फोन किया लेकिन समस्या दूर नहीं हुई. ऐसे में सोचा कि क्यों न कोई ऐसी डिवाइस विकसित की जाए जिससे इस समस्या से निजात पाई जा सके. इसके बाद इसे बनाने में जुट गया. उन्होंने बताया कि खास सॉफ्टवेयर वाली यह डिवाइस बनाने में करीब दो साल लगे.

मेरठ के इंजीनियर ने ईजाद की खास तरह की स्ट्रीट लाइट डिवाइस.

1982 में आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले महेश पाल सिंह ने बताया कि इस डिवाइस की खूबी यह है कि महज एक कमांड देकर पूरे शहर की स्ट्रीट लाइटें एक साथ जलाई जा सकतीं हैं. इसके अलावा यह भी मालूम पड़ जाएगा कि कौन सी स्ट्रीट लाइट खराब है और कितनी सही हैं. इसका रोज डाटा निकाला जा सकता है. साथ ही शाम को जब यह लाइटें एक साथ जलेंगी तो यह आधी ही जलेंगी. रात होते ही यह पूरी तरह से जलने लगेंगी. इससे भी बिजली बचेगी. उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी नगर निगम के पास यह डाटा नहीं होता है कि कितनी स्ट्रीट लाइटें सहीं हैं और कितनी खराब? इस डिवाइस को चालू करते ही न केवल सभी लाइटें एक साथ जल जाएंगी बल्कि यह भी मालूम पड़ जाएगा कि कहां कितनी लाइटें खराब है. इससे नगर निगम को इनकी मरम्मत में सहूलियत होगी. जनता को भी शिकायत करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.

उन्होंने दावा किया कि इस डिवाइस की बदौलत अकेले मेरठ में हर वर्ष छह करोड़ रुपए की बिजली बचाई जा सकती है. यह पैसा विकास के अन्य़ कार्यों में खर्चा किया जा सकता है. अगर बात पूरे प्रदेश की कि जाए तो इससे हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए की बचत की जा सकती है. उधर, इस बारे में अपर नगर आयुक्त अशोक कुमार का कहना है कि अगर इस विषय में उनसे कोई सम्पर्क करता है तो विस्तृत जानकारी जुटाकर वरिष्ठजनों को अवगत कराया जाएगा.


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मेरठः शहर के एक इंजीनियर ने एक खास तरह की स्मार्ट स्ट्रीट लाइट डिवाइस विकसित की है. दावा है कि साफ्टवेयर से चलने वाली इस डिवाइस के जरिए एक कमांड देते ही पूरा शहर एक साथ जगमग हो जाएगा. इससे शहर की हर महीने करीब 50 लाख की बिजली की बचत हो सकती है. इसके अलावा भी इस डिवाइस में कई खूबियां हैं.

यह डिवाइस बनाने वाले इंजीनियर महेश पाल सिंह ने बताया कि इसे बनाने का आइडिया घर के पास जलती हुई स्ट्रीट लाइट को देखकर आया. यह लाइट हमेशा जलती रहती है. इसे बंद कराने के लिए कई बार नगर निगम के कंट्रोलरूम में फोन किया लेकिन समस्या दूर नहीं हुई. ऐसे में सोचा कि क्यों न कोई ऐसी डिवाइस विकसित की जाए जिससे इस समस्या से निजात पाई जा सके. इसके बाद इसे बनाने में जुट गया. उन्होंने बताया कि खास सॉफ्टवेयर वाली यह डिवाइस बनाने में करीब दो साल लगे.

मेरठ के इंजीनियर ने ईजाद की खास तरह की स्ट्रीट लाइट डिवाइस.

1982 में आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले महेश पाल सिंह ने बताया कि इस डिवाइस की खूबी यह है कि महज एक कमांड देकर पूरे शहर की स्ट्रीट लाइटें एक साथ जलाई जा सकतीं हैं. इसके अलावा यह भी मालूम पड़ जाएगा कि कौन सी स्ट्रीट लाइट खराब है और कितनी सही हैं. इसका रोज डाटा निकाला जा सकता है. साथ ही शाम को जब यह लाइटें एक साथ जलेंगी तो यह आधी ही जलेंगी. रात होते ही यह पूरी तरह से जलने लगेंगी. इससे भी बिजली बचेगी. उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी नगर निगम के पास यह डाटा नहीं होता है कि कितनी स्ट्रीट लाइटें सहीं हैं और कितनी खराब? इस डिवाइस को चालू करते ही न केवल सभी लाइटें एक साथ जल जाएंगी बल्कि यह भी मालूम पड़ जाएगा कि कहां कितनी लाइटें खराब है. इससे नगर निगम को इनकी मरम्मत में सहूलियत होगी. जनता को भी शिकायत करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.

उन्होंने दावा किया कि इस डिवाइस की बदौलत अकेले मेरठ में हर वर्ष छह करोड़ रुपए की बिजली बचाई जा सकती है. यह पैसा विकास के अन्य़ कार्यों में खर्चा किया जा सकता है. अगर बात पूरे प्रदेश की कि जाए तो इससे हर वर्ष हजारों करोड़ रुपए की बचत की जा सकती है. उधर, इस बारे में अपर नगर आयुक्त अशोक कुमार का कहना है कि अगर इस विषय में उनसे कोई सम्पर्क करता है तो विस्तृत जानकारी जुटाकर वरिष्ठजनों को अवगत कराया जाएगा.


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Last Updated : May 25, 2022, 4:29 PM IST
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