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राजस्व परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर अब तक नहीं हुई तैनाती, उठ रहे सवाल

यूपी ब्यूरोक्रेसी के महत्वपूर्ण पद राजस्व परिषद अध्यक्ष पद पर अभी तक यूपी सरकार तैनाती नहीं कर पा रही है, जिसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इतना ही नहीं इस कारण राजस्व परिषद में तमाम महत्वपूर्ण कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं.

राजस्व परिषद अध्यक्ष की कुर्सी खाली.
राजस्व परिषद अध्यक्ष की कुर्सी खाली.
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Published : May 19, 2021, 9:34 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ब्यूरोक्रेसी की अति महत्वपूर्ण पद वाली राजस्व परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी सीनियर आईएएस अफसर की तैनाती नहीं कर पा रही है. इसको लेकर नौकरशाही के अंदर ही कहा जा रहा है कि सरकार निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है. एक महत्वपूर्ण पद पर पिछले 18 दिनों से किसी वरिष्ठ आईएएस अफसर की तैनाती सरकार नहीं कर पाई. जिसको लेकर सवाल भी उठ रहे हैं.राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी की रिटायरमेंट 30 अप्रैल से 1 दिन पहले मौत हो गई थी.

जानकारी देते संवाददाता धीरज त्रिपाठी.

कोरोना काल में कामकाज हो रहे प्रभावित
ऐसी स्थिति में राजस्व परिषद में तमाम महत्वपूर्ण कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन सरकार को इसकी चिंता ही नहीं है. यह हाल तब है जब कोरोना का प्रकोप गांव-गांव में फैल रहा है और ग्राम पंचायतों, तहसील स्तर के अधिकारियों की सीधी मॉनिटरिंग राजस्व परिषद की अध्यक्ष के माध्यम से की जाती है. बावजूद इसके 18 दिनों से राजस्व परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी खाली है. यह अपने आप में नौकरशाही और सरकार के बीच की अनिर्णय की स्थिति को उजागर करता है.

मुख्य सचिव के बराबर का माना जाता है राजस्व परिषद के अध्यक्ष का पद
ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव के बराबर का पद राजस्व परिषद के अध्यक्ष का माना जाता है. प्रदेश का पूरा राजस्व प्रशासन इसी के अधीन आता है. ग्राम पंचायत से लेकर तहसील और जिलाधिकारी कार्यालय तक, जितने भी प्रशासनिक काम और राजस्व से जुड़े मुकदमों के निस्तारण का काम होता है, वह राजस्व परिषद के माध्यम से ही होता है. इसकी सीधी मॉनिटरिंग राजस्व परिषद के अध्यक्ष के द्वारा होती है. उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारी, कमिश्नर राजस्व परिषद के चेयरमैन के प्रति जवाबदेह माने जाते हैं. इस पद पर मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के ही किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की तैनाती की परंपरा रही है. कई बार मुख्य सचिव के पद से हटाए जाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को राजस्व परिषद का चेयरमैन बनाया गया है.

इसे भी पढे़ं- अखिलेश यादव का दावा, बंगाल में तीसरी बार बनेगी ममता की सरकार

मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी को भेजे जाने की भी चर्चा
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की प्रशासनिक कामकाज में ढीली पकड़ और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में मजबूत पकड़ न होने की वजह से राजस्व परिषद के चेयरमैन के पद पर तैनात किए जाने की बात भी कही जा रही है. शायद इसी वजह से सरकार इतना बड़ा फैसला नहीं कर पा रही है. नौकरशाही से जुड़े कई सूत्र कहते हैं कि सरकार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर किसी सीनियर आईएएस अधिकारी की तैनाती नहीं कर पा रही है, उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अगर मुख्य सचिव को हटाया जाता है और राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर मुख्य सचिव किसे बनाया जाएगा.इसको लेकर भी निर्णय करना सरकार के लिए आसान नहीं है. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार किसे मुख्य सचिव बनाएगी, जिससे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयनऔ और तमाम अन्य तरह के कामकाज को धरातल तक ले जाकर सरकार को इसका फायदा पहुंचाया जा सके. ऐसे में कुल मिलाकर सरकार फिलहाल अनिर्णय की स्थिति में नजर आ रही है.


ये अधिकारी हैं सीनियर आईएएस अधिकारी
मुख्य सचिव के स्तर या उनके एक बैच नीचे के जो अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी हैं, जिन्हें सरकार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर तैनात कर सकती है. उनमें मोहम्मद इफ्तिखारउद्दीन, आलोक सिन्हा, मुकुल सिंघल, कुमार कमलेश और अवनीश कुमार अवस्थी हैं, लेकिन इनमें से मोहम्मद इफ्तिखारउद्दीन के अलावा सभी अधिकारी सरकार के किसी ने किसी महत्वपूर्ण पद पर हैं. ऐसी स्थिति में सरकार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर इन्हें भेजकर साइड में नहीं करना चाहेगी.

चर्चा यह भी है कि चेयरमैन की तैनाती में देरी को शीर्ष ब्यूरोक्रेसी में बड़े फेरबदल से जोड़कर भी देखा जा रहा है, सरकार अगर किसी महत्वपूर्ण आईएएस अधिकारी को राजस्व परिषद भेजती है तो फिर उस पर किसी दूसरे आईएएस अधिकारी को तैनात करना होगा या फिर अगर मुख्य सचिव को राजस्व परिषद भेजा जाता है तो फिर मुख्य सचिव की कुर्सी पर किसी दूसरे आईएएस अधिकारी को बिठाया जाएगा.

यह भी पढ़ें : यूपी की जेलों में बंद कैदियों को अब नहीं मिलेगा बाहरी सामान, डीजी जेल ने लिया एक्शन


18 दिन से कुर्सी पूरी तरह खाली, किसी को चार्ज तक नहीं मिला
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि 18 दिनों से यह कुर्सी तो खाली ही है. इस पद पर नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से किसी सीनियर आईएएस अधिकारी को चार्ज भी नहीं दिया गया. नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने अभी तक किसी सीनियर आईएएस अफसर को राजस्व परिषद का चार्ज नहीं दिए जाने की पुष्टि की है. जिससे तमाम तरह के और भी सवाल खड़े हो रहे हैं.


क्या कहते हैं पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ईटीवी भारत से बातचीत में राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर अभी तक किसी सीनियर आईएएस अधिकारी की तैनाती न होने को ठीक नहीं मानते. वह कहते हैं कि मुख्य सचिव के बराबर वाले इस महत्वपूर्ण पद पर सरकार को जल्द से जल्द किसी सीनियर आईएएस अधिकारी को तैनात करना चाहिए. सरकार अभी क्यों नहीं कर पाई यह तो सरकार ही बता सकती है, लेकिन यह स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इतने लंबे समय तक राजस्व परिषद के अध्यक्ष का न होना तमाम प्रशासनिक कामकाज को प्रभावित करता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ब्यूरोक्रेसी की अति महत्वपूर्ण पद वाली राजस्व परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी सीनियर आईएएस अफसर की तैनाती नहीं कर पा रही है. इसको लेकर नौकरशाही के अंदर ही कहा जा रहा है कि सरकार निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है. एक महत्वपूर्ण पद पर पिछले 18 दिनों से किसी वरिष्ठ आईएएस अफसर की तैनाती सरकार नहीं कर पाई. जिसको लेकर सवाल भी उठ रहे हैं.राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी की रिटायरमेंट 30 अप्रैल से 1 दिन पहले मौत हो गई थी.

जानकारी देते संवाददाता धीरज त्रिपाठी.

कोरोना काल में कामकाज हो रहे प्रभावित
ऐसी स्थिति में राजस्व परिषद में तमाम महत्वपूर्ण कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन सरकार को इसकी चिंता ही नहीं है. यह हाल तब है जब कोरोना का प्रकोप गांव-गांव में फैल रहा है और ग्राम पंचायतों, तहसील स्तर के अधिकारियों की सीधी मॉनिटरिंग राजस्व परिषद की अध्यक्ष के माध्यम से की जाती है. बावजूद इसके 18 दिनों से राजस्व परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी खाली है. यह अपने आप में नौकरशाही और सरकार के बीच की अनिर्णय की स्थिति को उजागर करता है.

मुख्य सचिव के बराबर का माना जाता है राजस्व परिषद के अध्यक्ष का पद
ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव के बराबर का पद राजस्व परिषद के अध्यक्ष का माना जाता है. प्रदेश का पूरा राजस्व प्रशासन इसी के अधीन आता है. ग्राम पंचायत से लेकर तहसील और जिलाधिकारी कार्यालय तक, जितने भी प्रशासनिक काम और राजस्व से जुड़े मुकदमों के निस्तारण का काम होता है, वह राजस्व परिषद के माध्यम से ही होता है. इसकी सीधी मॉनिटरिंग राजस्व परिषद के अध्यक्ष के द्वारा होती है. उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारी, कमिश्नर राजस्व परिषद के चेयरमैन के प्रति जवाबदेह माने जाते हैं. इस पद पर मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के ही किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की तैनाती की परंपरा रही है. कई बार मुख्य सचिव के पद से हटाए जाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को राजस्व परिषद का चेयरमैन बनाया गया है.

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मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी को भेजे जाने की भी चर्चा
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की प्रशासनिक कामकाज में ढीली पकड़ और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में मजबूत पकड़ न होने की वजह से राजस्व परिषद के चेयरमैन के पद पर तैनात किए जाने की बात भी कही जा रही है. शायद इसी वजह से सरकार इतना बड़ा फैसला नहीं कर पा रही है. नौकरशाही से जुड़े कई सूत्र कहते हैं कि सरकार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर किसी सीनियर आईएएस अधिकारी की तैनाती नहीं कर पा रही है, उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अगर मुख्य सचिव को हटाया जाता है और राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर मुख्य सचिव किसे बनाया जाएगा.इसको लेकर भी निर्णय करना सरकार के लिए आसान नहीं है. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार किसे मुख्य सचिव बनाएगी, जिससे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयनऔ और तमाम अन्य तरह के कामकाज को धरातल तक ले जाकर सरकार को इसका फायदा पहुंचाया जा सके. ऐसे में कुल मिलाकर सरकार फिलहाल अनिर्णय की स्थिति में नजर आ रही है.


ये अधिकारी हैं सीनियर आईएएस अधिकारी
मुख्य सचिव के स्तर या उनके एक बैच नीचे के जो अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी हैं, जिन्हें सरकार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर तैनात कर सकती है. उनमें मोहम्मद इफ्तिखारउद्दीन, आलोक सिन्हा, मुकुल सिंघल, कुमार कमलेश और अवनीश कुमार अवस्थी हैं, लेकिन इनमें से मोहम्मद इफ्तिखारउद्दीन के अलावा सभी अधिकारी सरकार के किसी ने किसी महत्वपूर्ण पद पर हैं. ऐसी स्थिति में सरकार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर इन्हें भेजकर साइड में नहीं करना चाहेगी.

चर्चा यह भी है कि चेयरमैन की तैनाती में देरी को शीर्ष ब्यूरोक्रेसी में बड़े फेरबदल से जोड़कर भी देखा जा रहा है, सरकार अगर किसी महत्वपूर्ण आईएएस अधिकारी को राजस्व परिषद भेजती है तो फिर उस पर किसी दूसरे आईएएस अधिकारी को तैनात करना होगा या फिर अगर मुख्य सचिव को राजस्व परिषद भेजा जाता है तो फिर मुख्य सचिव की कुर्सी पर किसी दूसरे आईएएस अधिकारी को बिठाया जाएगा.

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18 दिन से कुर्सी पूरी तरह खाली, किसी को चार्ज तक नहीं मिला
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि 18 दिनों से यह कुर्सी तो खाली ही है. इस पद पर नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से किसी सीनियर आईएएस अधिकारी को चार्ज भी नहीं दिया गया. नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने अभी तक किसी सीनियर आईएएस अफसर को राजस्व परिषद का चार्ज नहीं दिए जाने की पुष्टि की है. जिससे तमाम तरह के और भी सवाल खड़े हो रहे हैं.


क्या कहते हैं पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ईटीवी भारत से बातचीत में राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर अभी तक किसी सीनियर आईएएस अधिकारी की तैनाती न होने को ठीक नहीं मानते. वह कहते हैं कि मुख्य सचिव के बराबर वाले इस महत्वपूर्ण पद पर सरकार को जल्द से जल्द किसी सीनियर आईएएस अधिकारी को तैनात करना चाहिए. सरकार अभी क्यों नहीं कर पाई यह तो सरकार ही बता सकती है, लेकिन यह स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं है. इतने लंबे समय तक राजस्व परिषद के अध्यक्ष का न होना तमाम प्रशासनिक कामकाज को प्रभावित करता है.

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