लखनऊः कांग्रेस मुख्यालय पर आम दिनों की तुलना में शुक्रवार को ज्यादा भीड़ थी. काफी संख्या में लोग सुबह से ही कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने लगे थे. कारण था देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का. प्रेस कांफ्रेंस हॉल में मंच के पीछे बैकग्राउंड में इंदिरा गांधी की बड़ी सी तस्वीर लगाई गई थी. बड़े नेताओं को बैठने के लिए कुर्सियां भी सज गई थीं.
बड़े से कॉन्फ्रेंस हॉल में कुर्सियों पर बड़ी संख्या में लोग भी बैठ गए थे. प्रियंका गांधी के आने का इंतजार होता रहा. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि प्रियंका गांधी आएंगी और अपनी दादी इंदिरा गांधी के विचारों को उनके बीच पहुंचाएंगी. उनके जीवन पर प्रकाश डालेंगी, लेकिन सभागार में मौजूद कांग्रेसियों की उम्मीद उस समय चकनाचूर हो गई जब प्रियंका गांधी कार्यालय परिसर में तो आईं लेकिन सभागार की तरफ उनके कदम बढ़े ही नहीं.
बड़ी संख्या में अन्य कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भी इंदिरा गांधी के विचारों को सुनने के लिए सभागार में मौजूद थे. इंतजार हो रहा था कि पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी आएंगी और अपने विचार व्यक्त करेंगी.
ऐसा भी नहीं था कि प्रियंका गांधी कांग्रेस कार्यालय न आईं हों. वह कांग्रेस कार्यालय पहुंचीं और यहां पर परिसर में स्थापित इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर उन्होंने माल्यार्पण भी किया, हाथ जोड़कर अपनी दादी को याद भी किया.
हालांकि इस दौरान उन्होंने एक शब्द भी इंदिरा गांधी की याद में व्यक्त नहीं किया. इसके बाद गाड़ी में बैठ कर वह फिर से कांग्रेस कार्यालय से वापस जाने लगीं.
इतने में सभागार में मौजूद नेताओं को जानकारी हुई तो वह दौड़कर प्रियंका गांधी से आग्रह करने के लिए उनकी गाड़ी के पास पहुंचे, लेकिन प्रियंका से कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए.
उन्हें जानकारी मिली कि प्रियंका गांधी तक कार्यक्रम का मैसेज ही नहीं पहुंचा है. अपने ही नेताओं की लापरवाही मानकर प्रियंका को साथ लेने गए नेता उल्टे पांव वापस मंच की तरफ लौट आए. कुछ ही देर में इंदिरा गांधी की याद में आयोजित कार्यक्रम संपन्न हो गया.
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कार्यक्रम में आए कांग्रेसजनों को नेताओं ने इंदिरा गांधी के बताए रास्तों पर चलने और उनके विचारों को धारण करने का संकल्प दिलाया. क्यों उन्हें आयरन लेडी कहा जाता है इसके बारे में भी बताया गया.
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