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स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढ़ा रहे मानकविहीन शौचालय, आंकड़ों में ओडीएफ घोषित है उ.प्र. - लखनऊ समाचार

केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन योजना प्रदेश में लापरवाही की भेंट चढ़ रही है. राजधानी लखनऊ में मानकों के विपरीत शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं इन शौचालयों का उपयोग भी सही से नहीं किया जा रहा है.

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मानकों के विपरीत बने हैं शौचालय
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Published : Feb 19, 2020, 10:27 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 7:13 PM IST

लखनऊ: केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय बनाने की योजना शुरु की थी, जिसके लिए कुछ मानक भी रखे गए थे. इसका मकसद पानी के प्रदूषण पर लगाम लगाने के साथ ही लोगों को किसी भी तरह की बीमारियों से बचाना था. इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए राजधानी लखनऊ में ईटीवी भारत ने रियलिटी टेस्ट किया, जिसमें यह पूरी तरह से फेल पाया गया.

रियलिटी टेस्ट में खुली शौचालयों की पोल

रियलिटी टेस्ट में हकीकत कुछ और ही सामने आई, न ही मानकों के हिसाब से शौचालय बनाए गए थे और न ही पूर्ण तरीके से और शौचालयों का उपयोग किया जा रहा था. शौचालय बनाने की विधि के समय पहले चरण में 123 सेंटीमीटर व्यास के दो गड्ढे और उन गड्ढों के बीच की दूरी 100 सेंटीमीटर होनी तय है.

वहीं दूसरे चरण में गड्ढे की पूरी नाप करना और गड्ढे में पाइप को सही एंगल से फिट करने की प्रक्रिया की जाती है. मानकों के मुताबिक शौचालय निर्माण के लिए कुल 12 चरण पूरे होने के बाद ही निर्माण पूरा माना जाता है.

शौचालय निर्माण के अंतर्गत तकनीकी माप में 123 सेंटीमीटर व्यास के दो गड्ढे बनाए जाते हैं, जहां गड्ढों के बीच की दूरी कम से कम 100 सेंटीमीटर की होनी चाहिए, ऐसे तमाम मानक पूरा करना जरूरी होता है, लेकिन इन मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया.

यह लापरवाही पंचायती राज विभाग के द्वारा और लोगों में जागरूकता की कमी के कारण होने की बात सामने आई है. रियलिटी टेस्ट में तमाम शौचालय ऐसे मिले जो अभी भी उपयोग में ही नहीं हैं, और इनका पिछले 6 महीनों से निर्माण चल रहा है. वहीं कुछ शौचालय तो ऐसे भी हैं, जिनमें लकड़ी और कंडे भर कर उपयोग किया जा रहा है. वहीं सरकार के द्वारा शौचालयों के निर्माण के लिए दी जाने वाली धनराशि से लोग अपनी मनमर्जी से शौचालय बनवा रहे हैं.

मानक विहीन सौचालय का निर्माण लाइलाज बीमारियों को देता है जन्म

सौचालय के निर्माण में हो रही अनदेखी के संबंध में डॉ. बी. के. सिंह ने ईटीवी से महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. डॉक्टर बताते हैं कि मानक विहीन सौचालय के निर्माण से पानी में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया घुल जाते हैं. ये बैक्टीरिया कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं. इनका बहुत ही गलत प्रभाव पड़ता है, इससे होने वाली बीमारियों का इलाज बहुत ही महंगा है. पानी के कंटामिनेशन से होने वाली बीमारियां लाइलाज भी हो जातीं हैं.

इसे भी पढ़ें:-कांग्रेस का 'यंग इंडिया के बोल' तैयार करेगा बेरोजगारों का रजिस्टर

अगर ऐसी चीजें सामने आ रही हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी. इसको लेकर हमारी टीम सर्वे करते हुए उसकी मॉनिटरिंग भी कर रही है.
कीर्ति शंकर अवस्थी, संयुक्त निदेशक, पंचायती राज विभाग

लखनऊ: केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय बनाने की योजना शुरु की थी, जिसके लिए कुछ मानक भी रखे गए थे. इसका मकसद पानी के प्रदूषण पर लगाम लगाने के साथ ही लोगों को किसी भी तरह की बीमारियों से बचाना था. इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए राजधानी लखनऊ में ईटीवी भारत ने रियलिटी टेस्ट किया, जिसमें यह पूरी तरह से फेल पाया गया.

रियलिटी टेस्ट में खुली शौचालयों की पोल

रियलिटी टेस्ट में हकीकत कुछ और ही सामने आई, न ही मानकों के हिसाब से शौचालय बनाए गए थे और न ही पूर्ण तरीके से और शौचालयों का उपयोग किया जा रहा था. शौचालय बनाने की विधि के समय पहले चरण में 123 सेंटीमीटर व्यास के दो गड्ढे और उन गड्ढों के बीच की दूरी 100 सेंटीमीटर होनी तय है.

वहीं दूसरे चरण में गड्ढे की पूरी नाप करना और गड्ढे में पाइप को सही एंगल से फिट करने की प्रक्रिया की जाती है. मानकों के मुताबिक शौचालय निर्माण के लिए कुल 12 चरण पूरे होने के बाद ही निर्माण पूरा माना जाता है.

शौचालय निर्माण के अंतर्गत तकनीकी माप में 123 सेंटीमीटर व्यास के दो गड्ढे बनाए जाते हैं, जहां गड्ढों के बीच की दूरी कम से कम 100 सेंटीमीटर की होनी चाहिए, ऐसे तमाम मानक पूरा करना जरूरी होता है, लेकिन इन मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया.

यह लापरवाही पंचायती राज विभाग के द्वारा और लोगों में जागरूकता की कमी के कारण होने की बात सामने आई है. रियलिटी टेस्ट में तमाम शौचालय ऐसे मिले जो अभी भी उपयोग में ही नहीं हैं, और इनका पिछले 6 महीनों से निर्माण चल रहा है. वहीं कुछ शौचालय तो ऐसे भी हैं, जिनमें लकड़ी और कंडे भर कर उपयोग किया जा रहा है. वहीं सरकार के द्वारा शौचालयों के निर्माण के लिए दी जाने वाली धनराशि से लोग अपनी मनमर्जी से शौचालय बनवा रहे हैं.

मानक विहीन सौचालय का निर्माण लाइलाज बीमारियों को देता है जन्म

सौचालय के निर्माण में हो रही अनदेखी के संबंध में डॉ. बी. के. सिंह ने ईटीवी से महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. डॉक्टर बताते हैं कि मानक विहीन सौचालय के निर्माण से पानी में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया घुल जाते हैं. ये बैक्टीरिया कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं. इनका बहुत ही गलत प्रभाव पड़ता है, इससे होने वाली बीमारियों का इलाज बहुत ही महंगा है. पानी के कंटामिनेशन से होने वाली बीमारियां लाइलाज भी हो जातीं हैं.

इसे भी पढ़ें:-कांग्रेस का 'यंग इंडिया के बोल' तैयार करेगा बेरोजगारों का रजिस्टर

अगर ऐसी चीजें सामने आ रही हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी. इसको लेकर हमारी टीम सर्वे करते हुए उसकी मॉनिटरिंग भी कर रही है.
कीर्ति शंकर अवस्थी, संयुक्त निदेशक, पंचायती राज विभाग

Last Updated : Feb 29, 2020, 7:13 PM IST
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