लखनऊः नगर निगम में स्ट्रीट डॉग के खिलाफ अभियान चलाया गया है. राजधानी लखनऊ के सभी जोन में ये अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के माध्यम से सड़कों पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग की नसबंदी की जा रही है. जिससे लगातार बढ़ रही डॉग्स की संख्या को रोका जा सके.
स्ट्रीट डॉग के खिलाफ अभियान
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए नगर निगम के संयुक्त निदेशक अरविंद कुमार राव का कहना है कि राजधानी में स्ट्रीट डॉग एक बड़ी समस्या है. ऐसे में नगर निगम ने एक अत्याधुनिक हॉस्पिटल बनाया है. जहां पर इन स्ट्रीट डॉग्स का बंधीकरण (नसबन्दी) किया जाता है. नगर निगम के संयुक्त निदेशक अरविंद कुमार राव का कहना है कि अभी तक 15 हजार 661 डॉग्स का बंधीकरण किया जा चुका है.
सभी जोन में चलाया जा रहा अभियान
लखनऊ नगर निगम के सभी जोन में ये अभियान चलाया जा रहा है. जोन 7 के अंतर्गत 15 हजार से अधिक डॉग्स का बंधीकरण गया है. इसके साथ ही जोन एक और जोन 4 में भी लगातार कार्रवाई की जा रही है. नगर निगम के संयुक्त निदेशक अरविंद कुमार राव ने बताया कि पहले निगम में जल्लाद और पशु कैचर होते थे, जो इन स्ट्रीट डॉग्स को दवा खिलाकर पकड़ लेते थे. बाद में इन्हें दूसरे इलाकों में ले जाकर छोड़ दिया जाता था. वहां के डॉग्स को स्वीकार नहीं करते थे. जिससे लगातार पशु क्रूरता के मामले भी बढ़ रहे थे.
स्ट्रीट डॉग्स को नहीं कर सकते विस्थापित
नगर निगम के संयुक्त निदेशक अरविंद कुमार राव का कहना है कि 1959 नियम के तहत इन डॉग्स को एक जगह से दूसरी जगह पर विस्थापित नहीं कर सकते हैं. इनके बर्थ कंट्रोल को ही रोका जा सकता है. इसलिए लखनऊ नगर निगम लगातार अभियान चला रहा है. जिससे इन स्ट्रीट डॉग्स का बंधीकरण कर जनता को होने वाली समस्याओं से निजात दिलाया जा सके.
रेबीज इंजेक्शन की बढ़ी मांग
राजधानी लखनऊ में स्ट्रीट डॉग के चलते स्थानीय लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. यही कारण है कि लगातार रेबीज इंजेक्शन की मांग बढ़ती जा रही है. बलरामपुर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ राजीव लोचन ने बताया कि एक जनवरी साल 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक बलरामपुर अस्पताल में 17 हजार 902 मरीजों को रेबीज के इंजेक्शन लगाए गए. जबकि डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान में 30 हजार मरीजों को एक साल में रैबीज के इंजेक्शन लगाए गए. इसके साथ ही राजधानी के कई निजी और अन्य सरकारी अस्पतालों में भी लगातार रैबीज के इंजेक्शन लगते हैं.