लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों पर नकेल कस रहे हैं. सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों और पुलिस कप्तानों के दफ्तर में शासन से दो बार फोन किया गया. पहली बार एक सप्ताह पहले जब फोन किया गया तो उस दिन 10 जिलाधिकारी और छह पुलिस कप्तान अपने दफ्तर में मौजूद नहीं थे. दूसरी बार गत शुक्रवार को फोन किया गया, लेकिन इस बार यह जानकारी नहीं दी गई कि कितने अफसर दफ्तर में मौजूद नहीं थे. दफ्तरों में गैर मौजूद अफसरों के बारे में जानकारी नहीं दिए जाने के पीछे अफसरों को बचाने की कवायद के रूप में ही देखा जा रहा है.
हालांकि एक सीनियर आईएएस अफसर का कहना है कि ऐसे लापरवाह डीएम और कप्तान के बारे में मुख्यमंत्री को पता है, जो लोग दफ्तर में मौजूद नहीं थे, उनकी पूरी सूची मुख्यमंत्री के पास भेज दी गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय से ऐसे अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी की जाएगी. जवाब आने के बाद उनके खिलाफ आवश्यकतानुसार कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, जिलाधिकारियों पुलिस कप्तानों को हर दिन अपने दफ्तरों में बैठक कर जन समस्याओं की सुनवाई करनी है. समस्याओं का निस्तारण जिले स्तर पर करने के निर्देश दिए गए हैं. सीएम की हिदायत है कि कोई भी समस्या प्रदेश मुख्यालय तक नहीं आनी चाहिए. अगर प्रदेश मुख्यालय पर समस्या आती है तो संबंधित विभाग के अधिकारी की जिम्मेदारी होगी. इसके अलावा जिन जिलों के ज्यादा लोग अपनी समस्याओं को लेकर मुख्यालय पहुंचेंगे, वहां के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी. ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनके खिलाफ भी सरकार कार्रवाई करेगी. बावजूद इसके अफसर दफ्तरों से नदारद मिल रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को ढाई वर्ष हो गए हैं. जनता की शिकायतों के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे अधिकारियों को निश्चित तौर पर चिन्हित कर रहे होंगे. सरकार का तो दावा है कि अधिकारियों को फोन करके यह जानने की कोशिश की गई है कि अधिकारी कार्यालय में रुककर कितनी सुनवाई करते हैं. सीएम ने निर्देश दिया था कि सभी लोग जन समस्याओं की सुनवाई करें, लेकिन ऐसे लापरवाह अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. कोई टिप्पणियां नहीं की जा रही हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार में बड़े अधिकारी ऐसे लापरवाह अधिकारियों को बचाने में मदद कर रहे हैं. कहीं न कहीं उनका उन्हें संरक्षण मिल रहा है.
अशोक राजपूत, राजनीतिक विश्लेषक
2017 के पहले डेढ़ दशक तक सपा बसपा के शासन में नौकरशाह की स्थिति बेहद खराब हो गयी थी. कई बार ऐसी बातें होती हैं कि ब्यूरोक्रेसी के तमाम अफसर मोटी चमड़ी के हो गए हैं. वह लोग सुधरते-सुधरते सुधरेंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार का दबाव है. योगी सरकार की पहल है. उसके एक्शन की वजह से आज यहां कम से कम चर्चा है कि ब्यूरोक्रेसी में कौन अधिकारी अपने कार्यालय में बैठकर जन समस्याओं को सुनता है. कौन अधिकारी कार्यालय से गायब है या फिर कौन अधिकारी लापरवाही बरत रहा है. मुझे लगता है कि सभी अधिकारियों को सुधारना होगा, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारियों को सुधरना होगा. सही से काम करना होगा. जो काम करेंगे वही रहेंगे और नहीं तो हटेंगे.
संजय राय, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
सीएम की इस पहल से जनता को सहूलियत होगी. यह बात सही है कि जनता जिला मुख्यालय, ब्लॉक मुख्यालय और तहसील मुख्यालयों पर जाती है तो वहां अधिकारी नहीं मिलते हैं. जब अधिकारी नहीं मिलेंगे तो जनता की समस्याओं का समाधान कैसे होगा. तब जनता थक हारकर प्रदेश के मुख्यालय आती है. अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस तरह से कदम उठा रहे हैं तो यह स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि सरकार को ब्यूरोक्रेसी पर ठीक वैसे ही कसाव रखना चाहिए. जैसे वीणा के तार पर रखा जाता है. ज्यादा कसेंगे तो तार टूट सकता है. ढीला रखेंगे तो वह धुन नहीं आ पाएगी.
पीएन द्विवेदी, सरकारी मशीनरी के जानकार व राजनीतिक विश्लेषक