लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद से अनुशासन के नाम पर बसपा अध्यक्ष मायावती कार्रवाई करने में जुटी हुई हैं. कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति वफादारी बनाए रखने के लिए हो रही कार्रवाई से कितना लाभ होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. फिलहाल, इसका संगठन पर नकारात्मक असर ही पड़ता दिखाई दे रहा है.
संगठन का हाल देखकर बसपा अध्यक्ष की चिंता बढ़ गई है. चिंता इतनी है कि बसपा नेतृत्व ने सूबे में हो रहे विधान परिषद स्नातक और शिक्षक क्षेत्र निर्वाचन से किनारा कर लिया है. पार्टी इस निर्वाचन प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले रही है.
इन नेताओं पर हुई कार्रवाई
मायावती पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई कर रहीं हैं. पूर्व विधायक रविंद्र मोल्हू, मेरठ की महापौर सुनीता वर्मा, उत्तराखंड प्रभारी रहे सुनील चित्तौड़, बसपा के ताकतवर नेताओं में शुमार रहे पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय को भी बसपा अध्यक्ष ने नहीं बख्शा. इसके अलावा बीएसपी चीफ ने नारायण सिंह सुमन, पूर्व विधायक कालीचरण सुमन, तिलक चंद्र अहिरवार, वीरू सुमन, भारतेंदु अरुण, मलखान सिंह व्यास, कमल गौतम, प्रेमचंद्र, पूर्व विधायक योगेश वर्मा और विक्रम सिंह जैसे नेताओं का निष्कासन किया है.
बता दें कि गत शुक्रवार को मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे सीएल वर्मा को भी निष्कासित कर दिया गया है. बसपा जिलाध्यक्ष हरिकृष्ण गौतम ने कहा कि सीएल वर्मा पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. इसके लिए उन्हें कई बार नोटिस भी दिया गया. उनके न सुधरने पर पार्टी नेतृत्व ने उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया.
कार्रवाई का असर
बसपा अध्यक्ष मायावती की इस कार्रवाई का सकारात्मक असर अभी भले ही न पड़ रहा हो, लेकिन नकारात्मक असर पड़ना शुरू हो गया है. सत्ता के गलियारे में नकारात्मक चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कार्यकर्ताओं को इस प्रकार से की जा कार्रवाई अच्छी नहीं लग रही है.
पार्टी के पूर्व विधायक और बसपा सरकार में मंत्री रह चुके एक नेता का कहना है कि बहन जी अगर इसी प्रकार से कार्रवाई करती रहीं तो नेताओं का मनोबल टूटेगा. टूटे हुए मनोबल से वह अच्छे से संगठन का काम नहीं कर पाएंगे. उन्हें हर समय डर लगा रहेगा और इसका परिणाम नकारात्मक होगा. इस प्रकार की कार्रवाई होने से दूसरे दलों से हमारे पार्टी में आने वाले नेताओं की संख्या बहुत ही कम है, लेकिन पार्टी छोड़कर जाने वालों की संख्या ज्यादा हो चुकी है. बड़े-बड़े दिग्गज नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं.
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है
जिस तरह से मायावती को चुनाव में पराजय मिल रही है, उससे उनकी स्थिति काफी खराब है. लोकसभा चुनाव में जो गठबंधन बना था, उसकी दुर्दशा देखकर तमाम नेता टूट रहे हैं. बहन जी कार्रवाई भी सबसे ज्यादा पिछड़े नेताओं पर कर रही हैं. उनके यहां भी जातिभेद, वर्ग-भेद, धर्म भेद जैसी चीजें हावी हैं. मायावती को अब पार्टी संभालने में परेशानी हो रही है. मुझे लगता है कि बसपा अब धीरे-धीरे अपनी अवसान की ओर बढ़ रही है.
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राजनीतिक विश्लेषक अनिल भारद्वाज का कहना है कि बसपा इसलिए चुनाव नहीं लड़ रही है, क्योंकि उसका जनाधार धीरे-धीरे घटता जा रहा है. उप चुनाव में बसपा पहली बार कूदी और उसे बुरी तरह से शिकस्त खानी पड़ी. इससे बसपा नेतृत्व का मनोबल टूटा हुआ है. इसके अलावा बसपा अध्यक्ष मायावती तमाम अपने बड़े नेताओं को भी पार्टी से निष्कासित कर रहीं हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो बसपा दोराहे पर खड़ी हुई दिख रही है. बसपा सुप्रीमो को कुछ समझ नहीं आ रहा है. चुनाव न लड़ने का फैसला संगठन और कार्यकर्ता, दोनों के लिए ही ठीक नहीं माना जा सकता.