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पितृ विसर्जन का आखिरी दिन रविवार को, पितृ श्राप से मुक्ति पाने के लिए करें ये उपाय

पितृ विसर्जन का आखिरी दिन रविवार को है. इस दिन भगवान विष्णु का पूजन कर और गाय का दूध चढ़ाना सबसे अच्छा माना जाता है. यही नहीं इस दिन पितृ श्राप से मुक्ति के लिए पीपल एक पौधा भी लगाना चाहिए.

पितृ विसर्जन
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Published : Sep 24, 2022, 1:33 PM IST

कुशीनगर: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस वर्ष पितृ विसर्जन सर्वपैत्री, श्राद्ध की अमावस्या रविवार को है. शात्र के जानकारों ने लोगों से विधिवत पूजन के साथ पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर और गाय का दूध चढ़ाने को उत्तम माना है.

श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार, ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते हैं कि किसी मृत आत्मा का तीन वर्षों तक श्राद्ध कर्म नहीं करने पर जीवात्मा का प्रवेश प्रेत योनि में हो जाता है. जो तमोगुणी, रजोगुणी और सतोगुणी होती है. पृथ्वी पर रहने वाली आत्माएं तमोगुणी होती हैं. अत: इनकी मुक्ति अवश्य करनी चाहिए. मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत अतः मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रिया करना चाहिए. इस वर्ष अमावस्या तिथि पूरे दिन व रात 3:24 बजे तक रहेगी. जिस व्यक्ति की मृत्यु की तारीख ज्ञात न हो उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर ही करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: परिवारों को पितृपक्ष में भी नहीं आया ध्यान, तीन साल से विसर्जन के इंतजार में हैं स्वर्गाश्रम में रखीं अस्थियां

गीता का पाठ, रुद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सूक्त, ब्रह्म सूक्त आदि का पाठ भी करना चाहिए. पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर गाय का दूध चढ़ावें. पितृ श्राप से मुक्ति के लिए उस दिन पीपल एक पौधा भी अवश्य ही लगाना चाहिए. महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक से आए हुए पितरों की विदाई होती है. उस दिन तीन या छह ब्राह्मणों को मध्याहन के समय घी में बने हुए पुआ, गौ दूध में बनी खीर आदि से संतृप्त कर उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर विदा करें. शाम को घी का दीपक जलाकर पितृ लोक गमन मार्ग को आलोकित करने की परिकल्पना करें, जिससे पितृ संतुष्ट होकर अपने वंश के उत्थान की कामना करते हुए स्वलोक गमन करेंगे.

कुशीनगर: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस वर्ष पितृ विसर्जन सर्वपैत्री, श्राद्ध की अमावस्या रविवार को है. शात्र के जानकारों ने लोगों से विधिवत पूजन के साथ पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर और गाय का दूध चढ़ाने को उत्तम माना है.

श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार, ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते हैं कि किसी मृत आत्मा का तीन वर्षों तक श्राद्ध कर्म नहीं करने पर जीवात्मा का प्रवेश प्रेत योनि में हो जाता है. जो तमोगुणी, रजोगुणी और सतोगुणी होती है. पृथ्वी पर रहने वाली आत्माएं तमोगुणी होती हैं. अत: इनकी मुक्ति अवश्य करनी चाहिए. मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत अतः मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रिया करना चाहिए. इस वर्ष अमावस्या तिथि पूरे दिन व रात 3:24 बजे तक रहेगी. जिस व्यक्ति की मृत्यु की तारीख ज्ञात न हो उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर ही करना चाहिए.

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गीता का पाठ, रुद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सूक्त, ब्रह्म सूक्त आदि का पाठ भी करना चाहिए. पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर गाय का दूध चढ़ावें. पितृ श्राप से मुक्ति के लिए उस दिन पीपल एक पौधा भी अवश्य ही लगाना चाहिए. महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक से आए हुए पितरों की विदाई होती है. उस दिन तीन या छह ब्राह्मणों को मध्याहन के समय घी में बने हुए पुआ, गौ दूध में बनी खीर आदि से संतृप्त कर उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर विदा करें. शाम को घी का दीपक जलाकर पितृ लोक गमन मार्ग को आलोकित करने की परिकल्पना करें, जिससे पितृ संतुष्ट होकर अपने वंश के उत्थान की कामना करते हुए स्वलोक गमन करेंगे.

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