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बलरामपुर के सखी सेंटर की बदली सूरत - बलरामपुर के वन स्टॉप सेंटर

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बने सखी सेंटर को नए तरीके से शुरू किया गया है. सेंटर में कई तरीके की सुविधाएं अब पीड़ित महिलाओं को दी जा रही है.

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वन स्टॉप सेंटर
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Published : Jun 20, 2020, 2:54 PM IST

बलरामपुर: 2012 के दिसंबर में दिल्ली में चलती बस में हुए मेडिकल छात्रा के साथ हैवानियत भरे गैंगरेप के बाद पूरा देश सिहर उठा था. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने 'निर्भया फण्ड' के जरिए महिलाओं को बेहतर और सुरक्षित माहौल देने के लिए तमाम तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का वायदा किया. इसके तहत सीसीटीवी कैमरे, महिला थानों का उच्चीकरण, महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कॉल सेंटरों की स्थापना, पुलिसिंग में सुधार और अन्य तमाम तरह के वायदे सरकारों ने महिला सुरक्षा के लिए किये थे. इन्हीं वायदों में एक वायदा 'सखी' यानी वन स्टॉप सेंटरों की स्थापना भी थी.

जानकारी देते अधिकारी
केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद देश के सभी 725 जिलों में 2018-19 के बजट में इसे स्थापित करने की कवायद शुरू की गई, लेकिन जिलों में इस परियोजना में काम अभी भी काफी सुस्त चल रहा है. ऐसे में अस्थाई तौर पर बलरामपुर जिले के जिला संयुक्त चिकित्सालय के नर्सेस हॉस्टल में यह सेंटर संचालित है. लेकिन पहले से अब का नजारा काफी बदला-बदला सा लगता है.

सखी सेंटर में पहले जहां कोई सुविधा नहीं थी, वहीं अब इस अस्थाई सखी सेंटर पर एक साथ 12 अपराध पीड़ित महिलाओं को न केवल सभी तरह की सुविधा दी जा रही है बल्कि तमाम तरह की सहूलियत के साथ-साथ वो यहां पर मेडिको लीगल, मेडिकल, ह्यूमन राइट्स, लीगल हेल्प, हेल्थ काउंसिलिंग, पुलिस सहायता, आशा ज्योति केंद्र की सहायता सुविधा का लाभ एक ही छत के नीचे ले रही हैं. यह बदलाव ईटीवी भारत पर पूरे प्रदेश में सखी सेंटरों की असलियत दिखाने के बाद आया है.

एक पीड़ित महिला ने बताया कि अब यहां पर उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं एक साथ मिल रही हैं. उन्हें यहां न तो खाने की कोई दिक्कत है न ही रहने की. इसके साथ ही मेडिकल और कानूनी सहायता भी उन्हें आसानी से मिल पा रही है.

वहीं वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी मैनेजर अनीता पाल बताती है कि जब केंद्र की शुरुआत की गई थी, तब इस तरह की सुविधा नहीं थी. जबकि पहले भी यह केंद्र इसी बिल्डिंग में चलता था. वहीं अब सुविधाएं बढ़ जाने से तमाम तरह की सहूलियत यहां पर आने वाली महिलाओं और लड़कियों को आसानी से मिल सकेंगी. उनका कहना है कि यहां पर घरेलू हिंसा, सामाजिक हिंसा, छेड़खानी, दुष्कर्म जैसे अपराधों से पीड़ित महिलाएं आती हैं. ऐसे में उन्हें सहज तौर पर इस तरह की सहायता मिलना वाकई में अच्छी बात है.

ईटीवी भारत को असलियत दिखाने के लिए धन्यवाद देने के बाद पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने कहा कि ईटीवी भारत की खबर के जरिए उन सभी का ध्यान इसकी तरफ गया और उन्होंने इस अस्थाई केंद्र को बेहतर बनाने के लिए काम शुरू किया.

एसपी ने कहा कि शासन की ओर से तमाम तरह के अपराधों से पीड़ित महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने के लिए वन स्टॉप सेंटर की परिकल्पना की गई थी जो धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है. यहां पर हिंसा और उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को तमाम सुविधाएं एक ही छत के नीचे देने की योजना है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत की सीरीज देखने के बाद वन स्टॉप सेंटर के बारे में और चीजों को देखा गया तो लगा कि जहां भी यह चल रहा हो, उसे शुरू जरूर हो जाना चाहिए.

यहां पर संयुक्त जिला चिकित्सालय में यह सेंटर चलाया जा रहा था, लेकिन वहां पर किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इस तरह सभी लोगों ने मिलकर सोचा कि क्यों न वहां पर सुविधाओं को बढ़ाया जाए, जिससे आने वाली अपराध पीड़ित महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सहायता दी जा सके.

देव रंजन वर्मा ने आगे बताया कि अब सेंटर में 12 बेड की सुविधाओं के साथ एक पुलिस चौकी के स्थापना की जा चुकी है. महिला पुलिस अधिकारी और सिपाही हमेशा यहां पर ड्यूटी में लगी रहती हैं. इसके साथ ही यहां पर आने वाली महिलाओं को मेडिकल सहायता, लीगल सहायता, उन्हें रिहैब करने के लिए जरूरी काउंसलिंग के साथ-साथ अन्य तरह की सभी सहायता अब एक ही छत के नीचे उपलब्ध करवाई जा रही है.

अभी हाल ही में देवीपाटन रेंज के डीआईजी डॉ. राकेश सिंह और एसपी देव रंजन वर्मा ने नए सिरे से शुरू किए गए वन स्टॉप सेंटर का फीता काटकर उद्घाटन किया गया था. अभी यहां पर तकरीबन 6 महिलाएं और लड़कियां अपनी काउंसलिंग करवा रही है.

बलरामपुर: 2012 के दिसंबर में दिल्ली में चलती बस में हुए मेडिकल छात्रा के साथ हैवानियत भरे गैंगरेप के बाद पूरा देश सिहर उठा था. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने 'निर्भया फण्ड' के जरिए महिलाओं को बेहतर और सुरक्षित माहौल देने के लिए तमाम तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का वायदा किया. इसके तहत सीसीटीवी कैमरे, महिला थानों का उच्चीकरण, महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कॉल सेंटरों की स्थापना, पुलिसिंग में सुधार और अन्य तमाम तरह के वायदे सरकारों ने महिला सुरक्षा के लिए किये थे. इन्हीं वायदों में एक वायदा 'सखी' यानी वन स्टॉप सेंटरों की स्थापना भी थी.

जानकारी देते अधिकारी
केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद देश के सभी 725 जिलों में 2018-19 के बजट में इसे स्थापित करने की कवायद शुरू की गई, लेकिन जिलों में इस परियोजना में काम अभी भी काफी सुस्त चल रहा है. ऐसे में अस्थाई तौर पर बलरामपुर जिले के जिला संयुक्त चिकित्सालय के नर्सेस हॉस्टल में यह सेंटर संचालित है. लेकिन पहले से अब का नजारा काफी बदला-बदला सा लगता है.

सखी सेंटर में पहले जहां कोई सुविधा नहीं थी, वहीं अब इस अस्थाई सखी सेंटर पर एक साथ 12 अपराध पीड़ित महिलाओं को न केवल सभी तरह की सुविधा दी जा रही है बल्कि तमाम तरह की सहूलियत के साथ-साथ वो यहां पर मेडिको लीगल, मेडिकल, ह्यूमन राइट्स, लीगल हेल्प, हेल्थ काउंसिलिंग, पुलिस सहायता, आशा ज्योति केंद्र की सहायता सुविधा का लाभ एक ही छत के नीचे ले रही हैं. यह बदलाव ईटीवी भारत पर पूरे प्रदेश में सखी सेंटरों की असलियत दिखाने के बाद आया है.

एक पीड़ित महिला ने बताया कि अब यहां पर उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं एक साथ मिल रही हैं. उन्हें यहां न तो खाने की कोई दिक्कत है न ही रहने की. इसके साथ ही मेडिकल और कानूनी सहायता भी उन्हें आसानी से मिल पा रही है.

वहीं वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी मैनेजर अनीता पाल बताती है कि जब केंद्र की शुरुआत की गई थी, तब इस तरह की सुविधा नहीं थी. जबकि पहले भी यह केंद्र इसी बिल्डिंग में चलता था. वहीं अब सुविधाएं बढ़ जाने से तमाम तरह की सहूलियत यहां पर आने वाली महिलाओं और लड़कियों को आसानी से मिल सकेंगी. उनका कहना है कि यहां पर घरेलू हिंसा, सामाजिक हिंसा, छेड़खानी, दुष्कर्म जैसे अपराधों से पीड़ित महिलाएं आती हैं. ऐसे में उन्हें सहज तौर पर इस तरह की सहायता मिलना वाकई में अच्छी बात है.

ईटीवी भारत को असलियत दिखाने के लिए धन्यवाद देने के बाद पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने कहा कि ईटीवी भारत की खबर के जरिए उन सभी का ध्यान इसकी तरफ गया और उन्होंने इस अस्थाई केंद्र को बेहतर बनाने के लिए काम शुरू किया.

एसपी ने कहा कि शासन की ओर से तमाम तरह के अपराधों से पीड़ित महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने के लिए वन स्टॉप सेंटर की परिकल्पना की गई थी जो धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है. यहां पर हिंसा और उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को तमाम सुविधाएं एक ही छत के नीचे देने की योजना है. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत की सीरीज देखने के बाद वन स्टॉप सेंटर के बारे में और चीजों को देखा गया तो लगा कि जहां भी यह चल रहा हो, उसे शुरू जरूर हो जाना चाहिए.

यहां पर संयुक्त जिला चिकित्सालय में यह सेंटर चलाया जा रहा था, लेकिन वहां पर किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इस तरह सभी लोगों ने मिलकर सोचा कि क्यों न वहां पर सुविधाओं को बढ़ाया जाए, जिससे आने वाली अपराध पीड़ित महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सहायता दी जा सके.

देव रंजन वर्मा ने आगे बताया कि अब सेंटर में 12 बेड की सुविधाओं के साथ एक पुलिस चौकी के स्थापना की जा चुकी है. महिला पुलिस अधिकारी और सिपाही हमेशा यहां पर ड्यूटी में लगी रहती हैं. इसके साथ ही यहां पर आने वाली महिलाओं को मेडिकल सहायता, लीगल सहायता, उन्हें रिहैब करने के लिए जरूरी काउंसलिंग के साथ-साथ अन्य तरह की सभी सहायता अब एक ही छत के नीचे उपलब्ध करवाई जा रही है.

अभी हाल ही में देवीपाटन रेंज के डीआईजी डॉ. राकेश सिंह और एसपी देव रंजन वर्मा ने नए सिरे से शुरू किए गए वन स्टॉप सेंटर का फीता काटकर उद्घाटन किया गया था. अभी यहां पर तकरीबन 6 महिलाएं और लड़कियां अपनी काउंसलिंग करवा रही है.

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