आजमगढ़ः जिले में बीएसपी को एक और जोरदार झटका लगा है. मुबारकपुर विधानसभा से बीएसपी विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने अपने पद और पार्टी से बीएसपी सुप्रीमो मायावती को इस्तीफा दे दिया है. गुड्डू जमाली का ये दूसरा कार्यकाल है. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में भी मुबारकपुर विधानसभा से जीत हासिल की थी. हाल ही में लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को पार्टी से निष्कासित कर दिए जाने के बाद मायावती ने गुड्डू जमाली को नेता विधान बनाया था.
2012 के विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी का विजय रथ दौड़ा था. उस चुनाव में एसपी ने आजमगढ़ की 10 विधानसभा सीट में से 9 में जीत हासिल की थी. एक विधानसभा जहां से उसे हार का मुंह देखना पड़ा था, वो मुबारकपुर विधानसभा थी. यहां से बीएसपी के उम्मीदवार गुड्डू जमाली ने ही विजय हासिल की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में शाह आलम एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आजमगढ़ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. लोकसभा चुनाव में वे ढाई लाख मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में जब पूरे प्रदेश में बीजेपी का डंका बज रहा था. उस समय भी मुबारकपुर का ये किला बीएसपी का ही रहा और यहां पर गुड्डू जमाली ने जीत दर्ज की थी.
आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा से बसपा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने बसपा सुप्रीमो मायावती को इस्तीफा भेज दिया है. बसपा सुप्रीमो मायावती को भेजे गए पत्र में शाह आलम ने मायावती के साथ 21 नवम्बर 2021 की मीटिंग का जिक्र किया है. जिसमें उनका कहना है कि मेरी पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी के बाद भी आप संतुष्ट नहीं हैं, और मीटिंग के दौरान हमारे बीच हुई कई बातों पर विचार करने के बाद अब मैं यही उचित समझता हूं कि यदि मेरी नेता मुझसे या मेरे कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं. मुझे ऐसा लगा कि मैं आप पर या पार्टी पर महज एक बोझ बन गया हूं, तो ऐसी सूरत में मैं आप पर या पार्टी पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहता हूं. इसलिए मैं पार्टी के विधानमंडल दल के नेता और विधायक पद से त्याग-पत्र दे रहा हूं.
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आजमगढ़ जिले की सगड़ी विधानसभा से बसपा विधायक वंदना सिंह एक दिन पूर्व ही बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं. ऐसे में आजमगढ़ जिले में बसपा को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है. निश्चित रूप से आने वाले विधानसभा के चुनाव में बसपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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हालांकि वहीं शाम को पार्टी मुख्यालय की ओर से जारी बयान में मीटिंग के दरम्यान हुई अंदरूनी बातों को बसपा प्रमुख मायावती ने उजागर किया. इसमें शाह आलम पर एक लड़की के दर्ज कराए गए मुकदमे को वापस कराने के लिए दबाव बनाने की बात कही गई है. पार्टी कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बसपा प्रमुख मायावती के साथ मीटिंग में हुई बातों की जानकारी दी गयी. जिसमें कहा गया कि शाह आलम के पार्टी छोड़ने का कोई विशेष कारण नहीं है, बल्कि इन पर एक लड़की ने मुकदमा दर्ज कराया है. इनकी कंपनी में एक लड़की काम करती थी. उसने इनके चरित्र पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसकी विवेचना पुलिस कर रही है. इस मामले को मुख्यमंत्री से कहलाकर रफा दफा कराने की बात कह रहे थे. वहीं लड़की सम्बंधी मसले पर बसपा प्रमुख ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. वहीं पुलिस से न्याय न मिलने पर न्यायालय में पक्ष रखने की सलाह दी. वहीं शाह आलम ने मामले में मदद न करने पर पदों से इस्तीफा देने की बात कहकर चले गए थे.