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पुरुष और महिलाओं में बढ़ रही बांझपन की समस्या, जानें क्या हैं प्रमुख कारण - पुरुष और महिला दोनों में पाई जा रही बांझपन की समस्या

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डॉ. आंचल गर्ग ने इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या के बारे में जानकारी दी. डॉ. आंचल गर्ग ने इस गंभीर समस्या से निपटने की पद्धतियों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि टीसा पद्धति से इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है.

पुरुष और महिलाओं में बढ़ रही बांझपन की समस्या.
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Published : Oct 25, 2019, 9:40 AM IST

लखनऊ: बदलती जीवनशैली में लगातार की जा रही भागदौड़ से हमारा शरीर बीमारियों का घर होता जा रहा है. यह बीमारियां कभी बाहरी तौर पर देखने का मिलती है, तो कभी अंदर ही अंदर शरीर में घर कर जाती हैं. इन्हें पता लगाना और उनका इलाज करवाना मुश्किल होता जाता है. इन्हीं में से एक इनफर्टिलिटी की समस्या भी है, जो आजकल पुरुष और महिलाओं दोनों में ही पाई जाने लगी है.

बांझपन की समस्या के बारे में जानकारी देती डॉ. आंचल गर्ग.

नोवा आईवीआई फर्टिलिटी लखनऊ की फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. आंचल गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि एक ऐसी स्थिति है, जो बच्चों के गर्भधान को रोकती है. यह एक आमधारणा है कि इनफर्टिलिटी यानी बांझपन मुख्य रूप से महिला से संबंधित बीमारी होती है, लेकिन हकीकत यह है कि सिर्फ एक तिहाई बांझपन के मामले में ही महिला पर केंद्रित होती है. अगर आंकड़ों को देखें तो बांझपन की एक तिहाई समस्या पुरुषों से संबंधित होती हैं और बाकी की एक तिहाई कुछ अन्य कारणों से होती है. इसमें कई कारण ऐसे भी हैं, जो अभी तक पता नहीं लगाए जा सके हैं.

जिम में अधिक वक्त बिताने से बढ़ रही बांझपन की समस्या
डॉ. गर्ग कहती हैं कि आजकल हमारे पास ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जिनमें पुरुषों में बांझपन की समस्या इसलिए सामने आ रही है, क्योंकि वे जिम में अधिक वक्त बिताते हैं. साथ ही अनाबॉलिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से उनके शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और स्पर्म काउंट कम होने की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या सामने आती है.

इसे भी पढ़ें- उपचुनाव नतीजाः भाजपा को एक सीट का नुकसान, सपा ने हासिल की तीन सीटें
बांझपन के पूरे कारणों में देखा जाए तो 40% मामलों में पुरुषों में समस्या होती है. 40% मामलों में महिलाओं में समस्या होती है जबकि 20% ऐसे कारण होते हैं जिनमें पुरुष और महिलाओं दोनों में समस्या होती है या फिर उनके कारणों का पता नहीं चल पाता.

बांझपन से निजात दिलाती है टीसा पद्धति
डॉ. गर्ग ने बताया कि पुरुषों में बांझपन के कारण से निजात पाने के लिए एक नई पद्धति आई है जिसे टीसा पद्धति कहा जाता है. इसका अर्थ है टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन. यह पद्धति उन लोगों के लिए होती है जिनको एजोस्पर्मिया नामक बीमारी होती है. इस बीमारी में वीर्य में शुक्राणुओं का बनना बंद हो जाता है, जिसके बाद उनके बायोप्सी कर उनके स्पर्म एस्पिरेशन कर महिला के अंडों से मिलान किया जाता है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: चुनाव नतीजों के बाद मुलायम पहुंचे अखिलेश से मिलने
डॉ. गर्ग कहती है कि टीसा पद्धति काफी कारगर साबित हुई है. खास बात यह है कि हर महीने हमारी ओपीडी में लगभग तीन से चार ऐसे केस सामने आते हैं, जिनमें इस पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है और उन्हें फायदा भी मिला है.

लखनऊ: बदलती जीवनशैली में लगातार की जा रही भागदौड़ से हमारा शरीर बीमारियों का घर होता जा रहा है. यह बीमारियां कभी बाहरी तौर पर देखने का मिलती है, तो कभी अंदर ही अंदर शरीर में घर कर जाती हैं. इन्हें पता लगाना और उनका इलाज करवाना मुश्किल होता जाता है. इन्हीं में से एक इनफर्टिलिटी की समस्या भी है, जो आजकल पुरुष और महिलाओं दोनों में ही पाई जाने लगी है.

बांझपन की समस्या के बारे में जानकारी देती डॉ. आंचल गर्ग.

नोवा आईवीआई फर्टिलिटी लखनऊ की फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. आंचल गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि एक ऐसी स्थिति है, जो बच्चों के गर्भधान को रोकती है. यह एक आमधारणा है कि इनफर्टिलिटी यानी बांझपन मुख्य रूप से महिला से संबंधित बीमारी होती है, लेकिन हकीकत यह है कि सिर्फ एक तिहाई बांझपन के मामले में ही महिला पर केंद्रित होती है. अगर आंकड़ों को देखें तो बांझपन की एक तिहाई समस्या पुरुषों से संबंधित होती हैं और बाकी की एक तिहाई कुछ अन्य कारणों से होती है. इसमें कई कारण ऐसे भी हैं, जो अभी तक पता नहीं लगाए जा सके हैं.

जिम में अधिक वक्त बिताने से बढ़ रही बांझपन की समस्या
डॉ. गर्ग कहती हैं कि आजकल हमारे पास ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जिनमें पुरुषों में बांझपन की समस्या इसलिए सामने आ रही है, क्योंकि वे जिम में अधिक वक्त बिताते हैं. साथ ही अनाबॉलिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से उनके शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और स्पर्म काउंट कम होने की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या सामने आती है.

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बांझपन के पूरे कारणों में देखा जाए तो 40% मामलों में पुरुषों में समस्या होती है. 40% मामलों में महिलाओं में समस्या होती है जबकि 20% ऐसे कारण होते हैं जिनमें पुरुष और महिलाओं दोनों में समस्या होती है या फिर उनके कारणों का पता नहीं चल पाता.

बांझपन से निजात दिलाती है टीसा पद्धति
डॉ. गर्ग ने बताया कि पुरुषों में बांझपन के कारण से निजात पाने के लिए एक नई पद्धति आई है जिसे टीसा पद्धति कहा जाता है. इसका अर्थ है टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन. यह पद्धति उन लोगों के लिए होती है जिनको एजोस्पर्मिया नामक बीमारी होती है. इस बीमारी में वीर्य में शुक्राणुओं का बनना बंद हो जाता है, जिसके बाद उनके बायोप्सी कर उनके स्पर्म एस्पिरेशन कर महिला के अंडों से मिलान किया जाता है.

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डॉ. गर्ग कहती है कि टीसा पद्धति काफी कारगर साबित हुई है. खास बात यह है कि हर महीने हमारी ओपीडी में लगभग तीन से चार ऐसे केस सामने आते हैं, जिनमें इस पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है और उन्हें फायदा भी मिला है.

Intro:लखनऊ। बदलती जीवनशैली में जहां हमारी भागदौड़ अधिक होती जा रही है वहीं शरीर की बीमारियों का घर होता जा रहा है। यह बीमारियां कभी-कभी बाहरी तौर पर देखती है तो कभी-कभी समय के साथ अंदर ही अंदर शरीर में घर कर जाती हैं और वक्त आने पर इन्हें पता लगाना और उनका इलाज करवाना मुश्किल होता जाता है। इन्हीं में से एक इनफर्टिलिटी की समस्या भी है जो आजकल पुरुष और महिलाओं दोनों में ही पाई जाने लगी है। इसके बारे में फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ आंचल गर्ग ने कुछ जानकारी दी।


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नोवा आईवीआई फर्टिलिटी लखनऊ की फर्टिलिटी कंसलटेंट डॉ आंचल गर्ग ने बताया कि एक ऐसी स्थिति है जो बच्चों के गर्भधान को रोकती है। यह एक आम धारणा है कि इनफर्टिलिटी यानी बांझपन मुख्य रूप से महिला से संबंधित बीमारी होती है लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ एक तिहाई बांझपन के मामले में ही महिला पर केंद्रित होती है। अगर आंकड़ों को देखें तो बांझपन की एक तिहाई समस्या पुरुषों से संबंधित होती हैं और बाकी की एक तिहाई कुछ अन्य कारणों से होती है। इसमें कई कारण ऐसे भी हैं जो अभी तक पता नहीं चल पाए हैं।

डॉक्टर गर्ग कहती है कि आजकल हमारे पास ऐसे कई मामले आ रहे हैं जिनमें पुरुषों में बांझपन की समस्या इसलिए सामने आ रही है क्योंकि वह जिम में अधिक वक्त बिताते हैं। साथ ही अनाबॉलिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से उनके शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और स्पर्म काउंट कम होने की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या सामने आती है।

वह कहती है कि बांझपन के पूरे कारणों में देखा जाए तो 40% मामलों में पुरुषों में समस्या होती है और 40% मामलों में महिलाओं में समस्या होती है जबकि 20% ऐसे कारण होते हैं जिनमें या तो पुरुष और महिलाओं दोनों में समस्या होती है या फिर उनके कारणों का पता नहीं चल पाता।

पुरुषों में बांझपन के कारण से निजात पाने के लिए डॉ आंचल गर्ग ने एक नई पद्धति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इनफर्टिलिटी के लिए एक नई पद्धति आई है जिसे टेसा पद्धति कहा जाता है। इसका अर्थ है टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन यह पद्धति उन लोगों के लिए होती है जिनको एजोस्पर्मिया नामक बीमारी होती है। इस बीमारी में वीर्य में शुक्राणुओं का बनना बंद हो जाता है जिसके बाद उनके बायोप्सी की जाती है और उनके स्पर्म एस्पिरेशन कर महिला के अंडों से मिलान किया जाता है।


Conclusion:डॉ आँचल कहती है कि टेसा पद्धति काफी कारगर साबित हुई है। एक खास बात यह है कि हर महीने हमारी ओपीडी में लगभग तीन से चार ऐसे केस सामने आते हैं जिनमें इस पद्धति का इस्तेमाल किया जा सकता है और उन्हें फायदा भी मिला है।

बाइट- डॉक्टर आंचल गर्ग फर्टिलिटी कंसलटेंट

रामांशी मिश्रा
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