सलूम्बर (उदयपुर). जयसमंद झील किनारे बसे किसानों की फसलें जलमग्न हो गई है. गरीब किसान मक्के की डुबती फसल आखिरी दम तक निकालते रहे हैं. जयसमंद झील में बढ़ते पानी से झील किनारे बसे किसानों की फसलें डुब क्षेत्र में डुब गई. जिससे किसानों को निराशा हाथ लगी है. वहीं किसान अपनी डूबती फसल काटकर नाव से ले जा रहे हैं.
बता दें कि यह हाल है सलूम्बर उपखंड क्षेत्र के जयसमंद झील किनारे बसे उन गरीब किसानों की जिन्हें जयसमन्द रूण क्षेत्र में किसानों को सरकार 10 वर्ष तक एलोटमेंट पर जमीन देती है. जब जयसमंद पेटा खाली रहता है तब ये किसान मक्का और गेहुं की फसल उगाते हैं. इसी से किसान अपनी गरीब जिंदगी का पोषण करते हैं. लेकिन इस वर्ष की अच्छी बारिश ने जयसमंद झील को भरने के कगार पर रख दिया.
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जयसमंद किनारे बसे करीब 25 गांवों के किसान और मछुआरें इसी झील में और इसकी जमीन पर जीवनयापन करते हैं. हजारों एकड़ जमीन पर इस साल मक्का की भरपूर फसल लहरा रही थी. मात्र 15 दिन बाकी थे फसल काटने के लिए लेकिन ज्यों-ज्यों पानी भरता गया, किसानों ने मजबूरी में अपनी कच्ची फसल काटना शुरू कर दिया. उस कटी फसलों को मवेशियों के चारे के काम में उपयोग करने लगे. जिससे मायुस किसान परिवार नांव के सहारे डुबती मक्का की फसल गले तक पानी में उन्हें काटना पड़ा. इधर कोटड़ा गांव में अधिकांश भील और मीणा जाति के किसान नाव से डुबती फसल को काटकर बाहर निकाल रहे हैं. जो फसल इस साल न राम की है ना काम की रही.
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इस वर्ष अच्छी बारिश से जयसमंद झील में लगातार पानी की आवक जारी है. जिससे झील के लबालब होने की पुरी संभावना जताई जा रही है. झील किनारे बसे कोटड़ा, सियाल कोटड़ा, सिंघावली, पाटन, पायरी, मैथूड़ी, घाटी, चिबोडा, भैंसों का नामला, गुरीया और करीब 25 गांवों के किसानों के जीवन पर संकट आ चुका है. खेतों में खड़ी फसल जो पकने की कगार पर थी, वह फसलें जयसमंद के बढ़ते जलस्तर से पानी में जलमग्न हो गई हैं.
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साथ ही बची हुई फसलों को नाव की मदद से ला कर मवेशियों के चारों की भरपाई की जा रही हैं. इन किसानों पर आने वाले दिनों में मवेशियों के चारे की चिंता सता रही है. अब इन पीड़ित किसानों को प्रशासन से आस है कि वो इस विकट स्थिति में उनका मददगार बनेगा.