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जयसमंद झील के किनारे खेतों में भरा पानी, बची हुई फसलों को नाव में ले जाने के लिए मजबूर किसान

उदयपुर के सलूम्बर उपखंड क्षेत्र के जयसमंद झील किनारे बसे किसानों की फसलें जलमग्न हो गई. किसान बची फसलों को नाव में ले जाने को मजबूर हो रहे हैं. किसानों को अब प्रशासन से मदद की दरकार है.

water fills in field of farmer, jaisamand lake waste farmer crop, किसानों की फसलें जलमग्न, सलूम्बर के किसानों की फसल बर्बाद
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Published : Sep 18, 2019, 1:23 PM IST

सलूम्बर (उदयपुर). जयसमंद झील किनारे बसे किसानों की फसलें जलमग्न हो गई है. गरीब किसान मक्के की डुबती फसल आखिरी दम तक निकालते रहे हैं. जयसमंद झील में बढ़ते पानी से झील किनारे बसे किसानों की फसलें डुब क्षेत्र में डुब गई. जिससे किसानों को निराशा हाथ लगी है. वहीं किसान अपनी डूबती फसल काटकर नाव से ले जा रहे हैं.

उदयपुर के सलूम्बर के किसानों की फसल हुई जलमग्न

बता दें कि यह हाल है सलूम्बर उपखंड क्षेत्र के जयसमंद झील किनारे बसे उन गरीब किसानों की जिन्हें जयसमन्द रूण क्षेत्र में किसानों को सरकार 10 वर्ष तक एलोटमेंट पर जमीन देती है. जब जयसमंद पेटा खाली रहता है तब ये किसान मक्का और गेहुं की फसल उगाते हैं. इसी से किसान अपनी गरीब जिंदगी का पोषण करते हैं. लेकिन इस वर्ष की अच्छी बारिश ने जयसमंद झील को भरने के कगार पर रख दिया.

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जयसमंद किनारे बसे करीब 25 गांवों के किसान और मछुआरें इसी झील में और इसकी जमीन पर जीवनयापन करते हैं. हजारों एकड़ जमीन पर इस साल मक्का की भरपूर फसल लहरा रही थी. मात्र 15 दिन बाकी थे फसल काटने के लिए लेकिन ज्यों-ज्यों पानी भरता गया, किसानों ने मजबूरी में अपनी कच्ची फसल काटना शुरू कर दिया. उस कटी फसलों को मवेशियों के चारे के काम में उपयोग करने लगे. जिससे मायुस किसान परिवार नांव के सहारे डुबती मक्का की फसल गले तक पानी में उन्हें काटना पड़ा. इधर कोटड़ा गांव में अधिकांश भील और मीणा जाति के किसान नाव से डुबती फसल को काटकर बाहर निकाल रहे हैं. जो फसल इस साल न राम की है ना काम की रही.

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इस वर्ष अच्छी बारिश से जयसमंद झील में लगातार पानी की आवक जारी है. जिससे झील के लबालब होने की पुरी संभावना जताई जा रही है. झील किनारे बसे कोटड़ा, सियाल कोटड़ा, सिंघावली, पाटन, पायरी, मैथूड़ी, घाटी, चिबोडा, भैंसों का नामला, गुरीया और करीब 25 गांवों के किसानों के जीवन पर संकट आ चुका है. खेतों में खड़ी फसल जो पकने की कगार पर थी, वह फसलें जयसमंद के बढ़ते जलस्तर से पानी में जलमग्न हो गई हैं.

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साथ ही बची हुई फसलों को नाव की मदद से ला कर मवेशियों के चारों की भरपाई की जा रही हैं. इन किसानों पर आने वाले दिनों में मवेशियों के चारे की चिंता सता रही है. अब इन पीड़ित किसानों को प्रशासन से आस है कि वो इस विकट स्थिति में उनका मददगार बनेगा.

सलूम्बर (उदयपुर). जयसमंद झील किनारे बसे किसानों की फसलें जलमग्न हो गई है. गरीब किसान मक्के की डुबती फसल आखिरी दम तक निकालते रहे हैं. जयसमंद झील में बढ़ते पानी से झील किनारे बसे किसानों की फसलें डुब क्षेत्र में डुब गई. जिससे किसानों को निराशा हाथ लगी है. वहीं किसान अपनी डूबती फसल काटकर नाव से ले जा रहे हैं.

उदयपुर के सलूम्बर के किसानों की फसल हुई जलमग्न

बता दें कि यह हाल है सलूम्बर उपखंड क्षेत्र के जयसमंद झील किनारे बसे उन गरीब किसानों की जिन्हें जयसमन्द रूण क्षेत्र में किसानों को सरकार 10 वर्ष तक एलोटमेंट पर जमीन देती है. जब जयसमंद पेटा खाली रहता है तब ये किसान मक्का और गेहुं की फसल उगाते हैं. इसी से किसान अपनी गरीब जिंदगी का पोषण करते हैं. लेकिन इस वर्ष की अच्छी बारिश ने जयसमंद झील को भरने के कगार पर रख दिया.

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जयसमंद किनारे बसे करीब 25 गांवों के किसान और मछुआरें इसी झील में और इसकी जमीन पर जीवनयापन करते हैं. हजारों एकड़ जमीन पर इस साल मक्का की भरपूर फसल लहरा रही थी. मात्र 15 दिन बाकी थे फसल काटने के लिए लेकिन ज्यों-ज्यों पानी भरता गया, किसानों ने मजबूरी में अपनी कच्ची फसल काटना शुरू कर दिया. उस कटी फसलों को मवेशियों के चारे के काम में उपयोग करने लगे. जिससे मायुस किसान परिवार नांव के सहारे डुबती मक्का की फसल गले तक पानी में उन्हें काटना पड़ा. इधर कोटड़ा गांव में अधिकांश भील और मीणा जाति के किसान नाव से डुबती फसल को काटकर बाहर निकाल रहे हैं. जो फसल इस साल न राम की है ना काम की रही.

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इस वर्ष अच्छी बारिश से जयसमंद झील में लगातार पानी की आवक जारी है. जिससे झील के लबालब होने की पुरी संभावना जताई जा रही है. झील किनारे बसे कोटड़ा, सियाल कोटड़ा, सिंघावली, पाटन, पायरी, मैथूड़ी, घाटी, चिबोडा, भैंसों का नामला, गुरीया और करीब 25 गांवों के किसानों के जीवन पर संकट आ चुका है. खेतों में खड़ी फसल जो पकने की कगार पर थी, वह फसलें जयसमंद के बढ़ते जलस्तर से पानी में जलमग्न हो गई हैं.

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साथ ही बची हुई फसलों को नाव की मदद से ला कर मवेशियों के चारों की भरपाई की जा रही हैं. इन किसानों पर आने वाले दिनों में मवेशियों के चारे की चिंता सता रही है. अब इन पीड़ित किसानों को प्रशासन से आस है कि वो इस विकट स्थिति में उनका मददगार बनेगा.

Intro:उदयपुर जिले के सलूम्बर उपखंड क्षेत्र के जयसमंद झील किनारे बसे किसानों की फसलें हुई जलमग्न, बची फसलों को नाव में ले जाने की मजबूरी बनी.Body:सलूम्बर (उदयपुर). आखिरी दम तक निकालते रहे गरीब किसान मक्की की डुबती फसल फिर भी किसानों की फसल लगातार विश्व प्रसिद्ध जयसमंद झील में बढते पानी से झील किनारे बसे किसानों की फसलें डुब क्षेत्र में डुब गई और किसानों को हाथ लगी निराशा, जी हा यह हाल है उदयपुर जिले के सलूम्बर उपखंड क्षेत्र के जयसमंद झील किनारे बसे उन गरीब किसानों की जिन्हें जयसमन्द रूण क्षैत्र में किसानों को सरकार 10 वर्ष तक एलोटमेन्ट पर जमीन देती हैं, तब तक जयसमन्द पेटा खाली रहता हैं तब ये किसान मक्का की व गैंहुं की फसल कमा लेते हैं, तथा अपनी गरीब जिन्दगी का पोषण कर लेते हैं, लेकिन इस वर्ष की अच्छी बारीश ने जयसमन्द झील को भरने के कगार पर रख दिया. जयसमन्द किनारे बसे करीब 25 गांवों के किसान व मछुआरें इसी जयसमन्द झील में तथा इसकी जमीन पर जीवनयापन करते हैं. हजारों एकड जमीन पर इस वर्ष मक्का की भरपूर फसल लहरा रही थी, मात्र 15 दिन शेष रहे थे फसल काटने के लेकिन ज्यों-ज्यों पानी भरता गया, किसानों ने मजबूरी में अपनी कच्ची फसल काटना शुरू कर दिया और उस कटी फसलों को मवेशियों के चारे के काम में उपयोग करने लगे, लेकिन कब तक अधिक चारा होने पर सुखाने काबिल नही, जिससे मायुस किसान परिवार अपने छोटे बच्चों को लेकर नांव के सहारे डुबती मक्का की फसल गले तक पानी में काटना उनकी मजबूरी बनी हुई हैं. इधर पानी कोटडा गांव में अधिकांश भील व मीणा जाति के किसान नाव से डुबती फसल को काटकर बाहर निकाल रहे हैं जो फसल इस वर्ष न राम की हैं ना काम की रही.

विजुअल। जयसमंद रुण क्षेत्र में नाव की मदद से डूबती फसल को काटकर किनारे लाता मायूस किसान।

बाइट। हमेर सिंह, स्थानीय निवासीConclusion:बता दें कि इस वर्ष अच्छी बारिश से जयसमंद झील में लगातार पानी की आवक जारी हैं, जिससे झील के लबालब होने की पुरी संभावना जताई जा रही हैं, जिससे झील किनारे बसे कोटडा, सियाल कोटडा, सिंघावली, पाटन, पायरी, मैथूडी, घाटी, चिबोडा, भैंसों का नामला, गुरीया व करीब 25 गांवों के किसानों के जीवन पर संकट आ चुका है और खेतों में खड़ी फसल जो पकने की कगार पर थी, वह फसलें जयसमंद के बढते जल स्तर से पानी में जलमग्न हो गई हैं. तथा साथ ही बची हुई फसलों को नाव की मदद से ला कर मवेशियों के चारों की भरपाई की जा रही हैं. पर आने वाले दिनों में मवेशियों के चारे की चिंता इन किसानों को सत्ता रही हैं. अब इन पिडित किसानों को प्रसासन से आस है कि, वो इस विकट स्थिति में हमारा मददगार बनेगा.
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