सिरोही. जिले के आबूरोड़ में मंगलवार को आकराभट्टा की महिलाओं ने रोजगार देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. महिला का कहना है कि लॉकडाउन में उनके पास कोई रोजगार का साधन नहीं है. जिसके चलते उनको मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है और परिवार चलाने में परेशानी आ रही है.
कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद हुए लॉकडाउन में मजदूर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है. रोज कमाकर अपना पेट पालने वाले लोगों के आगे अब खाने की संकट पैदा हो गई है. ऐसे में जिले के सबसे बड़े शहर आबूरोड़ जहां आसपास का पूरा इलाका ग्रामीण है और मजदूर वर्ग का तबका है.
पढ़ें- घटता पानी, जूझते लोग और प्रशासन के दावों के बीच हांफता हैंडपंप...कुछ ऐसी ही है आदिवासियों की जिंदगी
नगरपालिका क्षेत्र में आने वाले आकराभट्टा की महिलाओं ने मंगलवार को नगरपालिका कार्यालय पहुंचकर नगरपालिका के खिलाफ नारेबाजी कर रोजगार देने की मांग की. इन दौरान दर्जनों महिलाएं मौजूद रही.
महिलाओं का कहना था कि जितना उनके पास था, सब अब खत्म होने पर है और घर में पुरुषों के लिए कोई काम नहीं है. पुरुष ज्यादातर ऑटो, टैक्सी चलाते है, पर लॉकडाउन के बाद सभी काम बंद पड़े है. ऐसे में पुरुष भी घर पर ही है. लॉकडाउन से पूर्व महिलाएं एक निजी संस्थान में काम पर जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते वहां काम नहीं है. ऐसे में उनके सामने भारी मुसीबत खड़ी हुई है.
पढ़ें- राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर सील, 7 मई के बाद से अब कैसे हैं हालात...देखिए ग्राउंड रिपोर्ट
बता दें कि ग्रामीण इलाकों में तो मनरेगा के तहत ग्रामीणों को महिलाओं और पुरुषों को रोजगार मिल रहा है, पर शहरी क्षेत्र में इस प्रकार की कोई योजना नहीं है. जिसके चलते परेशानी हो रही है. सरकार को शहरी क्षेत्र के गरीब परिवारों के लिए कोई योजना बनाकर, उन्हें रोजगार देने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए.