सीकर. राजस्थान की प्रसिद्ध वनस्पति कैर सांगरी की सब्जी को भला कौन नहीं जानता. थाली में स्वाद का जायका बढ़ाने के साथ-साथ यह सब्जी औषधीय गुणों से भी भरपूर होती है. अमूमन गर्मी के मौसम में कैर की बंपर आवक होती है और उसी वक्त लोग हरे कैर की सब्जी ज्यादा खाते हैं. उसके बाद कैर को सुखाकर काम में लिया जाता है और साल भर अचार के रूप में इसका स्वाद लिया जाता है. इस बार बेमौसम का कैर बाजार में खूब आ रहा है.
सीकर जिले में अप्रैल-मई के महीने में कैर की बंपर आवक होती है. फतेहपुर, बीड़ और आसपास के इलाके का कैर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. पिछले साल सर्दी ज्यादा पड़ने की वजह से कैर को पाला मार गया था. लिहाजा, इस बार की गर्मियों में बहुत कम कैर बाजार में आया पाया. अब सर्दी के मौसम में कैर की झाड़ियां कैरों से लकदक हैं. सीकर आने-जाने वाले मार्गों पर रास्ते में जगह-जगह कैर बेचने वाले नजर आ रहे हैं और इनके पास खरीदार भी अच्छी तादाद में आ रहे हैं.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि हर बार अक्टूबर-नवंबर के महीने में कुछ जगह थोड़े बहुत कैर लगते हैं. गर्मी के मौसम में बंपर आवक होती है. इस बार उल्टा हो रहा है. इस बार सर्दियों में कैर की बम्पर पैदावार हो रही है.
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150 से 200 रुपये किलो में हो रही बिक्री
कैर की पैदावार में देरी होने की वजह से इसके भाव भी विक्रेताओं को अच्छे मिल रहे हैं. बाजार में कैर के भाव डेढ़ सौ से 200 रुपए किलो तक हैं. जंगल में झाड़ों से कैर तोड़कर बेचने वाले बंजारा समाज के लोगों को भी लंबे समय बाद रोजगार मिला है. गर्मी में कैर की आवक नहीं होने से इन लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया था और लॉकडाउन के कारण भी ये कैर नहीं तोड़ पाए थे. लेकिन अब बंजारों का काम धंधा अच्छा चलने लगा है.
औषधीय गुणों से भरपूर है केर की सब्जी
जंगली कैर औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इस वक्त तो कोरोना वायरस की वजह से इसका उपयोग और ज्यादा बढ़ रहा है. क्योंकि इसे इम्यूनिटी बढ़ाने वाली सब्जी माना जाता है. जानकारों का कहना है कि यह पेट की बीमारियों को दूर करती है और हाजमा सही करती है. कैर सांगरी की सब्जी से त्वचा संबंधी रोग भी ठीक होते हैं. जिस वक्त इसकी आवक बाजार में होती है उस वक्त हरे कैर की सब्जी बनाई जाती है. सब्जी तो कैर की स्वाद बनती ही है, कैर का अचार भी लोग चाव से खाते हैं.