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श्री द्वारकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पर्व, 300 सालों से चली आ रही है यह परंपरा

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Published : Oct 28, 2019, 4:52 PM IST

राजसमंद के कांकरोली स्थित द्वारकाधीश मंदिर में करीब 300 साल से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करते हुए गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान द्वारकाधीश अपने निज मंदिर से बाहर निकलते हैं और गोवर्धन चौक में करीब 2 घंटे तक विराजते हैं. यहां गोवर्धन पर्वत की पूजा मंदिर के महाराज द्वारा की जाती है.

राजसमंद न्यूज, RAJSAMAND NEWS

राजसमंद. जिले के कांकरोली स्थित द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश के निज मंदिर से ठाकुर जी की पालकी गोवर्धन चौक पहुंची. यहां द्वारकाधीश जी विराजे और उसके बाद गाय के गोबर से बनी गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा अर्चना की गई. साथ ही गो माता ने गोवर्धन पर्वत लांघकर रस्म को विधिवत संपन्न किया.

द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया गया

बता दें कि साल में यह ऐसा मौका होता है, जब द्वारकाधीश जी अपने निज मंदिर से बाहर निकलते हैं और गोवर्धन चौक में करीब 2 घंटे तक विराजते हैं. यहां गोवर्धन पर्वत की पूजा मंदिर के महाराज श्री द्वारा की जाती है.

पढ़ेंः मोदी सरकार की दीपावली : पीएम ने राजौरी तो केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने सैनिकों संग मनाई दिवाली, मुंह मीठा करा दी शुभकामनाएं

गोवर्धन पर्वत के पूजा रस्म के साथ ही मंदिर में बैंड द्वारा मधुर स्वर लहरियां बिखेरी गई. वहीं दर्जनों गो माता उनके समक्ष खड़ी हुई थी. इस अलौकिक दर्शन का लाभ लेने हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां मौजूद रहे. गोवर्धन पूजा के बाद ठाकुर जी अपने निज मंदिर के लिए प्रस्थान कर गए.

गोबर का प्रसाद किया जाता है वितरित

वहीं गोवर्धन पर्वत की पुजा के बाद श्रद्धालुओं ने गोवर्धन परिक्रमा कर वहां से गोवर्धन पर्वत जो कि गाय के गोबर से बनी हुई थी. वह गोबर प्रसाद के रूप में लेकर रवाना हुए. ऐसी मान्यता है कि घर में इसको रखने से घर में कभी अन्न-धन की कमी नहीं होती.

पढ़ेंः गोवर्धन पूजन के लिए जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

इस पूरे अलौकिक दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से वैष्णव जन कांकरोली स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ द्वारिकाधीश मंदिर पहुंचे. भगवान श्री द्वारकाधीश के दर्शनों का लाभ लिया. यह परंपरा करीब साढ़े 300 साल पुरानी परंपरा है, जो इसी प्रकार से चली आ रही है. अलौकिक परंपरा को विधिवत पूर्ण हर साल संपन्न किया जाता है.

राजसमंद. जिले के कांकरोली स्थित द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश के निज मंदिर से ठाकुर जी की पालकी गोवर्धन चौक पहुंची. यहां द्वारकाधीश जी विराजे और उसके बाद गाय के गोबर से बनी गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा अर्चना की गई. साथ ही गो माता ने गोवर्धन पर्वत लांघकर रस्म को विधिवत संपन्न किया.

द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया गया

बता दें कि साल में यह ऐसा मौका होता है, जब द्वारकाधीश जी अपने निज मंदिर से बाहर निकलते हैं और गोवर्धन चौक में करीब 2 घंटे तक विराजते हैं. यहां गोवर्धन पर्वत की पूजा मंदिर के महाराज श्री द्वारा की जाती है.

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गोवर्धन पर्वत के पूजा रस्म के साथ ही मंदिर में बैंड द्वारा मधुर स्वर लहरियां बिखेरी गई. वहीं दर्जनों गो माता उनके समक्ष खड़ी हुई थी. इस अलौकिक दर्शन का लाभ लेने हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां मौजूद रहे. गोवर्धन पूजा के बाद ठाकुर जी अपने निज मंदिर के लिए प्रस्थान कर गए.

गोबर का प्रसाद किया जाता है वितरित

वहीं गोवर्धन पर्वत की पुजा के बाद श्रद्धालुओं ने गोवर्धन परिक्रमा कर वहां से गोवर्धन पर्वत जो कि गाय के गोबर से बनी हुई थी. वह गोबर प्रसाद के रूप में लेकर रवाना हुए. ऐसी मान्यता है कि घर में इसको रखने से घर में कभी अन्न-धन की कमी नहीं होती.

पढ़ेंः गोवर्धन पूजन के लिए जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

इस पूरे अलौकिक दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से वैष्णव जन कांकरोली स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ द्वारिकाधीश मंदिर पहुंचे. भगवान श्री द्वारकाधीश के दर्शनों का लाभ लिया. यह परंपरा करीब साढ़े 300 साल पुरानी परंपरा है, जो इसी प्रकार से चली आ रही है. अलौकिक परंपरा को विधिवत पूर्ण हर साल संपन्न किया जाता है.

Intro:राजसमंद- जिले के कांकरोली स्थित द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश के निज मंदिर से ठाकुर जी की पालकी गोवर्धन चौक पहुंची जहां द्वारकाधीश जी विराजे और उसके बाद गाय के गोबर से बनी गोवर्धन पर्वत का विधिवत पूजा अर्चना की गई और गौ माता ने गोवर्धन पर्वत लांग कर रस्म को विधिवत संपन्न किया। वर्ष में यह ऐसा मौका होता है कि जब द्वारकाधीश जी अपने निज मंदिर से बाहर निकलते हैं और गोवर्धन चौक में करीब 2 घंटे तक विराजते रहे जहां गोवर्धन पर्वत की पूजा मंदिर के महाराज श्री द्वारा किया गया इधर चल रहे गोवर्धन पर्वत के पूजा रस्म के साथ ही मंदिर बैंड द्वारा मधुर स्वर लहरियां बिखेरी जा रही थी तो वही दर्जनों गौ माता उनके समक्ष खड़ी हुई थी। इस अलौकिक दर्शन का लाभ लेने हजारों की संख्या में Body:श्रद्धालु वहां मौजूद रहे। गोवर्धन पूजा के बाद जब ठाकुर जी अपने निज मंदिर के लिए प्रस्थान कर गए। उसके बाद श्रद्धालुओं ने गोवर्धन परिक्रमा कर वहां से गोवर्धन पर्वत जो कि गाय के गोबर से बनी हुई थी वह गोबर प्रसाद के रूप में लेकर रवाना हुए मान्यता है कि घर में इसको रखने से घर में कभी अन्न- धन की कमी नहीं होती इस पूरे अलौकिक दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से वैष्णव जन कांकरोली स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ द्वारिकाधीश मंदिर पहुंचे और भगवान श्री द्वारकाधीश के दर्शनों का लाभ लिया आप यह परंपरा करीब साढे 300 वर्ष पुरानी परंपरा है जो इसी प्रकार से चली आ रही है अलौकिक परंपरा को विधिवत पूर्ण हर वर्ष संपन्न किया जाता है.Conclusion:
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