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Special: श्री द्वारिकाधीश मंदिर पर कोरोना की मार, आर्थिक संकट से जूझ रहा मंदिर प्रशासन - भगवान श्री द्वारिकाधीश

वैश्विक महामारी के दौर में मंदिरों पर भी खासा प्रभाव पड़ा. इसी क्रम में राजसमंद जिले में कांकरोली स्थित पुष्टि संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर भी शामिल है. पिछले 6 महीने से बंद द्वारिकाधीश मंदिर प्रशासन पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ा है. ऊपर से श्रद्धालुओं के नहीं आने के चलते भेंट राशि का आना पूरी तरह रुक गया है. पढ़ें पूरी खबर...

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श्री द्वारिकाधीश मंदिर पर कोरोना की मार
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Published : Sep 12, 2020, 9:41 PM IST

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जुझ रही है. इसका काफी गहरा प्रभाव मंदिरों पर भी पड़ा है. इसके चलते काफी दिनों तक मंदिर के कपाट बंद रहे. इससे मंदिर प्रशासन को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. दरअसल, मंदिर प्रशासन के आय का मुख्य स्रोत श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई जाने वाली भेंट राशि होती है. इसके अलावा मंदिर की व्यवस्था में भी श्रद्धालु बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल राजसमंद जिले के कांकरोली स्थित पुष्टि संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर की है, जो कोरोना संक्रमण के चलते काफी लंबे समय से बंद है.

श्री द्वारिकाधीश मंदिर पर कोरोना की मार

बता दें कि देश दुनिया से लाखों की तादाद में श्रद्धालु भगवान श्री द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं और यहां प्रभु के दर्शन का आनंद लेते हैं. लेकिन पिछले 6 महीनों से प्रभु श्री द्वारिकाधीश का यह मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. खास बात यह रही कि इस महामारी के दौर में भी प्रभु श्री द्वारकाधीश के मंदिर में प्रभु की सेवा में किसी तरह का कोई कमी नहीं की गई और ना हीं कोई बदलाव किए गए. मंदिर में विराजमान प्रभु के सारे कार्य पहले की भांति पूरे थाट-बाट के साथ संपन्न हो रहे हैं. लेकिन श्रद्धालुओं के ना आने से द्वारकाधीश मंदिर प्रशासन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है.

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पिछले 6 महीनों से बंद मंदिर

पढ़ें- स्पेशल: बूंदी में बंद होगा काढ़ा पिलाने का सिलसिला, प्रशासनिक उदासीनता बनी बड़ी वजह

मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि मंदिर में हर महीने में करीब 35 से 40 लाख रुपए का खर्चा आता है. साथ ही बताया कि जैसे-जैसे कोविड-19 काल में मंदिर खोलने की अवधि आगे बढ़ती जा रही है. वैसे-वैसे यह संकट और भी गहराता जा रहा है. जहां एक ओर मंदिर के 150 कर्मचारियों को दी जाने वाली मेहनताना में एक बड़ी राशि खर्च होती है. वहीं, दूसरी ओर प्रभु श्री द्वारकाधीश को लगाए जाने वाले भोग प्रसाद में भी मंदिर की आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है.

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मंदिर बंद होने से नहीं आ रही भेंट राशि

बता दें कि मंदिर प्रशासन द्वारा एक गौशाला भी संचालित की जाती है, जिसमें 400 से ज्यादा पशु मौजूद है. इस पर एक बड़ी धनराशि खर्च की जाती है. प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर में भक्तों द्वारा भेंट और प्रसाद की खरीदारी से जो धन अर्जित होता है, वह प्रभु की सेवा में खर्च किया जाता है. परंतु कोरोना के कारण लंबे समय से मंदिर बंद होने के वजह से श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावा और दूसरी सेवा कार्यों में दी जाने वाली राशि का आना बिल्कुल बंद हो गया है.

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नित्य होते हैं भगवान के पूजा-पाठ

इसके चलते मंदिर प्रशासन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. हालांकि, द्वारकाधीश मंदिर प्रशासन द्वारा अभी तक किसी भी कर्मचारी के वेतन में कोई कटौती नहीं की गई है. सारी व्यवस्थाएं पहले की भांति ही यथावत जारी है. वहीं, अभी तक जिला प्रशासन की ओर से अभी मंदिर खोलने के आदेश नहीं दिए गए हैं.

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जुझ रही है. इसका काफी गहरा प्रभाव मंदिरों पर भी पड़ा है. इसके चलते काफी दिनों तक मंदिर के कपाट बंद रहे. इससे मंदिर प्रशासन को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. दरअसल, मंदिर प्रशासन के आय का मुख्य स्रोत श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई जाने वाली भेंट राशि होती है. इसके अलावा मंदिर की व्यवस्था में भी श्रद्धालु बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल राजसमंद जिले के कांकरोली स्थित पुष्टि संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर की है, जो कोरोना संक्रमण के चलते काफी लंबे समय से बंद है.

श्री द्वारिकाधीश मंदिर पर कोरोना की मार

बता दें कि देश दुनिया से लाखों की तादाद में श्रद्धालु भगवान श्री द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं और यहां प्रभु के दर्शन का आनंद लेते हैं. लेकिन पिछले 6 महीनों से प्रभु श्री द्वारिकाधीश का यह मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. खास बात यह रही कि इस महामारी के दौर में भी प्रभु श्री द्वारकाधीश के मंदिर में प्रभु की सेवा में किसी तरह का कोई कमी नहीं की गई और ना हीं कोई बदलाव किए गए. मंदिर में विराजमान प्रभु के सारे कार्य पहले की भांति पूरे थाट-बाट के साथ संपन्न हो रहे हैं. लेकिन श्रद्धालुओं के ना आने से द्वारकाधीश मंदिर प्रशासन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है.

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पिछले 6 महीनों से बंद मंदिर

पढ़ें- स्पेशल: बूंदी में बंद होगा काढ़ा पिलाने का सिलसिला, प्रशासनिक उदासीनता बनी बड़ी वजह

मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि मंदिर में हर महीने में करीब 35 से 40 लाख रुपए का खर्चा आता है. साथ ही बताया कि जैसे-जैसे कोविड-19 काल में मंदिर खोलने की अवधि आगे बढ़ती जा रही है. वैसे-वैसे यह संकट और भी गहराता जा रहा है. जहां एक ओर मंदिर के 150 कर्मचारियों को दी जाने वाली मेहनताना में एक बड़ी राशि खर्च होती है. वहीं, दूसरी ओर प्रभु श्री द्वारकाधीश को लगाए जाने वाले भोग प्रसाद में भी मंदिर की आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है.

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मंदिर बंद होने से नहीं आ रही भेंट राशि

बता दें कि मंदिर प्रशासन द्वारा एक गौशाला भी संचालित की जाती है, जिसमें 400 से ज्यादा पशु मौजूद है. इस पर एक बड़ी धनराशि खर्च की जाती है. प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर में भक्तों द्वारा भेंट और प्रसाद की खरीदारी से जो धन अर्जित होता है, वह प्रभु की सेवा में खर्च किया जाता है. परंतु कोरोना के कारण लंबे समय से मंदिर बंद होने के वजह से श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावा और दूसरी सेवा कार्यों में दी जाने वाली राशि का आना बिल्कुल बंद हो गया है.

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नित्य होते हैं भगवान के पूजा-पाठ

इसके चलते मंदिर प्रशासन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. हालांकि, द्वारकाधीश मंदिर प्रशासन द्वारा अभी तक किसी भी कर्मचारी के वेतन में कोई कटौती नहीं की गई है. सारी व्यवस्थाएं पहले की भांति ही यथावत जारी है. वहीं, अभी तक जिला प्रशासन की ओर से अभी मंदिर खोलने के आदेश नहीं दिए गए हैं.

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