जयपुर : राजस्थान में तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच इस साल कई नेताओं पर पार्टी आलाकमान का भरोसा कायम रहा है. प्रदेश के नेताओं को न सिर्फ प्रदेश में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अहम जिम्मेदारी मिली. राजस्थान में बीते साल सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस को नए साल में प्रतिपक्ष में बैठने और जनता की आवाज उठाने का जिम्मा मिला. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर आलाकमान का भरोसा कायम रहा.
सचिन पायलट को बनाया AICC महासचिव : गहलोत को पहले हरियाणा चुनाव और फिर महाराष्ट्र चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया. इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी पर उन्हें सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर भेजा गया. महाराष्ट्र चुनाव में भी बतौर सीनियर ऑब्जर्वर दो रीजन (75) सीट की जिम्मेदारी मिली. वहीं, सचिन पायलट को पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया.
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कांग्रेस में कई अहम बदलाव : इसके अलावा टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष, रामकेश मीणा को उप नेता प्रतिपक्ष और रफीक खान को मुख्य सचेतक के रूप में नई जिम्मेदारी मिली. इसी तरह पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में धीरज गुर्जर की दूसरी पारी भी इसी साल शुरू हुई, जबकि दिव्या मदेरणा और दानिश अबरार को की राष्ट्रीय सचिव के पद से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में एंट्री भी इसी साल हुई. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि नए साल में कांग्रेस में कई अहम बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं.
गहलोत पर कायम आलाकमान का भरोसा : राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत पर कांग्रेस आलाकमान का भरोसा कायम है. लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस की परंपरागत अमेठी सीट पर सीनियर ऑब्जर्वर के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी गई. हरियाणा चुनाव में भी उन्हें सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर भेजा गया. इसके बाद महाराष्ट्र चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर के रूप में मुंबई और कोंकण रीजन (75 विधानसभा सीटों) में सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया. हालांकि, हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी को आशानुरूप परिणाम नहीं मिले.
पायलट बने महासचिव, छत्तीसगढ़ के प्रभारी: इस साल पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महासचिव के रूप में बड़ी जिम्मेदारी मिली. उन्हें छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी का भी जिम्मा मिला. इस बीच लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी पायलट को बड़ी जिम्मेदारियां पार्टी आलाकमान ने दी. उन्होंने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाली. वायनाड में पहले राहुल गांधी और फिर उपचुनाव में प्रियंका गांधी के लिए प्रचार किया. महाराष्ट्र में उन्हें मराठवाड़ा रीजन की 39 सीटों पर बतौर सीनियर ऑब्जर्वर पार्टी के चुनावी अभियान की कमान सौंपी गई.
गोविंद सिंह डोटासरा के बतौर अध्यक्ष चार साल : राजस्थान गोविंद सिंह डोटासरा ने बतौर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अपने चार साल पूरे किए हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद जनवरी में श्रीकरणपुर चुनाव कांग्रेस ने जीता. फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को आठ सीट मिली और प्रदेश में भाजपा को 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद डोटासरा प्रदेश कांग्रेस का मजबूत चेहरा बनकर उभरे. हालांकि, उपचुनाव में सात में से छह सीटों पर पार्टी की हार से थोड़ी मायूसी है. लेकिन वे संगठन को मजबूत बनाने का दावा कर रहे हैं.
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टीकाराम जूली बने प्रतिपक्ष का चेहरा : विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता तो गंवाई, लेकिन 70 सीट मिली तो प्रतिपक्ष में मजबूती से जनता की आवाज उठाने का हौसला मिला. इस बीच अलवर ग्रामीण से विधानसभा चुनाव जीतकर आए टीकाराम जूली को पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी. विधानसभा के सदन में और बाहर भाजपा सरकार को घेरने में इस साल उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. वे पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थे.
रामकेश मीणा-रफीक खान को भी प्रमोशन : गंगापुर सिटी से विधायक रामकेश मीणा को भी इस साल पार्टी ने अहम जिम्मेदारी दी है. उन्हें विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. इसके साथ ही जयपुर की आदर्श नगर सीट से विधायक रफीक खान को भी मुख्य सचेतक बनाकर अहम जिम्मेदारी दी गई है. इन दोनों की नियुक्ति के साथ ही पार्टी ने कई जातिगत समीकरण भी साधे. ओबीसी से आने वाले प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, दलित वर्ग से आने वाले नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच आदिवसी वर्ग से आने वाले रामकेश मीणा और अल्पसंख्य वर्ग से आने वाले रफीक खान को अहम जिम्मेदारी दी गई है.
धीरज की दिल्ली में दूसरी पारी, दिव्या-दानिश को मौका : कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में इस साल दिव्या मदेरणा और दानिश अबरार की एंट्री हुई. दोनों को संगठन में राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है. दिव्या मदेरणा को जम्मू-कश्मीर में सह प्रभारी बनाकर भेजा गया है. जबकि धीरज गुर्जर की इस साल कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में दूसरी पारी शुरू हुई है. उन्हें दूसरी बार राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है.