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पांच योग मिलने पर आयोजित होता है सुईया पोषण मेला, नाम के पीछे है रोचक कहानी - SUIYA POSHAN MELA 2024

बाड़मेर में भरने वाले सुईया पोषण मेले को लेकर एक रोचक कहानी है. इसका आयोजन निश्चित डेट पर नहीं, विशेष संयोग पर होता है.

Suiya Poshan Mela 2024
सुईया पोषण मेला 2024 (ETV Bharat Barmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 12 hours ago

बाड़मेर: राजस्थान के मरुकुंभ के नाम प्रसिद्ध सुईया पोषण मेले का आयोजन सरहदी बाड़मेर जिले के चोहटन में 29 एवं 30 दिसंबर को होने जा रहा है. इस प्रसिद्ध मेले के नाम के पीछे भी एक खास कहानी है. चोहटन मठ के महंत जगदीशपूरी महाराज ने इसे लेकर जानकारी शेयर की है.

सुईया पोषण मेला की असली कहानी... (ETV Bharat Barmer)

पांच योग के मिलने पर होता है आयोजन: जिले के चोहटन उपखंड में अर्द्ध कुंभ के नाम से सुईया मेला भरता है. इसकी विशेष बात यह है कि यह किसी विशेष तिथि या प्रतिवर्ष नहीं लगता है. पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र आदि जब पांच योग आपस में मिलते हैं, तब इस मेले का आयोजन होता है.

पढ़ें: कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी, मेले का आज होगा समापन - HOLLY BATH IN TIRTHARAJ PUSHKAR

लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं मेले में: इस दौरान यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और इस योग में यहां पर बहने वाले झरने के पानी से स्नान करते हैं. पिछली बार यह योग 2017 में बना था. 7 साल बाद यह योग दोबारा बना है. चोहटन मठ के महंत जगदीशपूरी महाराज के सन्निध्य में मेले का आयोजन होने जा रहा है.

पढ़ें: देवउठनी एकदाशी के अवसर पर भरा अंजनी मेला, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - DEVUTHANI EKADASHI 2024

सुईया था महादेव भक्त: महंत जगदीशपूरी महाराज के अनुसार 12वीं शताब्दी का 800 साल पूराना सुईया मन्दिर बना हुआ है. यहां पहाड़, झरने और रेत के टीले आदि अनादि काल से हैं. उन्होंने बताया कि माली गोत्र से आने वाले सुईया भगवान महादेव के एक भक्त थे. सुईया ने महादेव की तपस्या की थी.

पढ़ें: मावलिया माता के मेले में उमड़े श्रद्धालु, जात देने और जड़ूला उतारने आते हैं परिवार - Fair of Mawlia Mata In Kuchamancity

इस पुस्तक में है सुईया का जिक्र: मंहत जगदीशपूरी महाराज ने बताया कि यह डूंगरपूराण का लेख है, जो कि डूंगरपुरी महाराज ने अपनी हस्तलिखित पुस्तक में लिखी है. उन्होंने बताया कि उस पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि सुईया ने महादेव की तपस्या की थी. जिससे वे प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने भक्त से पूछा बोलो तुम्हे क्या चाहिए? तब सुईया ने कहा कि मेरा नाम आपके साथ जुड़ा रहे. मुक्ति मिल जाये और नाम भी अमर रहे. इस पर भगवान ने तथास्तु बोलकर आशीर्वाद दिया. यहां महादेव का मंदिर पहले से ही था और उस दिन के बाद यह मन्दिर सुईया महादेव के नाम से जाना जाने लगा.

बाड़मेर: राजस्थान के मरुकुंभ के नाम प्रसिद्ध सुईया पोषण मेले का आयोजन सरहदी बाड़मेर जिले के चोहटन में 29 एवं 30 दिसंबर को होने जा रहा है. इस प्रसिद्ध मेले के नाम के पीछे भी एक खास कहानी है. चोहटन मठ के महंत जगदीशपूरी महाराज ने इसे लेकर जानकारी शेयर की है.

सुईया पोषण मेला की असली कहानी... (ETV Bharat Barmer)

पांच योग के मिलने पर होता है आयोजन: जिले के चोहटन उपखंड में अर्द्ध कुंभ के नाम से सुईया मेला भरता है. इसकी विशेष बात यह है कि यह किसी विशेष तिथि या प्रतिवर्ष नहीं लगता है. पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग एवं मूल नक्षत्र आदि जब पांच योग आपस में मिलते हैं, तब इस मेले का आयोजन होता है.

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लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं मेले में: इस दौरान यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और इस योग में यहां पर बहने वाले झरने के पानी से स्नान करते हैं. पिछली बार यह योग 2017 में बना था. 7 साल बाद यह योग दोबारा बना है. चोहटन मठ के महंत जगदीशपूरी महाराज के सन्निध्य में मेले का आयोजन होने जा रहा है.

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सुईया था महादेव भक्त: महंत जगदीशपूरी महाराज के अनुसार 12वीं शताब्दी का 800 साल पूराना सुईया मन्दिर बना हुआ है. यहां पहाड़, झरने और रेत के टीले आदि अनादि काल से हैं. उन्होंने बताया कि माली गोत्र से आने वाले सुईया भगवान महादेव के एक भक्त थे. सुईया ने महादेव की तपस्या की थी.

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इस पुस्तक में है सुईया का जिक्र: मंहत जगदीशपूरी महाराज ने बताया कि यह डूंगरपूराण का लेख है, जो कि डूंगरपुरी महाराज ने अपनी हस्तलिखित पुस्तक में लिखी है. उन्होंने बताया कि उस पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि सुईया ने महादेव की तपस्या की थी. जिससे वे प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने भक्त से पूछा बोलो तुम्हे क्या चाहिए? तब सुईया ने कहा कि मेरा नाम आपके साथ जुड़ा रहे. मुक्ति मिल जाये और नाम भी अमर रहे. इस पर भगवान ने तथास्तु बोलकर आशीर्वाद दिया. यहां महादेव का मंदिर पहले से ही था और उस दिन के बाद यह मन्दिर सुईया महादेव के नाम से जाना जाने लगा.

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