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आदिवासी अंचल में 10 दिन चलेगा रंगोत्सवस, फसली त्योहार के रूप में मनाते हैं होली...दिखेंगे लोककला और संस्कृति के रंग

प्रतापगढ़ के आदिवासी अंचल में 10 दिन तक रंगोत्सव (10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh) मनाया जाएगा. इस पर्व को यहां फसली त्योहार के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में इस दस दिनी पर्व में होली के अनूठे रंग दिखाई देते हैं.

10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh
10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh
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Published : Mar 20, 2022, 4:45 PM IST

प्रतापगढ़. जिले के आदिवासी अंचल में होली का त्योहार फसली उत्सव के रूप में मनाया जाता है. होली के त्योहार के तहत इस दिन आदिवासी अंचल में फसली त्योहार होली की शुरुआत हो जाती है जो 10 दिनों तक (10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh) चलती है. खासकर क्षेत्र में होली की धूम धुलंडी के साथ शुरू होती है जिसमें मुख्य रुप से गैर नृत्य के साथ खेली जाती है.

धुलंडी के दिन पूरा गांव इकट्ठा होता है और एक दूसरे को गले मिलकर बधाई देता है. ऐसे में यदि गांव में किसी घर पर मौत हो गई रहती है तो आदिवासी समुदाय के लोग उसके घर जाकर उसे ढांढस बंधाते हैं. जिले के आदिवासी अंचल में हजारों लोग एकत्रित होकर हाथों में तलवारें, गोफन, पैरों में बड़े-बड़े घुंगरू बांध के ढोल नगाड़ों की थाप पर गैर नृत्य करते हैं. इसके साथ ही आदिवासी समुदाय के लोग पेड़ों की परिक्रमा कर उनकी सुरक्षा का संकल्प लेते हैं.

10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh

पढ़ें. मेवाड़ में बारूद की होली, यहां गुलाल अबीर से नहीं आतिशबाजी से जमता है रंग!

रविवार को जिले के बाहुल्य आदिवासी क्षेत्र धरियावद और केसरियावाद में विचित्र वेशभूषा के साथ आदिवासी लोग अपने पारंपरिक परंपरा ढोल नगाड़ों के साथ हाथों में लट्ठ और तलवार के साथ पांव में घुंघरू बांधकर थिरकते नजर आए. अपनी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार गैर नृत्य कर स्नेह मिलन कार्यक्रम में एक-दूसरे को बधाई दी जाती है. गैर नृत्य में आसपास के आदिवासी समुदाय के लोग शामिल होते हैं.

आजकल आदिवासी लोककला और लोक नृत्य पर डीजे के कारण ग्रहण लगने लगा है. इसको लेकर क्षेत्र के विधायक नगराज मीणा और आदिवासिक समुदाय के प्रमुख लोगों की ओर से आदिवासी समाज में डीजे पर प्रतिबन्ध का निर्णय लिया गया है ताकि लोग अपनी कला और संस्कृति को करीब से देख सकें.

प्रतापगढ़. जिले के आदिवासी अंचल में होली का त्योहार फसली उत्सव के रूप में मनाया जाता है. होली के त्योहार के तहत इस दिन आदिवासी अंचल में फसली त्योहार होली की शुरुआत हो जाती है जो 10 दिनों तक (10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh) चलती है. खासकर क्षेत्र में होली की धूम धुलंडी के साथ शुरू होती है जिसमें मुख्य रुप से गैर नृत्य के साथ खेली जाती है.

धुलंडी के दिन पूरा गांव इकट्ठा होता है और एक दूसरे को गले मिलकर बधाई देता है. ऐसे में यदि गांव में किसी घर पर मौत हो गई रहती है तो आदिवासी समुदाय के लोग उसके घर जाकर उसे ढांढस बंधाते हैं. जिले के आदिवासी अंचल में हजारों लोग एकत्रित होकर हाथों में तलवारें, गोफन, पैरों में बड़े-बड़े घुंगरू बांध के ढोल नगाड़ों की थाप पर गैर नृत्य करते हैं. इसके साथ ही आदिवासी समुदाय के लोग पेड़ों की परिक्रमा कर उनकी सुरक्षा का संकल्प लेते हैं.

10 days Holi of the tribal area of Pratapgarh

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रविवार को जिले के बाहुल्य आदिवासी क्षेत्र धरियावद और केसरियावाद में विचित्र वेशभूषा के साथ आदिवासी लोग अपने पारंपरिक परंपरा ढोल नगाड़ों के साथ हाथों में लट्ठ और तलवार के साथ पांव में घुंघरू बांधकर थिरकते नजर आए. अपनी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार गैर नृत्य कर स्नेह मिलन कार्यक्रम में एक-दूसरे को बधाई दी जाती है. गैर नृत्य में आसपास के आदिवासी समुदाय के लोग शामिल होते हैं.

आजकल आदिवासी लोककला और लोक नृत्य पर डीजे के कारण ग्रहण लगने लगा है. इसको लेकर क्षेत्र के विधायक नगराज मीणा और आदिवासिक समुदाय के प्रमुख लोगों की ओर से आदिवासी समाज में डीजे पर प्रतिबन्ध का निर्णय लिया गया है ताकि लोग अपनी कला और संस्कृति को करीब से देख सकें.

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