पाली. अब से कुछ दशक पहले तक मनोरंजन के क्षेत्र में सिनेमा हॉल का अपना वजूद था. फिल्में देखने के लिए बड़ी संख्या में युवा और परिवार वाले भी जाया करते थे. पर्दे पर अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की एक्टिंग लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही विचारों और जीवन में भी बदलाव लाती थी. लेकिन समय के साथ सिंगल विंडो सिनेमा हॉल का चलन खत्म होता जाता है. पाली में कई साल से 3 सिनेमा हॉल लोगों के मनोरंजन का साधन थे, लेकिन दर्शकों की बेरुखी ने अब इन तीनों सिनेमा हॉल पर ताला लगा दिया है.
एक वक्त था जब यहां पर्दे पर अभिनेताओं को देख लोग सीटियां बजाते थे. लेकिन अब उन पर्दों को चूहों ने कुतर दिया है और सिनेमा हॉल की सीटों पर मकड़ी के जाले लग चुके हैं. 2 सिनेमा हॉल का तो अब पाली में वजूद तक नहीं रहा है. आर्थिक संकट को देखते हुए इन सिनेमा हॉल मालिकों ने अब इनके भवनों को नेस्तनाबूद कर दिया है. इनकी जगह एक बार फिर बड़ी इमारतों की नींव रखने की तैयारी की जा रही है.
बता दें कि पाली में बड़े पर्दे के रूप में मंथन टॉकीज, राजेंद्र सिनेमा और नरसिंह सिनेमा का नाम बुजुर्गों की जुबान पर था. इन तीनों सिनेमा हॉल में जब भी नई फिल्म लगती थी तो यहां टिकट भी ब्लैक में बिकते थे. लेकिन, धीरे-धीरे बड़े पर्दे से दर्शकों ने बेरुखी दिखाना शुरू कर दिया. पिछले 5 साल में इन सिनेमा हॉल के हालात ऐसे थे कि 10 फीसदी दर्शक भी प्रतिदिन यहां फिल्म देखने नहीं आए थे. मोबाइल और आधुनिक तकनीकी ने इनकी जगह ले ली है. ऐसे में लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे सिनेमा हॉल संचालकों ने इन सिनेमा हॉल को नेस्तनाबूद करना ही उचित समझा.
वहीं, जब भी पाली जिले के लोगों से सिनेमा हॉल की बात की जाती तो मंथन सिनेमा हॉल का नाम सबसे पहले सामने आता था. लेकिन, पिछले 10 दिनों में ही इस हॉल को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. इसे तोड़कर अब इस स्थान पर बड़ी बिल्डिंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. ऐसे में पाली शहर में तीनों सिनेमा हॉल बंद होने की वजह से कई लोग मायूस हो रहे हैं. सिनेमा हॉल पसंद करने वाले लोगों को अब बड़े पर्दे पर फिल्म देखने के लिए जोधपुर और उदयपुर के सिनेमा हॉल की तरफ रुख करना पड़ रहा है.
आधुनिक सिनेमा की तकनीक महंगी, दर्शक भी नहीं
सिनेमा हॉल संचालकों के मुताबिक वर्तमान में आधुनिक तकनीक के सिनेमा हॉल पर काफी पैसा खर्च होता है. वे पैसा खर्च करने को भी तैयार हैं. लेकिन, पाली में उस तरह के सिनेमा हॉल का टिकट लेने के लिए दर्शक नहीं हैं. ऐसे में इतना पैसा खर्च करने के बावजूद उन्हें उनका मुनाफा नहीं मिल पाएगा. इसके चलते वो सिनेमा हॉल को बंद ही रखना चाहते हैं.