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21 दिन लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन : 180 फीट गहरे कुएं में दबा था 8 बहनों का इकलौता भाई, सेना की लेनी पड़ी मदद, शव देखकर फूट-फूटकर रोए परिजन - Longest Rescue operation

राजस्थान के पाली (Pali Rajasthan) जिले के बोरनाड़ी गांव में 180 फीट गहरे कुएं में दबे युवक नरेन्द्र के शव को निकालने में 21 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सफलता (21 Days of Rescue Operation) हाथ लगी है. संभवतः इसे अब तक का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन माना जा रहा है.

21 days of rescue operation
21 days of rescue operation
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Published : Jul 13, 2021, 8:06 AM IST

Updated : Jul 13, 2021, 9:34 AM IST

सोजत सिटी (पाली). बोरनाड़ी गांव में 21 दिन पूर्व मरम्मत के दौरान मिट्टी ढहने से 180 फीट गहरे कुएं में दबे 15 वर्षीय किशोर नरेंद्र का शव निकालने में पुलिस व प्रशासन को सफलता मिली है. देर रात रेस्क्यू के दौरान करीब 12:00 बजे के आसपास रेस्क्यू कर रहे सेना के जवानों को मलबे के नीचे दबे नरेंद्र का शव दिखाई दिया. जिस पर प्रशासन ने राहत की सांस ली.

21 चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाला गया शव

पूरे 21 दिन तक पानी और मलबे में रहने की वजह से नरेंद्र का शव पूरी तरह से गल गया है. जिसे निकालने में रेस्क्यू टीम को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. देर रात करीब दो से ढ़ाई घंटे की मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीम ने नरेंद्र के शव को कुएं से बाहर निकाल लिया. वहीं आज सुबह नरेंद्र के शव का पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सुपुर्द किया जाएगा.

गौरतलब है कि 21 दिन पूर्व सोजत रोड थाना क्षेत्र के बोरनाडी गांव में नरेंद्र व उसका एक सहयोगी का मरम्मत का कार्य कर रहे थे. इसी दौरान कुएं की मिट्टी ढहने की वजह से नरेंद्र वह उसका सहयोगी उसमें दब गए. लेकिन नरेंद्र के साथ काम करने दूसरे श्रमिक के हाथ में लोहे का पाइप आ गया जिससे उसकी जान बच गई. वहीं नरेंद्र 180 फीट गहरे कुएं में गिर गया और उसके ऊपर मिट्टी गिरने से वह उसमें दब गया.

पढ़ेंः NDRF-SDRF की तकनीक हुई नाकाम तो 'देसी जुगाड़' से बची 90 फीट गहरे बोरवेल में गिरे मासूम की जान

मिली जानकारी के अनुसार कुआं करीब 180 फीट गहरा और आठ फीट चौड़ा है. कुआं 50 वर्ष से भी ज्यादा पुराना बताया जा रहा है. जिसकी दरारें भरने के लिए 21 जून को किशोर नरेन्द्र और एक अन्य मजदूर 40 फीट की गहराई पर काम कर रहे थे. इसी दौरान कुएं की दीवार का एक हिस्सा ढह गया. इस दौरान दूसरा मजदूर अनुभवी होने के चलते लोहे के पाइप के सहारे बाहर निकल गया जबकि नरेन्द्र गहराई में दबता चला गया. आनन-फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. स्थानीय प्रशान ने करीब 4 रातें और तीन दिन तक तो प्रयास किया. लेकिन चौथे दिन सेना की मदद लेनी पड़ी. बताया जा रहा कि इस रेस्क्यू में 80 सदस्यीय टीम जिसमें सेना के 10 जवान, 2 सबमर्सिबल मशीनें, 3 ग्राइडिंग मशीनें और मलबा उठाने के लिए 5 जेसीबी की मदद ली गई. इस पूरे बचाव मिशन पर लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च होना बताया जा रहा है.

21 जून को हुए इस हादसे के बाद प्रशासन की ओर से निकालने को लेकर लगातार रेस्क्यू किया गया लेकिन कुएं के आसपास बालू रेत होने के कारण मिट्टी लगातार ढहती गई. जब स्थानीय प्रशासन चार दिन तक शव नहीं निकाल सका तो सेना की मदद ली गई. सेना के सहयोग से करीब 21 दिन बाद शव निकालने में जिला प्रशासन की रेस्क्यू टीम को कामयाबी हाथ लगी है. वहीं नरेंद्र के शव को निकाले जाने के बाद उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. बताया जा रहा है कि मृतक नरेन्द्र 8 बहनों के बीच इकलौता भाई था. उसकी मौत के बाद से पूरा परिवार स्तब्ध है.

सोजत सिटी (पाली). बोरनाड़ी गांव में 21 दिन पूर्व मरम्मत के दौरान मिट्टी ढहने से 180 फीट गहरे कुएं में दबे 15 वर्षीय किशोर नरेंद्र का शव निकालने में पुलिस व प्रशासन को सफलता मिली है. देर रात रेस्क्यू के दौरान करीब 12:00 बजे के आसपास रेस्क्यू कर रहे सेना के जवानों को मलबे के नीचे दबे नरेंद्र का शव दिखाई दिया. जिस पर प्रशासन ने राहत की सांस ली.

21 चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाला गया शव

पूरे 21 दिन तक पानी और मलबे में रहने की वजह से नरेंद्र का शव पूरी तरह से गल गया है. जिसे निकालने में रेस्क्यू टीम को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. देर रात करीब दो से ढ़ाई घंटे की मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीम ने नरेंद्र के शव को कुएं से बाहर निकाल लिया. वहीं आज सुबह नरेंद्र के शव का पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सुपुर्द किया जाएगा.

गौरतलब है कि 21 दिन पूर्व सोजत रोड थाना क्षेत्र के बोरनाडी गांव में नरेंद्र व उसका एक सहयोगी का मरम्मत का कार्य कर रहे थे. इसी दौरान कुएं की मिट्टी ढहने की वजह से नरेंद्र वह उसका सहयोगी उसमें दब गए. लेकिन नरेंद्र के साथ काम करने दूसरे श्रमिक के हाथ में लोहे का पाइप आ गया जिससे उसकी जान बच गई. वहीं नरेंद्र 180 फीट गहरे कुएं में गिर गया और उसके ऊपर मिट्टी गिरने से वह उसमें दब गया.

पढ़ेंः NDRF-SDRF की तकनीक हुई नाकाम तो 'देसी जुगाड़' से बची 90 फीट गहरे बोरवेल में गिरे मासूम की जान

मिली जानकारी के अनुसार कुआं करीब 180 फीट गहरा और आठ फीट चौड़ा है. कुआं 50 वर्ष से भी ज्यादा पुराना बताया जा रहा है. जिसकी दरारें भरने के लिए 21 जून को किशोर नरेन्द्र और एक अन्य मजदूर 40 फीट की गहराई पर काम कर रहे थे. इसी दौरान कुएं की दीवार का एक हिस्सा ढह गया. इस दौरान दूसरा मजदूर अनुभवी होने के चलते लोहे के पाइप के सहारे बाहर निकल गया जबकि नरेन्द्र गहराई में दबता चला गया. आनन-फानन में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. स्थानीय प्रशान ने करीब 4 रातें और तीन दिन तक तो प्रयास किया. लेकिन चौथे दिन सेना की मदद लेनी पड़ी. बताया जा रहा कि इस रेस्क्यू में 80 सदस्यीय टीम जिसमें सेना के 10 जवान, 2 सबमर्सिबल मशीनें, 3 ग्राइडिंग मशीनें और मलबा उठाने के लिए 5 जेसीबी की मदद ली गई. इस पूरे बचाव मिशन पर लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च होना बताया जा रहा है.

21 जून को हुए इस हादसे के बाद प्रशासन की ओर से निकालने को लेकर लगातार रेस्क्यू किया गया लेकिन कुएं के आसपास बालू रेत होने के कारण मिट्टी लगातार ढहती गई. जब स्थानीय प्रशासन चार दिन तक शव नहीं निकाल सका तो सेना की मदद ली गई. सेना के सहयोग से करीब 21 दिन बाद शव निकालने में जिला प्रशासन की रेस्क्यू टीम को कामयाबी हाथ लगी है. वहीं नरेंद्र के शव को निकाले जाने के बाद उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. बताया जा रहा है कि मृतक नरेन्द्र 8 बहनों के बीच इकलौता भाई था. उसकी मौत के बाद से पूरा परिवार स्तब्ध है.

Last Updated : Jul 13, 2021, 9:34 AM IST
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