कोटा. चंबल पर 1200 करोड़ से हेरिटेज रिवरफ्रंट का निर्माण करवाया जा रहा है. यह प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट है. एक तरफ रिवरफ्रंट का निर्माण हो रहा है तो दूसरी ओर कुछ प्राचीन भगवान की मूर्तियां इस रिवरफ्रंट में ही समा गई हैं. जिनको निर्माण के समय व्यवस्थित तरीके से नहीं निकाला गया और डूबने दिया गया. हालांकि अब 2 साल बाद लोगों के विरोध पर इन मूर्तियों को निकालने का काम शुरू किया गया है. लेकिन फिलहाल तक नगर विकास न्यास की सभी व्यवस्थाएं फेल नजर आ रही हैं. दूसरी ओर इन मूर्तियों को निकालने के लिए जन जागरण अभियान और संत समुदाय को एकत्रित करने की बात लोग करने लगे हैं.
मूर्तियों को निकालने के लिए अभियान - प्राचीन और दुर्लभ इन मूर्तियों को निकालने के लिए अब लोग इकट्ठे हो गए हैं. अभियान छेड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में लोगों के दबाव में नगर विकास न्यास और सरकार भी इस मुद्दे पर बैकफुट पर है. साथ ही सरकार अपनी गलतियां भी मान रही है. बताया जा रहा है कि भगवान विष्णु के दशावतार की प्रतिमाएं अति प्राचीन थी. करीब 1100 साल पहले चट्टानों पर प्रतिमाएं उकेरी गई थी, जिन्हें निकाला नहीं जा सकता है. यहां तक कि इन मंदिरों में जाने वाली सीढ़ियों को भी बंद कर दिया गया है.
संत ने कही ये बात - राम धाम आश्रम के संत लक्ष्मण दास महाराज ने कहा कि 2021 में भी मसला उठाया गया था. उस दौरान स्थानीय नागरिकों ने भी जमकर इस मंदिर को दबाने का विरोध किया था. लेकिन नगर विकास न्यास के अधिकारियों ने लोगों की एक नहीं सुनी. पुलिस और सुरक्षा गार्डों के दम पर लोगों को वहां से भगा दिया जाता था. इसी के चलते इस जगह पर मंदिर दब गई है. इस दौरान भाजपा पार्षद बीरबल लोधा और निर्दलीय पार्षद राकेश सुमन पुटरा ने भी मुद्दा उठाया था.
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फेल हो रहे हैं यूआईटी के संसाधन - कांग्रेस नेता क्रांति तिवारी का कहना है कि नगर विकास न्यास ने करोड़ों रुपए से रिवरफ्रंट बना दिया है. यहां पर एक से बढ़कर एक मशीनरी काम करने पहुंची थी, लेकिन भगवान शंकर के शिवलिंग, भगवान गणेश की प्रतिमा और भगवान विष्णु के दशावतार वाली मूर्ति को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है. भगवान विष्णु के दशावतार को तो पानी में ही डुबो दिया गया है. जिसे अब निकाला मुश्किल हो गया है.
अभियान छेड़ दिया है नहीं रुकेंगे - कांग्रेस नेता तिवारी का कहना है कि बीते 2 सालों से रिवरफ्रंट का निर्माण हो रहा है, लेकिन यह अभियान हमने छेड़ दिया है. दर्जनों अति प्राचीन प्रतिमाएं इसमें समा गई है, लेकिन यह 16 वीं शताब्दी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है. बड़ी गणेश प्रतिमा और शिवलिंग है. इससे बड़ी कोई धार्मिक जगह नहीं हो सकती है, हमने जब पता चला तो अभियान चलाया है. शहर में लोगों से समर्थन हासिल करके इनको बाहर निकलवा आएंगे. प्रशासन व सरकार ने भी हमारी बात को सुना है और निकालने की तैयारी की गई है.
उन्होंने आगे कहा कि जहां पर यह भगवान शिव, नंदी महाराज और गणेश है, यह हमारी आस्था का प्रतीक है. अब पंप लगाकर पानी निकाला गया है. इसके साथ ही एक अस्थायी रूप से पानी रोकने के लिए डैम बनाया गया है. जिसके बाद कंक्रीट करके रास्ता बनाया गया है. यह प्रयास जब माने जाएंगे, तब हमारे भोले बाबा सुरक्षित हो जाएंगे. शहर में भी प्रत्येक को वर्ग और संत समुदाय से भी हम मिलेंगे. जो लोग हैं, उन सब से मिलकर इसको युद्ध स्तर पर आंदोलन खड़ा करेंगे.
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भगवान की हो रही दुर्दशा - राम धाम आश्रम के संत लक्ष्मण दास महाराज ने कहा कि भगवान पानी में डूब रहे हैं. हमारे देखते-देखते भगवान की दुर्दशा हो रही है. चंबल किनारे जितने भगवान के स्थान थे, उन्हें उपेक्षित किया गया है. भगवान नरसिंह के मंदिर को अलग कर दिया गया तो वहीं, अब भगवान शिव का मामला सामने आया है. महाराज ने आगे कहा कि चंबल के सौंदर्यीकरण से पहले भगवान की व्यवस्था होनी चाहिए थी. लेकिन ये सरकार प्रतिस्पर्धा की रेस में दौड़ रही है और मौजूदा आलम यह है कि आज कांग्रेस के नेता भी इसका विरोध कर रहे हैं.
सनातन के प्रतीक को नष्ट किया जा रहा - महामंडलेश्वर हेमा सरस्वती ने कहा कि सभी प्राचीन स्थान हमारी धरोहर हैं. साथ ही मिली मूर्तियां को बचाने की जिम्मेदारी हमारी है. ऐसे में हमें सरकार के साथ मिलकर इनका संरक्षण करना चाहिए. उन्होंने मूर्तियों को सनातन धर्म का प्रतीक बताया और कहा कि इन मूर्तियों की उपेक्षा करेंगे या उन पर ध्यान नहीं देंगे तो फिर कल को हमारे पास कोई थाती या धरोहर नहीं रहेगी. ये 15वीं और 16वीं शताब्दी की अद्भुत मूर्तियां और भगवान की प्रतिमाएं हैं, जिन्हें नष्ट किया जा रहा है.
भाजपा ने नहीं उठाया मुद्दा - कान्हा कराई के नजदीक स्थित बजरंगबली के मंदिर के पुजारी का कहना है कि उनके मंदिर को भी तोड़ने का प्रयास नगर विकास न्यास ने किया था, लेकिन वो अड़े रहे और मंदिर को नहीं टूटने दिए. स्थानीय कई नेताओं ने यह मुद्दा उठाया था, लेकिन बड़े स्तर पर किसी भी पार्टी ने इसे नहीं उठाया. भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय पार्षद ने कई बार कोशिश की, लेकिन भाजपा के बड़े नेता और विधायक हर मुद्दे पर बयानबाजी जरूर करते हैं, लेकिन इस मामले में चुप्पी साधे रहे हैं.