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Special : यहां बनेगा प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट, 1700 मीटर का जॉगिंग और साइकिल ट्रैक भी होगा विकसित

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Published : May 11, 2023, 10:53 PM IST

कोटा में प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट बनने जा रहा है. केंद्र सरकार की नगर वन योजना के तहत करीब 3 करोड़ की लागत से इसका निर्माण होगा. इस व्यू प्वाइंट को नेचुरल और जंगल का लुक देने के लिए कई इंतजाम किए गए हैं, पढ़िए इस रिपोर्ट में...

Kota Crocodile view point
Kota Crocodile view point
यहां बनेगा प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट

कोटा. शहर के रायपुरा और चंद्रसेल नाले में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. यह मगरमच्छ शहर की कॉलोनियों और सड़कों पर विचरण करते नजर आते हैं. कई बार सर्दियों में धूप सेकने के लिए बाहर आ जाते हैं. भोजन की तलाश में भी आसपास की कॉलोनियों और दूसरी वाटर बॉडी में पहुंच जाते हैं. अब इस समस्या को थोड़ी हद तक कम करने और लोगों को मगरमच्छ देखने का लुत्फ उठाने की योजना वन विभाग ने बनाई है.

कोटा के वन विभाग के उप वन संरक्षक जयराम पांडे का कहना है कि 'क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट' केंद्र सरकार की योजना नगर वन के तहत बनाया जा रहा है. इसको देवली अरब नगर वन के पास के लगते क्षेत्र में बहने वाले चंद्रसेल और अन्य नालों से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही आम जनता को मगरमच्छ और पक्षियों के बारे में जागरूक करने का हमारा लक्ष्य है. फॉरेस्ट की जगह को नेचुरली मेंटेन किया जा सके और शहरवासी जंगल का अनुभव कर सके, इसीलिए इसमें हम ईकोट्रेल, इको हट, पब्लिक एमेनिटीज सब विकसित कर रहे हैं. यह प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट है.

पढ़ें. चंबल व चंद्रलोई नदी बने क्रोकोडाइल पॉइंट, धूप सेंकते स्पॉट हो रहे मगरमच्छ

नहीं होगी मगरमच्छों को लाने की जरूरत : जयराम पांडे का कहना है कि मगरमच्छों को यहां पर रेस्क्यू करके लाने की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने चंद्रसेल के नाले को डायवर्जन चैनल के जरिए नगर वन में बनाई गई वाटर बॉडी से जोड़ दिया है. ऐसे में मगरमच्छ बारिश के समय में अपने आप ही यहां पहुंच जाएंगे. साथ ही उनका कहना है कि कुछ मगरमच्छ तो अभी ही वहां पर पहुंच गए हैं, कुछ यहां आते-जाते रहते हैं.

करोड़ों रुपए से होंगे निर्माण कार्य : जय राम पांडे के अनुसार वन विभाग की तरफ से देवली अरब और आवंली रोजड़ी में दो नगर वन बनाए जा रहे हैं. इनमें करीब 3 करोड़ की राशि खर्च होगी, जिसकी स्वीकृति और राशि केंद्र सरकार ने जारी की है. ऐसे में देवली अरब वाले मार्ग पर बन रहे नगर वन में क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट और वेटलैंड तैयार किया जा रहा है. इस नगर वन में आने वाले लोगों को पक्षी और मगरमच्छ के यहां पर देखने को मिलेंगे, जिनके लिए झोपड़ी नुमा व्यू प्वाइंट बनाया गया है. यह वाटर बॉडी के नजदीक है.

लोगों को जंगल का लुक देना प्राथमिकता : उन्होंने बताया कि देवली अरब रोड पर राड़ी के बालाजी के नजदीक स्थित इस जमीन पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण भी किया था, जिन्हें हटाया गया है. इसके साथ ही पशुपालन का कार्य भी लोग यहां पर कर रहे थे, जिन्हें भी हटा दिया है. यहां पर ही नगर वन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट अपनी जमीन पर बना रहा है. इसी तरह से आंवली रोजड़ी में भी कार्य करवाया जा रहा है.

Crocodile View Point
व्यू प्वाइंट को चंद्रसेल और अन्य नालों से जोड़ा जाएगा

पढ़ें. Dolphin in Chambal River: चंबल नदी में दिखी गंगेटिक डॉल्फिन, धूप सेंकते दिखे घड़ियाल-मगरमच्छ

पहले से आते रहे हैं यहां पर कई पक्षी : जयराम पांडे के अनुसार नगर वन जिस जगह बनाया जा रहा है, वहां पर एक बड़ी वाटर बॉडी पहले से है. इसमें सर्दी के मौसम में करीब दो दर्जन प्रजाति के पक्षी पहुंच जाते हैं, जिनकी संख्या हजारों में होती है. ऐसे में लोगों को यहां पर व्यू प्वाइंट्स भी देखने को मिलेंगे. उन्होंने बताया कि यहां पर स्थानीय देसी पौधे भी लगाएं जाएंगे. पौधों की संख्या कम है, जो पहले के पौधे हैं उनके संरक्षण पर ज्यादा प्रयास है. करीब 10 हजार के आसपास नए पौधे लगाने की योजना है.

नालों में लगातार बढ़ रही है मगरमच्छों की आबादी : कोटा में लगातार मगरमच्छ की आबादी नालों में बढ़ रही है. ऐसे में यह मगरमच्छ आसपास की कॉलोनियों के लिए खतरा भी बन रहे हैं. वन विभाग के डीसीएफ जयराम पांडे ने बताया कि एक मादा मगरमच्छ साल में एक बार मार्च से मई महीने के बीच में अंडे हर साल देती है. मादा मगरमच्छ एक बार में करीब 40 से 50 अंडे देती है. इनमें से करीब 15 से 20 फीसदी की ही सर्वाइवल रेट होती है, यानी 5 से 6 ही बच पाते हैं. हालांकि पहले से नालों में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. ऐसे में उनकी तीन से चार गुना आबादी हर साल बढ़ रही है. यह नाले आगे जाकर चंद्रसेल नदी में मिल जाते हैं, ऐसे में वहां भी इस तरह की समस्या बढ़ रही है.

कोटा के हर वाटर बॉडी में हैं मगरमच्छ : चंद्रसेल नाले में आसपास के अन्य तीन बड़े नाले भी मिल जाते हैं. ये रायपुरा, थेकड़ा और बोरखेड़ा से आने वाले नाले शामिल हैं, जिनमें मगरमच्छ रहते हैं. इसी के चलते इन एरिया की कॉलोनियों में अब आबादी लगातार बढ़ रही है और मगरमच्छ भी यहां पर नजर आते हैं. कोटा में चंबल से निकल रही दाईं मुख्य नहर में भी बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. यह कोटड़ी तालाब के आसपास रहते हैं. दूसरा सुरसागर और शिव सागर तालाब के आसपास भी मगरमच्छ हैं. साथ ही रायपुर तालाब में भी काफी संख्या में मगरमच्छ हैं.

1700 मीटर का जॉगिंग और साइकिल ट्रैक : उन्होंने बताया कि नगर वन को 32 एकड़ में इसे बनाया जा रहा है. साथ ही पूरी तरह से जंगल का लुक इसमें देने का प्रयास किया गया है. लोगों को इससे जोड़ने के लिए जॉगिंग ट्रैक, साइकिल ट्रैक और ओपन जिम भी यहां पर स्थापित किया जाएगा. ट्रैक की लंबाई 1700 मीटर है. यहां बन रह तलाई भी करीब 400 मीटर लंबी है.

यहां बनेगा प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट

कोटा. शहर के रायपुरा और चंद्रसेल नाले में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. यह मगरमच्छ शहर की कॉलोनियों और सड़कों पर विचरण करते नजर आते हैं. कई बार सर्दियों में धूप सेकने के लिए बाहर आ जाते हैं. भोजन की तलाश में भी आसपास की कॉलोनियों और दूसरी वाटर बॉडी में पहुंच जाते हैं. अब इस समस्या को थोड़ी हद तक कम करने और लोगों को मगरमच्छ देखने का लुत्फ उठाने की योजना वन विभाग ने बनाई है.

कोटा के वन विभाग के उप वन संरक्षक जयराम पांडे का कहना है कि 'क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट' केंद्र सरकार की योजना नगर वन के तहत बनाया जा रहा है. इसको देवली अरब नगर वन के पास के लगते क्षेत्र में बहने वाले चंद्रसेल और अन्य नालों से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही आम जनता को मगरमच्छ और पक्षियों के बारे में जागरूक करने का हमारा लक्ष्य है. फॉरेस्ट की जगह को नेचुरली मेंटेन किया जा सके और शहरवासी जंगल का अनुभव कर सके, इसीलिए इसमें हम ईकोट्रेल, इको हट, पब्लिक एमेनिटीज सब विकसित कर रहे हैं. यह प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट है.

पढ़ें. चंबल व चंद्रलोई नदी बने क्रोकोडाइल पॉइंट, धूप सेंकते स्पॉट हो रहे मगरमच्छ

नहीं होगी मगरमच्छों को लाने की जरूरत : जयराम पांडे का कहना है कि मगरमच्छों को यहां पर रेस्क्यू करके लाने की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने चंद्रसेल के नाले को डायवर्जन चैनल के जरिए नगर वन में बनाई गई वाटर बॉडी से जोड़ दिया है. ऐसे में मगरमच्छ बारिश के समय में अपने आप ही यहां पहुंच जाएंगे. साथ ही उनका कहना है कि कुछ मगरमच्छ तो अभी ही वहां पर पहुंच गए हैं, कुछ यहां आते-जाते रहते हैं.

करोड़ों रुपए से होंगे निर्माण कार्य : जय राम पांडे के अनुसार वन विभाग की तरफ से देवली अरब और आवंली रोजड़ी में दो नगर वन बनाए जा रहे हैं. इनमें करीब 3 करोड़ की राशि खर्च होगी, जिसकी स्वीकृति और राशि केंद्र सरकार ने जारी की है. ऐसे में देवली अरब वाले मार्ग पर बन रहे नगर वन में क्रोकोडाइल व्यू प्वाइंट और वेटलैंड तैयार किया जा रहा है. इस नगर वन में आने वाले लोगों को पक्षी और मगरमच्छ के यहां पर देखने को मिलेंगे, जिनके लिए झोपड़ी नुमा व्यू प्वाइंट बनाया गया है. यह वाटर बॉडी के नजदीक है.

लोगों को जंगल का लुक देना प्राथमिकता : उन्होंने बताया कि देवली अरब रोड पर राड़ी के बालाजी के नजदीक स्थित इस जमीन पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण भी किया था, जिन्हें हटाया गया है. इसके साथ ही पशुपालन का कार्य भी लोग यहां पर कर रहे थे, जिन्हें भी हटा दिया है. यहां पर ही नगर वन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट अपनी जमीन पर बना रहा है. इसी तरह से आंवली रोजड़ी में भी कार्य करवाया जा रहा है.

Crocodile View Point
व्यू प्वाइंट को चंद्रसेल और अन्य नालों से जोड़ा जाएगा

पढ़ें. Dolphin in Chambal River: चंबल नदी में दिखी गंगेटिक डॉल्फिन, धूप सेंकते दिखे घड़ियाल-मगरमच्छ

पहले से आते रहे हैं यहां पर कई पक्षी : जयराम पांडे के अनुसार नगर वन जिस जगह बनाया जा रहा है, वहां पर एक बड़ी वाटर बॉडी पहले से है. इसमें सर्दी के मौसम में करीब दो दर्जन प्रजाति के पक्षी पहुंच जाते हैं, जिनकी संख्या हजारों में होती है. ऐसे में लोगों को यहां पर व्यू प्वाइंट्स भी देखने को मिलेंगे. उन्होंने बताया कि यहां पर स्थानीय देसी पौधे भी लगाएं जाएंगे. पौधों की संख्या कम है, जो पहले के पौधे हैं उनके संरक्षण पर ज्यादा प्रयास है. करीब 10 हजार के आसपास नए पौधे लगाने की योजना है.

नालों में लगातार बढ़ रही है मगरमच्छों की आबादी : कोटा में लगातार मगरमच्छ की आबादी नालों में बढ़ रही है. ऐसे में यह मगरमच्छ आसपास की कॉलोनियों के लिए खतरा भी बन रहे हैं. वन विभाग के डीसीएफ जयराम पांडे ने बताया कि एक मादा मगरमच्छ साल में एक बार मार्च से मई महीने के बीच में अंडे हर साल देती है. मादा मगरमच्छ एक बार में करीब 40 से 50 अंडे देती है. इनमें से करीब 15 से 20 फीसदी की ही सर्वाइवल रेट होती है, यानी 5 से 6 ही बच पाते हैं. हालांकि पहले से नालों में बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. ऐसे में उनकी तीन से चार गुना आबादी हर साल बढ़ रही है. यह नाले आगे जाकर चंद्रसेल नदी में मिल जाते हैं, ऐसे में वहां भी इस तरह की समस्या बढ़ रही है.

कोटा के हर वाटर बॉडी में हैं मगरमच्छ : चंद्रसेल नाले में आसपास के अन्य तीन बड़े नाले भी मिल जाते हैं. ये रायपुरा, थेकड़ा और बोरखेड़ा से आने वाले नाले शामिल हैं, जिनमें मगरमच्छ रहते हैं. इसी के चलते इन एरिया की कॉलोनियों में अब आबादी लगातार बढ़ रही है और मगरमच्छ भी यहां पर नजर आते हैं. कोटा में चंबल से निकल रही दाईं मुख्य नहर में भी बड़ी संख्या में मगरमच्छ मौजूद हैं. यह कोटड़ी तालाब के आसपास रहते हैं. दूसरा सुरसागर और शिव सागर तालाब के आसपास भी मगरमच्छ हैं. साथ ही रायपुर तालाब में भी काफी संख्या में मगरमच्छ हैं.

1700 मीटर का जॉगिंग और साइकिल ट्रैक : उन्होंने बताया कि नगर वन को 32 एकड़ में इसे बनाया जा रहा है. साथ ही पूरी तरह से जंगल का लुक इसमें देने का प्रयास किया गया है. लोगों को इससे जोड़ने के लिए जॉगिंग ट्रैक, साइकिल ट्रैक और ओपन जिम भी यहां पर स्थापित किया जाएगा. ट्रैक की लंबाई 1700 मीटर है. यहां बन रह तलाई भी करीब 400 मीटर लंबी है.

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