कोटा. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बीते 10 माह में 4 बार बाघ भिड़ चुके हैं. जिसमें दो बाघों की टेरिटरी वर्चस्व को लेकर हुए झगड़े में मौत हो गई और तीन घायल हो गए थे. यहां वर्तमान में 62 बाघ और बाघिन है. कुछ दिन पहले ही दो बाघ भाइयों में एक बाघिन को लेकर लड़ाई हो गई थी. अपना वर्चस्व दिखाने के लिए ये बाघ भाई एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन चुके हैं.
वीरू और फतेह की भी रही है दुश्मनी
इसके साथ ही इलाके पर कब्जा जमाने के लिए दो बाघों वीरू और फतेह के बीच जंग छिड़ चुकी थी. इस लड़ाई में वीरू की जान पर बन आई थी. इसके बाद शहर के वन्य जीव प्रेमियों ने बाघों को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की मांग की है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके और एमएचटीआर को भी आबाद भी किया जा सके.
बाघों की जान बचाने के लिए हाड़ौती का मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तैयार किया जा चुका है. इस पार्क में बाघों के स्वच्छंद विचरण की पूरी व्यवस्था की गई है. बस इंतजार है तो एनटीसीए और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की हरी झंडी का. यहां से अगर स्वीकृति मिलती है तो जल्द ही इन बाघों को मुकुंदरा में शिफ्ट किया जाएगा.
मुकंदरा के उप वन संरक्षक डॉ. टी. मोहनराज के मुताबिक सेल्जर में बने सॉफ्टवेयर रिलीज एंक्लोजर की साफ सफाई करवा दी है. बाघों की शिफ्टिंग के लिए उसे पूरी तरह से तैयार कर दिया गया है. यहां बाघों के भोजन के लिए पर्याप्त प्रे-बेस के रूप में शाकाहारी वन्य जीवों की अच्छी खासी तादाद है. करीब डेढ़ दशक पहले 2003 में आए ब्रोकन टेल बाघ के बाद मुकुंदरा के इस वन क्षेत्र में बाघों की दहाड़ सुनाई देने वाली है. यहां पर बागों के आने का सभी बेताबी से इंतजार कर रहे हैं.
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मुकुंदरा में जल्द ही बढ़ेगी बाघों की संख्या
अब तक मुकंदरा में दो बाघ और 2 बाघिन है. जो मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की दरा और गागरोन रेंज में विचरण कर रहे हैं. अब रणथंभौर से 1 बाघ और 2 बाघिन यहां आने वाले हैं. इसके बाद यहां कुल 7 बाघ और बाघिन हो जाएंगे. इस टाइगर रिजर्व के चलते यहां के पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा. ऐसे में बस सभी को इंतजार इस बात का है कि जल्द ही एनटीसीए इसे हरी झंडी दिखाए और बाघों को यहां शिफ्ट किया जा सके.