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पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम दे रहा जिंदगीभर दर्द, महिलाओं में जोखिम अधिक - CRIME AGAINST WOMEN

तेजी से बढ़ रहे पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम के मामले. राजस्थान पुलिस ने पहली बार रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की पुष्टि की. जानिए पूरा मामला...

Child Harassment Case
महिला अत्याचार (ETV Bharat (सांकेतिक तस्वीर))
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 20, 2025, 7:09 PM IST

जयपुर: पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम के मामले बीते कुछ सालों में भी तेजी से सामने आ रहे हैं. खास बात यह है कि राजस्थान पुलिस ने पहली बार मेडिकल जांच के दौरान रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की पुष्टि की है और एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है जो साल 2016 से लेकर 2020 तक एक नाबालिग बच्ची के साथ दरिंदगी करता रहा. मनोचिकित्सक की माने तो पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति या मरीज के लिए एक बुरे सपने जैसा होता है.

उदाहरण के लिए राजस्थान में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे है, जिनमें कम उम्र की नाबालिग बच्चियों को इंस्टाग्राम, फेसबुक पर दोस्ती के बाद ब्लैकमेल, शारीरिक शोषण का शिकार बनाया जा रहा है. बिजयनगर ब्लैकमेल कांड का मामला शांत नहीं हुआ कि जयपुर में एक ऐसा केस सामने आया जिसमें 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ. उसे ब्लैकमेल किया गया और उसकी छाती पर ब्लेड से आई लव यू लिखा गया. अब ये लड़की रेप ट्रॉमा सिंड्रोम/पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम का शिकार हो चुकी है. पीड़िता इन सबसे इस तरह ट्रॉमा में आई कि उसे 10 डॉक्टर्स को दिखाया गया और अब तक उसकी मानसिक स्थिति असंतुलित है.

पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम, सुनिए किसने क्या कहा... (ETV Bharat Jaipur)

महिलाओं को अधिक खतरा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो विश्व की 3.9% जनसंख्या अपने जीवन में किसी न किसी स्तर पर पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम की शिकार हुई है.
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि संभावित रूप से किसी भी दर्दनाक घटना के बाद व्यक्ति पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम की चपेट में आ जाता है. खास तौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम से पीड़ित रहती हैं.

डॉ. अनीता गौतम ने बताया कि ज्यादातर पीड़ित समाज, परिवार की इज्जत डर से इस तरह की आपबीती को सामने नहीं ला पातीं और अंदर ही अंदर बीमार रहने लगती हैं. इसीलिए परिजनों को अपने बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए. बच्चों के व्यवहार में अचानक बदलाव आता है तो उसे नोटिस करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि इस तरह के सिंड्रोम को झेल रहा व्यक्ति कभी-कभी गलत कदम उठा लेता है.

पढ़ें : बच्ची से चार साल तक दुष्कर्म और मारपीट, शरीर पर ब्लेड से लिखा आई लव यू, ऐसे हुआ खुलासा - JAIPUR POLICE ACTION

किस तरह बचाव संभव ? : जहां तक ​​संभव हो सामान्य दैनिक दिनचर्या जारी रखें. जो भी घटना हुई है, उसे याद नहीं करें. शराब और नशीली दवाओं से बचें. ये लक्षणों को बदतर बना सकती हैं. नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ नींद की आदतें बनाए रखें.

पुलिस ने किया खुलासा : डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि जयपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसमें पीड़िता की उम्र 12 साल थी और पीड़िता के साथ 3-4 साल लगातार दुष्कर्म और मारपीट हुई. उन्होंने बताया कि पीड़िता इस घटना के बाद इतना डर गई थी कि जब भी उसे घटना याद आती है तो वह सहम जाती. जिसके कारण पीड़िता अवसाद में रहने लगी और रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की चपेट में आ गई.

जयपुर: पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम के मामले बीते कुछ सालों में भी तेजी से सामने आ रहे हैं. खास बात यह है कि राजस्थान पुलिस ने पहली बार मेडिकल जांच के दौरान रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की पुष्टि की है और एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है जो साल 2016 से लेकर 2020 तक एक नाबालिग बच्ची के साथ दरिंदगी करता रहा. मनोचिकित्सक की माने तो पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम किसी भी व्यक्ति या मरीज के लिए एक बुरे सपने जैसा होता है.

उदाहरण के लिए राजस्थान में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे है, जिनमें कम उम्र की नाबालिग बच्चियों को इंस्टाग्राम, फेसबुक पर दोस्ती के बाद ब्लैकमेल, शारीरिक शोषण का शिकार बनाया जा रहा है. बिजयनगर ब्लैकमेल कांड का मामला शांत नहीं हुआ कि जयपुर में एक ऐसा केस सामने आया जिसमें 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ. उसे ब्लैकमेल किया गया और उसकी छाती पर ब्लेड से आई लव यू लिखा गया. अब ये लड़की रेप ट्रॉमा सिंड्रोम/पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम का शिकार हो चुकी है. पीड़िता इन सबसे इस तरह ट्रॉमा में आई कि उसे 10 डॉक्टर्स को दिखाया गया और अब तक उसकी मानसिक स्थिति असंतुलित है.

पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम, सुनिए किसने क्या कहा... (ETV Bharat Jaipur)

महिलाओं को अधिक खतरा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो विश्व की 3.9% जनसंख्या अपने जीवन में किसी न किसी स्तर पर पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम की शिकार हुई है.
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि संभावित रूप से किसी भी दर्दनाक घटना के बाद व्यक्ति पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम की चपेट में आ जाता है. खास तौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं पोस्ट ट्रोमेटिक सिंड्रोम से पीड़ित रहती हैं.

डॉ. अनीता गौतम ने बताया कि ज्यादातर पीड़ित समाज, परिवार की इज्जत डर से इस तरह की आपबीती को सामने नहीं ला पातीं और अंदर ही अंदर बीमार रहने लगती हैं. इसीलिए परिजनों को अपने बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए. बच्चों के व्यवहार में अचानक बदलाव आता है तो उसे नोटिस करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि इस तरह के सिंड्रोम को झेल रहा व्यक्ति कभी-कभी गलत कदम उठा लेता है.

पढ़ें : बच्ची से चार साल तक दुष्कर्म और मारपीट, शरीर पर ब्लेड से लिखा आई लव यू, ऐसे हुआ खुलासा - JAIPUR POLICE ACTION

किस तरह बचाव संभव ? : जहां तक ​​संभव हो सामान्य दैनिक दिनचर्या जारी रखें. जो भी घटना हुई है, उसे याद नहीं करें. शराब और नशीली दवाओं से बचें. ये लक्षणों को बदतर बना सकती हैं. नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ नींद की आदतें बनाए रखें.

पुलिस ने किया खुलासा : डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि जयपुर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसमें पीड़िता की उम्र 12 साल थी और पीड़िता के साथ 3-4 साल लगातार दुष्कर्म और मारपीट हुई. उन्होंने बताया कि पीड़िता इस घटना के बाद इतना डर गई थी कि जब भी उसे घटना याद आती है तो वह सहम जाती. जिसके कारण पीड़िता अवसाद में रहने लगी और रेप ट्रॉमा सिंड्रोम की चपेट में आ गई.

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