कोटा. जिले में रबी के सीजन में गेहूं और सरसों की फसल के लिए हर बार यूरिया की मारामारी रहती है और किसानों को लंबी कतारों से गुजरना पड़ता है. इस बार कृषि विभाग के अधिकारियों की ओर से दावा किया गया है कि जितना उनका लक्ष्य है उससे आधे से ज्यादा यूरिया और डीएपी कोटा को मिल चुका है.
यह यूरिया पिछले साल हुई खपत का आधे से अधिक है, ऐसे में यूरिया के लिए इस बार मारामारी नहीं होने देंगे. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गेहूं की बुवाई लगातार जारी है जो कि दिसंबर तक चलेगी. ऐसे में पहली पानी के साथ यूरिया व डीएपी की मांग होगी जो कि दिसंबर व जनवरी तक होगी. साथ ही तब तक जिले में मांग के अनुरूप पूरा डीएपी और यूरिया पहुंच जाएगा.
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इससे किसानों को किसी तरह की कोई कमी नहीं होगी. कृषि विभाग के उपनिदेशक रामनिवास पालीवाल का कहना है कि जिले को अभी तक 39, 080 मैट्रिक टन यूरिया मिल चुका है. वहीं डीएपी 7, 970 मैट्रिक टन तक पहुंच चुकी है. जिसका वितरण किसानों को किया जा रहा है. जबकि इस बार कृषि विभाग ने मांग की 76 हजार मैट्रिक टन यूरिया और 24 हजार 700 मैट्रिक टन डीएपी की की है.
किसानों के लिए कर दी गई है लिमिट..
कृषि विभाग ने इस बार 20 कट्टे से ज्यादा यूरिया किसानों को एक साथ नहीं देने के आदेश जारी कर दिए हैं. किसानों को पोश मशीन के जरिए और आधार कार्ड से ही यूरिया मिल रहा है लेकिन किसी किसान के पास ज्यादा जमीन है तो उसको अपनी जमाबंदी की नकल लाने पर ही यूरिया मिलेगा. कृषि विभाग के उपनिदेशक रामनिवास पालीवाल का कहना है कि अगर किसान ज्यादा यूरिया ले जाते हैं तो उसकी पूरी जानकारी कृषि विभाग के पास आ जाती है. ऐसे में भौतिक सत्यापन करवाया जाएगा कि बिना जमीन के तो किसी ने ज्यादा यूरिया तो नहीं ले लिया है.
गेहूं की बाकी है बुवाई, बाद में बढ़ेगी मांग..
कोटा जिले में जहां रबी के सीजन में दो लाख 77 हजार हेक्टेयर में फसल की बुवाई होनी है. उसमें 11, 7875 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है और अधिकांश में सरसों की बुवाई हुई है. वहींं, गेहूं की बुवाई जारी है जो कि दिसंबर तक चलेगी. साथ ही जिले में जहां गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर है लेकिन कृषि विभाग को उम्मीद है कि यह डेढ़ लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा. ऐसे में यूरिया की मांग भी ज्यादा होगी. साथ ही सरसों का जो टारगेट 35 हजार था अब उसकी जगह 29 हजार 178 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है.