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करौली : स्टेडियम के खुले मैदान में पड़ी सड़ी-गली सब्जियां...दे रहीं बीमारियों को न्योता, प्रशासन बेखबर

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Published : Jun 9, 2021, 2:43 PM IST

जिले में त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम के खुले मैदान में पड़ी सड़ी-गली सब्जियाों से लोगों को न सिर्फ बदबू से परेशान होना पड़ रहा है. बल्कि ये उनके लिए बीमारियों को भी न्योता दे रही हैं.

करौली में प्रशासन बेखबर,  Rajasthan News , Karauli News
खुले मैदान में पड़ी सड़ी-गली सब्जियां

करौली. जिला मुख्यालय पर स्थित त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम के खुले मैदान में पड़ी सड़ी-गली सब्जियां बीमारियों को न्योता दे रही हैं. यहां सुबह घूमने वाले लोगों को भी खराब सब्जियों की बदबू से परेशान होना पड़ रहा है. स्थानीय प्रशासन लोगों की इस समस्या से बेखबर बना हुआ है.

दरअसल कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सब्जी एवं फल मंडी में होने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम में थोक व्यापारियों को सब्जी एवं फल मंडी अस्थाई रूप से लगाने के निर्देश दिए हैं. जिसमें मंडी व्यापारी रोजाना खराब सब्जियों को स्टेडियम के खुले मैदान में फेंक रहे हैं.

पिछले 15 दिनों से पड़ा खराब सब्जियों का ढेर बुरी तरह सड़ चुका है और सब्जियों के ढे़र से सड़ांध उड़ रही है. लेकिन मंडी व्यापारियों ने खराब सब्जियों को मैदान से बाहर फेंकने का अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है.

यह भी पढ़ें: करौली में किराना की दुकान में चोरी करने वाले दो आरोपी गिरफ्तार, पुलिस ने 24 घंटे में पकड़ा

कोरोना में वरदान बनी पालनहार योजना :

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से संचालित पालनहार योजना से करौली जिले के पात्र विधवा माता के बच्चे, तालाकशुदा, परित्यक्ता के बच्चे, नाता विवाह करने वाली महिलाओं के बच्चे, विशेष योग्यजन माता पिता के बच्चे, सिलिकोसिस से पीडित माता पिता के बच्चे, एचआईवी एड्स से पीडित माता पिता के बच्चों को मई माह तक का भुगतान किया जा चुका है.

इस भुगतान से पात्र व्यक्तियों को लाभ मिला है. यह उसी की देन है कि पालनहार योजना कोरोना काल में उनके लिये वरदान बनी है. योजना के तहत विभाग की सहायक निदेशक रिंकी किराड ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में लाभार्थियों के बैंक खाते में प्रतिमाह राशि हस्तान्तरण से जिले में 7000 परिवारों के 14000 बच्चों को मई 2021 तक की सहायता राशि सीधे ही उनके खातों में जमा करवाई गई. पालनहार योजना के तहत 10 श्रेणियों में लाभ दिया जा रहा है. जिनमें अनाथ बच्चे, निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता के बच्चे, तालाकशुदा, परित्यक्ता के बच्चे, नाता जाने वाली महिलाओं के बच्चे, विशेष योग्यजन माता पिता के बच्चे, सिलिकोसिस से पीडित माता पिता के बच्चे, एचआईवी एड्स से पीड़ित माता पिता के 6 वर्ष तक के बच्चों को 500 रूपए प्रति माह प्रति बच्चा, 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों को 1000 रूपए प्रति माह प्रति बच्चा, विधवा पालनहार को छोडकर अन्य सभी में बच्चों को प्रति वर्ष 2000 रूपए अतिरिक्त एक मुश्त उनके खाते में जमा कराई जा रही है.

उन्होंने बताया कि यदि उक्त श्रेणी में पात्र कोई बालक-बालिका पालनहार योजना से वंचित है तो उसकी सूचना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाल अधिकारिता विभाग अथवा चाईल्ड लाईन-1098 पर दी जा सकती है. पालनहार योजना के लिए आवेदन किसी भी नजदीकी ई-मित्र सेवा केन्द्र के माध्यम से एसएसओ पोर्टल पर किया जा सकता है.

करौली. जिला मुख्यालय पर स्थित त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम के खुले मैदान में पड़ी सड़ी-गली सब्जियां बीमारियों को न्योता दे रही हैं. यहां सुबह घूमने वाले लोगों को भी खराब सब्जियों की बदबू से परेशान होना पड़ रहा है. स्थानीय प्रशासन लोगों की इस समस्या से बेखबर बना हुआ है.

दरअसल कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सब्जी एवं फल मंडी में होने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम में थोक व्यापारियों को सब्जी एवं फल मंडी अस्थाई रूप से लगाने के निर्देश दिए हैं. जिसमें मंडी व्यापारी रोजाना खराब सब्जियों को स्टेडियम के खुले मैदान में फेंक रहे हैं.

पिछले 15 दिनों से पड़ा खराब सब्जियों का ढेर बुरी तरह सड़ चुका है और सब्जियों के ढे़र से सड़ांध उड़ रही है. लेकिन मंडी व्यापारियों ने खराब सब्जियों को मैदान से बाहर फेंकने का अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है.

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कोरोना में वरदान बनी पालनहार योजना :

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से संचालित पालनहार योजना से करौली जिले के पात्र विधवा माता के बच्चे, तालाकशुदा, परित्यक्ता के बच्चे, नाता विवाह करने वाली महिलाओं के बच्चे, विशेष योग्यजन माता पिता के बच्चे, सिलिकोसिस से पीडित माता पिता के बच्चे, एचआईवी एड्स से पीडित माता पिता के बच्चों को मई माह तक का भुगतान किया जा चुका है.

इस भुगतान से पात्र व्यक्तियों को लाभ मिला है. यह उसी की देन है कि पालनहार योजना कोरोना काल में उनके लिये वरदान बनी है. योजना के तहत विभाग की सहायक निदेशक रिंकी किराड ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में लाभार्थियों के बैंक खाते में प्रतिमाह राशि हस्तान्तरण से जिले में 7000 परिवारों के 14000 बच्चों को मई 2021 तक की सहायता राशि सीधे ही उनके खातों में जमा करवाई गई. पालनहार योजना के तहत 10 श्रेणियों में लाभ दिया जा रहा है. जिनमें अनाथ बच्चे, निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता के बच्चे, तालाकशुदा, परित्यक्ता के बच्चे, नाता जाने वाली महिलाओं के बच्चे, विशेष योग्यजन माता पिता के बच्चे, सिलिकोसिस से पीडित माता पिता के बच्चे, एचआईवी एड्स से पीड़ित माता पिता के 6 वर्ष तक के बच्चों को 500 रूपए प्रति माह प्रति बच्चा, 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों को 1000 रूपए प्रति माह प्रति बच्चा, विधवा पालनहार को छोडकर अन्य सभी में बच्चों को प्रति वर्ष 2000 रूपए अतिरिक्त एक मुश्त उनके खाते में जमा कराई जा रही है.

उन्होंने बताया कि यदि उक्त श्रेणी में पात्र कोई बालक-बालिका पालनहार योजना से वंचित है तो उसकी सूचना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाल अधिकारिता विभाग अथवा चाईल्ड लाईन-1098 पर दी जा सकती है. पालनहार योजना के लिए आवेदन किसी भी नजदीकी ई-मित्र सेवा केन्द्र के माध्यम से एसएसओ पोर्टल पर किया जा सकता है.

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