करौली. राजस्थान के आंगनबाड़ी केंद्रों में जल्दी ही किचन गार्डन तैयार किए जाएंगे. जिसमें पौष्टिक साग-सब्जियां उगाई जाएंगी. इन पौष्टिक साग-सब्जियों से बनने वाला खाना आंगनबाड़ी केंद्रों मे आने वाले नौनिहालों को परोसा जाएगा.
दरअसल, आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य का अब अधिक ध्यान रखा जाएगा. बच्चों को बेहतर पोषाहार मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में फल और सब्जियां उगाई जाएंगी. सरकारी भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण अभियान के तहत फल और सब्जियां उगाई जाएंगी. इनका उपयोग आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के पोषाहार में इस्तेमाल किया जाएगा.
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महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ ही नाश्ता और पोषाहार दिया जाता है. आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण अभियान के अंतर्गत और इनोवेशन पायलट योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर न्यूट्रीगार्डन विकसित किए जाएंगे. जिनमें फल-सब्जी और औषधीय पौधे उगाए जाएंगे.ऑर्गेनिक खाद से यहां होने वाली पैदावार का उपयोग बच्चों के पोषाहार और स्वास्थ्य के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. आवश्यक होने पर गर्भवती, धात्री माताओं और कमजोर बच्चों को भी यहां से आपूर्ति की जा सकेगी.
10 हजार रुपए का बजट स्वीकृत...
आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण वाटिका विकसित करने के लिए सरकार की ओर से 10 हजार रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. इस बजट से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पौधे, खाद व खुदाई के लिए फावड़ा इत्यादि खरीद सकती हैं. आंगनबाड़ी केन्द्र पर पर्याप्त स्थान और बाउंड्रीवाल होना आवश्यक है. सरकारी और विभागीय भवनों में मनरेगा के तहत चारदीवारी का काम करवाया जा सकता है. इसमें पंचायत, स्थानीय संगठनों और नागरिकों की भागीदारी ली जा सकती है.
120 आंगनबाड़ी केंद्रों का किया चयन...
बाल विकास परियोजना के तहत जिले में फिलहाल 120 आंगनबाड़ी केंद्र को चुना गया है. जिसमें पोषण वाटिका विकसित की जा रही है, ताकि इन पोषण वाटिका में पौष्टिकता से भरपूर साग सब्जियों का उत्पादन किया जा सके. जिले में करीब 1309 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, लेकिन इस योजना के शुरुआती दौर में सिर्फ उन आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन किया गया है, जिनके पास अपनी जमीन उपलब्ध है. जिसके चलते जिले में ऐसे 120 केंद्रों का चयन किया है. जहां पोषण वाटिका योजना आरंभ की जा रही है.
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इन आंगनबाड़ी केंद्रों में टोडाभीम उपखंड के 56, नादौती उपखंड के 8, हिंडौन उपखंड के 6, करौली उपखंड के 32, सपोटरा उपखंड के 11 और मंडरायल उपखंड में 7 केंद्रों का चयन किया गया है.
यह उगाई जाएंगी फल-सब्जी...
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बारिश में बैंगन, लाल मिर्ची, मूली, धनिया, भिंडी, लौकी, कद्दू, करेला, तुरई, खीरा, पालक, नींबू, चुकंदर और शकरकंद उगा सकते हैं. सर्दी में टमाटर, प्याज, पालक, फलिया, धनिया, पुदीना, गाजर, मैथी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मूली, मटर, नींबू, चुकंदर, अदरक, पपीता और ब्रॉकली उगाई जा सकेंगी. गर्मी में भिंडी, फलिया, बैंगन, मिर्च, ग्वार फली, नीबू, सहजन की फली, चुकंदर, करोंदा, करी पत्ता, अनार और अमरूद और औषधीय पौधे जैसे- तुलसी, गिलोय और एलोवेरा का रोपण होगा.
बरखेड़ा आंगनबाड़ी केंद्र पर लगाए 80 पौधे...
ईटीवी भारत की टीम ने पोषण वाटिका की थीम जानने के लिए बरखेड़ा प्रथम आंगनबाड़ी केंद्र का जायजा लिया तो वहां पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी और कुछ ग्रामीण महिलाएं पेड़ पौधे लगाने में व्यस्त थी.
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि बच्चों को बेहतर पोषाहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पोषण वाटिका विकसित की जा रही है. जिसके तहत 80 पेड़ पौधे लगाए गए हैं. जिनमें सब्जी और फल के पेड़ तो लगाए ही गए साथ में छायादार और फूलों के भी पेड़ पौधे लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि जन सहयोग से केंद्र पर नींबू, आम, बादाम, ग्वारपाठा, चाइना पाम, अशोक, मोरछली, गुड़हल, ड्रॉप चांदनी, फाईनस, फोनो फार्पस, अनार, भीलपत्र, करोजा, जामुन, अमरूद आदि के पेड़ पौधे लगाए गए हैं.