जोधपुर. रामदेवरा में मेला 17 सितंबर को बाबा की बीज के दिन से शुरू होगा. यह मेला एकादशी तक चलता है. लेकिन अभी से ही बाबा के भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. बीते तीन-चार दिनों में यहां प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. लोकदेवता बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ की समाधि स्थल मूसरिया मंदिर में भक्तों का आना शुरू हो गया है. यहां भक्तों के लिए आवश्यक इंतजाम किए गए हैं.
ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि 15 सितंबर को यहां मेले का झंडा चढ़ेगा. 17 सितंबर को मुख्य मेला होगा. इस दौरान प्रतिदिन डेढ़ लाख भक्त यहां पहुंचेंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी आमंत्रण भेजा गया है. रामदेवरा में मेला समाप्त होने के 15 दिन तक यहां श्रद्धालुओं का आना जारी रहेगा. इसके लिए मसूरिया मंदिर प्रबंधन ने व्यवस्थाएं भी की हैं. पुलिस ने भी सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए हैं.
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पांच साल से नंगे पांव आने का संकल्प: बाबा रामदेव के दर्शन के लिए पैदल जाने वाले जातरू हर दिन 50 से 60 किमी चलते रहे हैं. लेकिन बीते दिनों से तेजी गर्मी के चलते 30 से 40 किमी ही चल पा रहे हैं. प्रदेश के जिलों के अतिरिक्त मध्यप्रदेश व गुजरात से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. एमपी के शाजापुर निवासी सुनील ने बताया कि पिछले पांच साल से हर वर्ष नंगे पांव रामदेवरा जाता है.
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सुनील 17 अगस्त को घर से निकला था. जोधपुर तक 640 किमी की दूरी पूरी करने में 22 दिन लगे. शुरूआत में 50 किमी से ज्यादा प्रतिदिन चला. लेकिन राजस्थान में प्रवेश के साथ ही गर्मी के चलते चलना दुभर हो गया. इसी तरह से कोटा से 1 सितंबर को पैदल रवाना हुए तुषार को भी गर्मी के चलते जोधपुर पहुंचने में 10 दिन का समय लग गया. अभी इनको 150 किमी और चलना है.
गुरू का स्थान है मसूरिया मंदिर: रामदेव राजा अजमल के पुत्र थे. बचपन से ही ओजस्वी बालक ने कई चमत्कार दिखाए थे. इन्हें कृष्ण के अवतार की भी संज्ञा दी जाती है. इनके गुरु बालिनाथ थे, जो बाद में जोधपुर के मूसरिया की पहाड़ी पर आकर रहने लगे. यहीं पर ही धूणा जमा लिया था. रामदेव अपने गुरु को वापस लेने भी आए, लेकिन वे नहीं गए. जब रामदेव ने समाधी ली, तो कहा था कि मेरे गुरु के दर्शन के बाद मेरे दर्शन करने पर मनेाकामना पूरी होगी. इसी के चलते लोग मसूरिया दर्शन के लिए आते हैं.