झुंझुनू. गहलोत ने कहा कि इस फार्मूले के लागू होने से लोकतंत्र की ताकत में इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि पारदर्शी प्रशासन के लिए इस तरह के बदलाव जरूरी होते हैं. वहीं जब उनसे पूछा गया कि मंत्रियों ने यह आरोप लगाया है कि हाइब्रिड फॉर्मूले पर उनसे सलाह नहीं ली गई तो गहलोत ने इस पूरे मसले पर मीडिया को दोषी करार दिया. सीएम ने कहा कि सुझावों को अक्सर बयान बनाकर विवाद में तब्दील कर दिया जाता है.
जाहिर है कि गुरुवार को खाद्य मंत्री रमेश मीणा ने मंडावा उपचुनाव के दौरे पर 'हाइब्रिड फार्मूले' को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी. वहीं, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी इस मसले पर अपना विचार जाहिर किया था. बता दें कि निकाय चुनाव को लेकर गहलोत सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है. जिसके मुताबिक इस बार निकाय प्रमुख यानि नगरपालिका का अध्यक्ष, नगरपरिषद का सभापति और नगर निगम का महापौर बनने के लिए पार्षद होना अनिवार्य नहीं होगा.
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इस हाईब्रिड फार्मूले के आने के बाद पार्षद का चुनाव ना लड़ने वाला और पार्षद का चुनाव हारने वाला प्रत्याशी भी निकाय प्रमुख बन सकेगा. वहीं, स्वायत्त शासन विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर चुकी है. इस बाबत यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा था कि सरकार को नियमों में परिवर्तन और बदलाव का अधिकार होता है. सरकार के इस निर्णय के बाद राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा, जहां निकाय प्रमुखों के चुनाव हाईब्रिड फार्मूले से होंगे. अभी तक देश के किसी भी राज्य में हाईब्रिड फार्मूले से चुनाव का नियम नहीं है. निकाय प्रमुख बनने के लिए दावेदार का पार्षद होना जरूरी होता है.
सांसद हनुमान बेनीवाल पर दिया ये जवाब...
इस दौरान नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की भाषा शैली को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि इस तरह के कई लोग होते हैं जो कुछ भी बोलते हैं. ऐसे लोगों को जवाब देने लग जाएंगे तो और दूसरा काम नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि या तो आप अच्छी सोच के साथ अच्छा काम करो या ऐसे लोगों को जवाब देने लग जाओ. इसलिए हमने रास्ता चुना है कि अपने रास्ते पर काम करते जाओ.