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झुंझुनूं लोकसभा सीट पर क्या है जातिगत समीकरण, जानें इस रिपोर्ट में

झुंझुनूं लोकसभा सीट पर कुल करीब 20 लाख मतदाता है. इसमें सबसे ज्यादा करीब 5 लाख वोटर्स जाट समुदाय के हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति के वोट करीब 3 लाख 15 हजार है.

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Published : Apr 23, 2019, 10:36 PM IST

झुंझुनूं लोकसभा सीट

झुंझुनूं. वैसे तो हर राजनीतिक दल राजनीति में जातिवाद को नकारते हैं. लेकिन टिकट का बंटवारा करते हैं जाति के हिसाब से. यही कारण है कि झुंझुनूं लोकसभा सीट पर दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों ने जाट समाज से जुड़े नेताओं को टिकट थमाए हैं. हालांकि यह भी सच्चाई है कि कोई केवल अपनी जाति के मतों से नहीं जीत सकता है. इस लोकसभा सीट पर करीब 20 लाख मतदाता है. वरिष्ठ समीक्षकों की माने तो इस लोकसभा सीट पर 6 जाति के मतदाता तो इतनी संख्या में है कि पूरा उलटफेर कर सकती है. वहीं कुछ जातियों के मत कम है लेकिन वह भी उलटफेर करने का माद्दा रखती है.

झुंझुनूं सीट पर जातिगत समीकरण
वैसे तो कोई जातिगत जनगणना नहीं होती. लेकिन राजनीति से जुड़े लोग ऐसे आंकड़े बनाते हैं. जिसके आधार पर टिकट दी जाती है और जीत के दावे किए जाते हैं. समीक्षकों की मानें तो यहां सबसे ज्यादा करीब 5 लाख जाट मतदाता है. संसदीय क्षेत्र की खेतड़ी विधानसभा को छोड़कर बाकी सभी विधानसभा में जाट मतदाता बहुतायत में है. इसके बाद अनुसूचित जाति के वोट करीब 3 लाख 15 हजार है.

झुंझुनूं लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण

चार विधानसभाओं में मुस्लिम वोटर्स
इस सीट पर मुस्लिम मतदाता करीब सवा दो लाख हैं. यह समुदाय मंडावा, फतेहपुर नवलगढ़, झुंझुनूं विधानसभा में ज्यादा संख्या में है. वहीं गुर्जर मतदाता भी करीब 2 लाख है. माली समुदाय के वोट करीब पौने दो लाख है. तो ब्राह्मण, महाजन भी लगभग इतनी ही संख्या में है. इसमें माली वोटर नवलगढ़, उदयपुरवाटी और खेतड़ी में ज्यादा हैं. तो ब्राह्मण महाजन तो सभी विधानसभा में विद्यमान हैं

राजपूत व गुर्जरों का भी दबदबा
इस लोकसभा सीट पर राजपूत समाज के करीब डेढ़ लाख मतदाता है, तो गुर्जर समुदाय के वोट करीब सवा लाख की संख्या में हैं. गुर्जर समाज का दबदबा मुख्य रूप से खेतड़ी व उदयपुरवाटी विधानसभा में है. वहीं राजपूत समाज उदयपुरवाटी व सूरजगढ़ में ज्यादा संख्या में है. इसके अलावा अन्य मतदाताओं की बात की जाए तो यादव समाज के करीब 50 हजार, कुमावत समुदाय के करीब 55 हजार, मीणा समाज के करीब 45 हजार व अन्य 65 हजार के करीब है.

झुंझुनूं. वैसे तो हर राजनीतिक दल राजनीति में जातिवाद को नकारते हैं. लेकिन टिकट का बंटवारा करते हैं जाति के हिसाब से. यही कारण है कि झुंझुनूं लोकसभा सीट पर दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों ने जाट समाज से जुड़े नेताओं को टिकट थमाए हैं. हालांकि यह भी सच्चाई है कि कोई केवल अपनी जाति के मतों से नहीं जीत सकता है. इस लोकसभा सीट पर करीब 20 लाख मतदाता है. वरिष्ठ समीक्षकों की माने तो इस लोकसभा सीट पर 6 जाति के मतदाता तो इतनी संख्या में है कि पूरा उलटफेर कर सकती है. वहीं कुछ जातियों के मत कम है लेकिन वह भी उलटफेर करने का माद्दा रखती है.

झुंझुनूं सीट पर जातिगत समीकरण
वैसे तो कोई जातिगत जनगणना नहीं होती. लेकिन राजनीति से जुड़े लोग ऐसे आंकड़े बनाते हैं. जिसके आधार पर टिकट दी जाती है और जीत के दावे किए जाते हैं. समीक्षकों की मानें तो यहां सबसे ज्यादा करीब 5 लाख जाट मतदाता है. संसदीय क्षेत्र की खेतड़ी विधानसभा को छोड़कर बाकी सभी विधानसभा में जाट मतदाता बहुतायत में है. इसके बाद अनुसूचित जाति के वोट करीब 3 लाख 15 हजार है.

झुंझुनूं लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण

चार विधानसभाओं में मुस्लिम वोटर्स
इस सीट पर मुस्लिम मतदाता करीब सवा दो लाख हैं. यह समुदाय मंडावा, फतेहपुर नवलगढ़, झुंझुनूं विधानसभा में ज्यादा संख्या में है. वहीं गुर्जर मतदाता भी करीब 2 लाख है. माली समुदाय के वोट करीब पौने दो लाख है. तो ब्राह्मण, महाजन भी लगभग इतनी ही संख्या में है. इसमें माली वोटर नवलगढ़, उदयपुरवाटी और खेतड़ी में ज्यादा हैं. तो ब्राह्मण महाजन तो सभी विधानसभा में विद्यमान हैं

राजपूत व गुर्जरों का भी दबदबा
इस लोकसभा सीट पर राजपूत समाज के करीब डेढ़ लाख मतदाता है, तो गुर्जर समुदाय के वोट करीब सवा लाख की संख्या में हैं. गुर्जर समाज का दबदबा मुख्य रूप से खेतड़ी व उदयपुरवाटी विधानसभा में है. वहीं राजपूत समाज उदयपुरवाटी व सूरजगढ़ में ज्यादा संख्या में है. इसके अलावा अन्य मतदाताओं की बात की जाए तो यादव समाज के करीब 50 हजार, कुमावत समुदाय के करीब 55 हजार, मीणा समाज के करीब 45 हजार व अन्य 65 हजार के करीब है.

Intro:झुंझुनू। राजनीति में वैसे तो हर राजनीतिक दल जातिवाद को नकारते हैं लेकिन टिकट भी जाति के हिसाब से ही देते हैं। यही कारण है कि झुंझुनू लोकसभा सीट पर दोनों बड़े राजनीतिक दल ने जाट समाज से जुड़े नेताओं को टिकट थमाए हैं । हालांकि यह भी सच्चाई है कि कोई केवल अपनी जाति के मतों से नहीं जीत सकता क्योंकि यहां कुल 1900000 मतों से जाटों के मतों लगभग 27% यानी 500000 के आसपास हैं। वरिष्ठ समीक्षकों की माने तो यहां 6 जातियां तो इतनी संख्या में है कि पूरा उलटफेर कर सकती हैं । इसके अलावा जिन जातियों के मत कम है लेकिन वह भी उलटफेर कर सकते हैं । वैसे तो कोई जातिगत जनगणना नहीं होती लेकिन राजनीति से जुड़े लोग ऐसे आंकड़े जरूर बनाते हैं, जिसके आधार पर टिकट दी जाती है या फिर जीत के दावे किए जाते हैं।


Body: यह हैं जातिगत समीकरण
समीक्षकों की मानें तो यहां सबसे ज्यादा लगभग 500000 जाट मतदाता है यानी लगभग 27% लोकसभा। केवल खेतड़ी विधानसभा को छोड़कर सभी विधानसभा में मुख्य रूप से जाट मतदाता बहुतायत में है । इसके बाद अनुसूचित जाति लगभग 315000 हैं यानी इस वर्ग के पास भी लगभग 17% से ज्यादा हिस्सेदारी है। बहुतायत में सूरजगढ़ में पिलानी में है बाकी सब जगह इस बिरादरी के वोट है।

मुस्लिम है चार विधानसभाओं में
वही इस लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 245,000 है, यानी 14% के आसपास । यह वर्ग मंडावा, फतेहपुर नवलगढ़ , झुंझुनू विधानसभा में ज्यादा ताकत रखता है। वही माली 175000 तो ब्राह्मण महाजन भी लगभग इतने ही संख्या में है। इसमें माली वोटर नवलगढ़ उदयपुरवाटी व खेतड़ी में में ज्यादा है तो ब्राह्मण महाजन तो सभी विधानसभा में विद्यमान हैं ।इनके प्रतिशत की बात की जाए तो लगभग 9% के आसपास वोटर हैं।



Conclusion:राजपूत व गुर्जरों का भी है दबदबा
वहीं राजपूत 150000 तो गुर्जर भी 115000 के आस पास वोट की ताकत रखते हैं। गुर्जर मुख्य रूप से खेतड़ी व उदयपुरवाटी विधानसभा में है। वही राजपूत उदयपुरवाटी व सूरजगढ़ में ज्यादा संख्या में है बाकी सब जगह थोड़ा बहुत प्रभुत्व जरूर रखते हैं। इसके अलावा अन्य मतदाताओं की बात की जाए तो यादव 50000, कुमावत 55000, मीणा 45000 नई 30000 व बाकी बचे हुए 35000 के आसपास मतदाता है।

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निरंजन जानू वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षा
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