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क्या है ई-सिगरेट और सेहत के लिए कितनी होती है हानिकारक? इसको लेकर राजस्थान HC भी है चिंतित - E CIGARETTE

ई-सिगरेट ऐसा डिवाइस है, जो तंबाकू के पत्तों को जलाते या इस्तेमाल नहीं करते हैं. बल्कि ये बैटरी का इस्तेमाल करते हैं.

rajasthan high court-
राजस्थान हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली: राजस्थान हाई कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ई-सिगरेट की बिक्री पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और अधिकारियों को इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस उमा शंकर व्यास की पीठ ने गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया.

कोर्ट ने याचिका का हवाला देते हुए कहा कि यह साफ है कि ई-सिगरेट की ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सेल एक खतरा है. पीठ ने कहा कि ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने वाले मौजूदा कानूनों के बावजूद प्रवर्तन तंत्र अपर्याप्त दिखाई देता है और ठोस नतीजों का अभाव है.इस दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि प्रतिबंध को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है और उन्हें निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

अदालत ने इन प्रतिबंधित प्रोडक्ट्स की बिक्री को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के खिलाफ ठोस कार्रवाई न किए जाने पर असंतोष जताया. इसने राज्य पुलिस के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा, "जहां तक ​​ई-सिगरेट की बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के संचालन के खतरे का सवाल है, तो बस इतना ही कहा गया है कि विभाग ऐसे लेन-देन से निपटने के लिए एक तंत्र तैयार करने की प्रक्रिया में है और पुलिस अधिकारियों की अपनी सीमाएं हैं."

ई-सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) का सबसे आम रूप है. ये मूल रूप से ऐसा डिवाइस है, जो तंबाकू के पत्तों को जलाते या इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसके बजाय, वे बैटरी का इस्तेमाल करके घोल को वेपराइज करते हैं. इस वाष्प को यूजर्स सांस से अंदर लेता है.आकार और साइज के मामले में ज़्यादातर ई-सिगरेट आम सिगरेट, सिगार और धूम्रपान पाइप जैसी होती हैं, लेकिन कुछ ब्रांड ने इसे अलग डिजाइन में भी पेश किया है, जैसे कि सीटी, पेन आदि

ई-सिगरेट कैसे काम करती है?
ई-सिगरेट की प्रभावशीलता कई फैक्टर पर निर्भर करती है जैसे बैटरी की ताकत, यूनिट सर्किट की प्रकृति, इस्तेमाल किए गए घोल और यूजर का व्यवहार. चूंकि ई-सिगरेट वाष्प पर काम करती हैं, इसलिए उनकी प्रभावशीलता सीधे उत्पाद की उस क्षमता पर निर्भर करती है जिससे घोल को गर्म करके वाष्प में बदला जा सके.इसके चलते बैटरी के वोल्टेज और सर्किट की ताकत महत्वपूर्ण कंपोनेट हैं. वोल्टेज और सर्किट जितना मजबूत होगा, घोल उतनी ही तेजी से गर्म होकर वाष्पित होगा और प्रोडक्ट उतना ही प्रभावी होगा.

सेहत के लिए कितनी हानिकारक है यह?
ई-सिगरेट की निकोटीन पहुंचाने की शक्ति यह निर्धारित करती है कि इसका उपयोग कितना खतरनाक हो सकता है. अगर निकोटीन की डिलीवरी त्वरित और शक्तिशाली है, तो ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट से अलग नहीं होगी. डब्ल्यूएचओ का कहना है, "गर्भावस्था के दौरान इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है और इससे हृदय रोग हो सकता है." बता दें कि निकोटीन से कैंसर नहीं होता है, लेकिन यह ट्यूमर को बढ़ावा देने वाले के रूप में कार्य कर सकता है.

भारत में बैन हैं ई-सिगरेट
नरेंद्र मोदी सरकार ने ई-सिगरेट की बिक्री, स्टोर और निर्माण पर प्रतिबंध लगा रखा है. भारत में ई-सिगरेट का उपभोग, उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन अवैध है. सरकार का कहना है कि ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला युवाओं की सुरक्षा के लिए लिया गया है, जो कि ई-सिगरेट के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील वर्ग है.ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने से युवाओं और बच्चों को इसके माध्यम से लत के जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी

कितना लगेगा जुर्माना?
अगर कोई शख्स पहली बार ई-सिगरेट से संबंधित अपराध में लिप्त पाया जाता है तो उसे एक साल तक की कैद या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर कोई दोबारा कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

वहीं ई-सिगरेट का स्टोर करते पाए जाने पर 6 महीने तक की कैद या 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इसके अलावा, जिन लोगों के पास ई-सिगरेट का स्टॉक है, उन्हें अध्यादेश के प्रभावी होने से पहले खुद ही इसकी घोषणा करके नजदीकी पुलिस स्टेशन में जमा करवाना होगा.

यह भी पढ़ें- HMPV को लेकर सरकार ने जारी की हेल्‍थ एडवाइजरी, सावधानी बरतने की सलाह

नई दिल्ली: राजस्थान हाई कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ई-सिगरेट की बिक्री पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और अधिकारियों को इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस उमा शंकर व्यास की पीठ ने गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया.

कोर्ट ने याचिका का हवाला देते हुए कहा कि यह साफ है कि ई-सिगरेट की ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सेल एक खतरा है. पीठ ने कहा कि ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने वाले मौजूदा कानूनों के बावजूद प्रवर्तन तंत्र अपर्याप्त दिखाई देता है और ठोस नतीजों का अभाव है.इस दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि प्रतिबंध को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है और उन्हें निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

अदालत ने इन प्रतिबंधित प्रोडक्ट्स की बिक्री को बढ़ावा देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के खिलाफ ठोस कार्रवाई न किए जाने पर असंतोष जताया. इसने राज्य पुलिस के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा, "जहां तक ​​ई-सिगरेट की बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के संचालन के खतरे का सवाल है, तो बस इतना ही कहा गया है कि विभाग ऐसे लेन-देन से निपटने के लिए एक तंत्र तैयार करने की प्रक्रिया में है और पुलिस अधिकारियों की अपनी सीमाएं हैं."

ई-सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) का सबसे आम रूप है. ये मूल रूप से ऐसा डिवाइस है, जो तंबाकू के पत्तों को जलाते या इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसके बजाय, वे बैटरी का इस्तेमाल करके घोल को वेपराइज करते हैं. इस वाष्प को यूजर्स सांस से अंदर लेता है.आकार और साइज के मामले में ज़्यादातर ई-सिगरेट आम सिगरेट, सिगार और धूम्रपान पाइप जैसी होती हैं, लेकिन कुछ ब्रांड ने इसे अलग डिजाइन में भी पेश किया है, जैसे कि सीटी, पेन आदि

ई-सिगरेट कैसे काम करती है?
ई-सिगरेट की प्रभावशीलता कई फैक्टर पर निर्भर करती है जैसे बैटरी की ताकत, यूनिट सर्किट की प्रकृति, इस्तेमाल किए गए घोल और यूजर का व्यवहार. चूंकि ई-सिगरेट वाष्प पर काम करती हैं, इसलिए उनकी प्रभावशीलता सीधे उत्पाद की उस क्षमता पर निर्भर करती है जिससे घोल को गर्म करके वाष्प में बदला जा सके.इसके चलते बैटरी के वोल्टेज और सर्किट की ताकत महत्वपूर्ण कंपोनेट हैं. वोल्टेज और सर्किट जितना मजबूत होगा, घोल उतनी ही तेजी से गर्म होकर वाष्पित होगा और प्रोडक्ट उतना ही प्रभावी होगा.

सेहत के लिए कितनी हानिकारक है यह?
ई-सिगरेट की निकोटीन पहुंचाने की शक्ति यह निर्धारित करती है कि इसका उपयोग कितना खतरनाक हो सकता है. अगर निकोटीन की डिलीवरी त्वरित और शक्तिशाली है, तो ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट से अलग नहीं होगी. डब्ल्यूएचओ का कहना है, "गर्भावस्था के दौरान इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है और इससे हृदय रोग हो सकता है." बता दें कि निकोटीन से कैंसर नहीं होता है, लेकिन यह ट्यूमर को बढ़ावा देने वाले के रूप में कार्य कर सकता है.

भारत में बैन हैं ई-सिगरेट
नरेंद्र मोदी सरकार ने ई-सिगरेट की बिक्री, स्टोर और निर्माण पर प्रतिबंध लगा रखा है. भारत में ई-सिगरेट का उपभोग, उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन अवैध है. सरकार का कहना है कि ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला युवाओं की सुरक्षा के लिए लिया गया है, जो कि ई-सिगरेट के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील वर्ग है.ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने से युवाओं और बच्चों को इसके माध्यम से लत के जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी

कितना लगेगा जुर्माना?
अगर कोई शख्स पहली बार ई-सिगरेट से संबंधित अपराध में लिप्त पाया जाता है तो उसे एक साल तक की कैद या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर कोई दोबारा कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

वहीं ई-सिगरेट का स्टोर करते पाए जाने पर 6 महीने तक की कैद या 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इसके अलावा, जिन लोगों के पास ई-सिगरेट का स्टॉक है, उन्हें अध्यादेश के प्रभावी होने से पहले खुद ही इसकी घोषणा करके नजदीकी पुलिस स्टेशन में जमा करवाना होगा.

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