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मीजल्स-रूबेला अभियान के तहत झालावाड़ में दो लाख 10 हजार बच्चों को लगे टीके

स्वास्थ्य भवन में मीजल्स रूबेला अभियान के तहत लगाए जा रहे टीकों की समीक्षा के लिए प्रेसवार्ता आयोजित की गई. झालावाड़ में इस अभियान के तहत 77.52% लक्ष्य हासिल कर लिया गया है.

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Published : Aug 1, 2019, 10:23 PM IST

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झालावाड़. जिले में खसरा-रूबेला जैसी घातक बीमारियों को दूर करने के लिए एमआर अभियान चलाया जा रहा है जिसमें 9 माह से 15 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं. ऐसे में जिले में इस अभियान की समीक्षा को लेकर झालावाड़ के स्वास्थ्य भवन में प्रेस वार्ता आयोजित की गई.

प्रेस वार्ता में झालावाड़ सीएमएचओ साजिद खान ने बताया कि गत 22 जुलाई से प्रारंभ इस अभियान का उद्देश्य एक निश्चित अवधि में पूरे राज्य में 9 माह से 15 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को एमआर के टीके लगाकर प्रतिरक्षित करना है. उन्होंने बताया कि 31 जुलाई तक लगभग 2 लाख 10 हजार बच्चों को एमआर टीके लगाकर 77.52% लक्ष्य अर्जित कर लिया गया है.

पढ़ेंः JNU प्रोफेसर जोया हसन के बोल से नाराज भाजपा विधायकों ने सदन का किया बहिष्कार

खान ने बताया कि इस अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों को एमआर की खुराक आवश्यक रूप से दी जानी है. चाहे उन्हें पूर्व में खसरा वैक्सीन व खसरा रूबेला की एक या दो खुराक दी जा चुकी हो. जेल में बंद महिलाओं के बच्चों व मील-फैक्ट्रीयों में काम करने वाली महिलाओं के बच्चों के लिए भी विभाग ने विशेष व्यवस्था की है. साथ ही खान ने कहा कि अभिभावक भी जिम्मेदार बने और जागरूक होकर अपने बच्चों को टीका अवश्य लगवाएं.

मीजल्स-रूबेला अभियान के तहत झालावाड़ में दो लाख 10 हजार बच्चों को लगे टीके

इस दौरान आरसीएचओ नरेश अग्रवाल ने बताया कि अभियान में प्रत्येक राजकीय एवं निजी विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों तथा आयु सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी बच्चों को अभियान के दौरान खसरा रूबेला का टीका नियत स्थान पर लगाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: वेतन विसंगति पर सामंत कमेटी ने राज्य सरकार को सौंपी रिपोर्ट, कर्मचारियों में खुशी की लहर

डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि मीजल्स एक वायरस से होने वाला रोग है. यह खांसने, छींकने से हो सकता है. शरीर पर लाल चकत्ते, सर्दी, जुकाम, बुखार, आंखें आना इत्यादि इसके लक्षण है. इस वायरस से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु की संभावना अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि रूबेला रोग टोगा नामक वायरस से होता है. इसमें लाल दाने के साथ बुखार, बदन दर्द, जी घबराना, जोड़ों में दर्द होता है. इस रोग से ग्रसित होने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चों का गर्भपात अथवा मृत जन्मे बच्चे पैदा होते हैं या जो बच्चे जन्म लेते हैं वह जन्मजात विकृतियों से ग्रसित होते हैं.

झालावाड़. जिले में खसरा-रूबेला जैसी घातक बीमारियों को दूर करने के लिए एमआर अभियान चलाया जा रहा है जिसमें 9 माह से 15 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं. ऐसे में जिले में इस अभियान की समीक्षा को लेकर झालावाड़ के स्वास्थ्य भवन में प्रेस वार्ता आयोजित की गई.

प्रेस वार्ता में झालावाड़ सीएमएचओ साजिद खान ने बताया कि गत 22 जुलाई से प्रारंभ इस अभियान का उद्देश्य एक निश्चित अवधि में पूरे राज्य में 9 माह से 15 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को एमआर के टीके लगाकर प्रतिरक्षित करना है. उन्होंने बताया कि 31 जुलाई तक लगभग 2 लाख 10 हजार बच्चों को एमआर टीके लगाकर 77.52% लक्ष्य अर्जित कर लिया गया है.

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खान ने बताया कि इस अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों को एमआर की खुराक आवश्यक रूप से दी जानी है. चाहे उन्हें पूर्व में खसरा वैक्सीन व खसरा रूबेला की एक या दो खुराक दी जा चुकी हो. जेल में बंद महिलाओं के बच्चों व मील-फैक्ट्रीयों में काम करने वाली महिलाओं के बच्चों के लिए भी विभाग ने विशेष व्यवस्था की है. साथ ही खान ने कहा कि अभिभावक भी जिम्मेदार बने और जागरूक होकर अपने बच्चों को टीका अवश्य लगवाएं.

मीजल्स-रूबेला अभियान के तहत झालावाड़ में दो लाख 10 हजार बच्चों को लगे टीके

इस दौरान आरसीएचओ नरेश अग्रवाल ने बताया कि अभियान में प्रत्येक राजकीय एवं निजी विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों तथा आयु सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी बच्चों को अभियान के दौरान खसरा रूबेला का टीका नियत स्थान पर लगाए जा रहे हैं.

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डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि मीजल्स एक वायरस से होने वाला रोग है. यह खांसने, छींकने से हो सकता है. शरीर पर लाल चकत्ते, सर्दी, जुकाम, बुखार, आंखें आना इत्यादि इसके लक्षण है. इस वायरस से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु की संभावना अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि रूबेला रोग टोगा नामक वायरस से होता है. इसमें लाल दाने के साथ बुखार, बदन दर्द, जी घबराना, जोड़ों में दर्द होता है. इस रोग से ग्रसित होने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चों का गर्भपात अथवा मृत जन्मे बच्चे पैदा होते हैं या जो बच्चे जन्म लेते हैं वह जन्मजात विकृतियों से ग्रसित होते हैं.

Intro:झालावाड़ के स्वास्थ्य भवन में मीजल्स रूबेला अभियान के तहत लगाए जा रहे टीकों की समीक्षा हेतु प्रेस वार्ता आयोजित की गई. जिसमें बताया गया कि झालावाड़ में इस अभियान के तहत 77.52% लक्ष्य हासिल कर लिया गया है.


Body:खसरा रूबेला जैसी घातक बीमारियों को दूर करने के लिए एमआर अभियान चलाया जा रहा है जिसमें 9 माह से 15 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं. ऐसे में जिले में इस अभियान की समीक्षा को लेकर झालावाड़ के स्वास्थ्य भवन में प्रेस वार्ता आयोजित की गई. प्रेस वार्ता में झालावाड़ सीएमएचओ साजिद खान ने बताया कि गत 22 जुलाई से प्रारंभ इस अभियान का उद्देश्य एक निश्चित अवधि में पूरे राज्य में 9 माह से 15 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को एमआर के टीके लगाकर प्रतिरक्षित करना है. उन्होंने बताया कि 31 जुलाई तक लगभग 2 लाख 10 हजार बच्चों को एमआर टीके लगाकर 77.52% लक्ष्य अर्जित कर लिया गया है.
खान ने बताया कि इस अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों को एमआर की खुराक आवश्यक रूप से दी जानी है. चाहे उन्हें पूर्व में खसरा वैक्सीन व खसरा रूबेला की एक या दो खुराक दी जा चुकी हो. जेल में बंद महिलाओं के बच्चों व मील-फैक्ट्रीयों में काम करने वाली महिलाओं के बच्चों के लिए भी विभाग ने विशेष व्यवस्था की है. साथ ही खान ने कहा कि अभिभावक भी जिम्मेदार बने और जागरूक होकर अपने बच्चों को टीका अवश्य लगवाएं.

इस दौरान आरसीएचओ नरेश अग्रवाल ने बताया कि अभियान में प्रत्येक राजकीय एवं निजी विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों, मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों तथा आयु सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी बच्चों को अभियान के दौरान खसरा रूबेला का टीका नियत स्थान पर लगाए जा रहे हैं.




Conclusion:डॉ राजेश गुप्ता ने बताया कि मीजल्स एक वायरस से होने वाला रोग है. यह खांसने, छींकने से हो सकता है. शरीर पर लाल चकत्ते, सर्दी, जुकाम, बुखार, आंखें आना इत्यादि इसके लक्षण है. इस वायरस से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु की संभावना अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि रूबेला रोग टोगा नामक वायरस से होता है. इसमें लाल दाने के साथ बुखार, बदन दर्द, जी घबराना, जोड़ों में दर्द होता है. इस रोग से ग्रसित होने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चों का गर्भपात अथवा मृत जन्मे बच्चे पैदा होते हैं या जो बच्चे जन्म लेते हैं वह जन्मजात विकृतियों से ग्रसित होते हैं.

बाइट - साजिद खान ( सीएमएचओ, झालावाड़)
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