झालावाड़. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. इसकी वजह से हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इसके संक्रमण में आ चुके हैं. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे भारत और राजस्थान में भी लॉक डाउन की घोषणा हुई है. लॉकडाउन के चलते सभी वर्गों के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी किसान वर्ग के लिए खड़ी हो चुकी है.
पड़ोसी राज्यों से आते थे मजदूर..
दरअसल, इस वक्त खेतों में गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है और उसकी कटाई का सीजन चल रहा है. लेकिन गेहूं की कटाई के लिए न तो मजदूर पहुंच पा रहे हैं और ना ही खेतों में हार्वेस्टर मशीन पहुंच पा रही है. आमतौर पर गेहूं की कटाई के सीजन में झालावाड़ में मध्यप्रदेश और अन्य पड़ोसी जिलों से 10 से 12 हजार मजदूर आते थे. उसके अलावा कई हार्वेस्टर मशीनें भी आती थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसानों को मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं और पड़ोसी राज्यों से मशीनें भी नहीं पहुंच पाई है.
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फसलें खेतों में हो रही बर्बाद..
झालावाड़ में इस साल 1 लाख 35 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बुआई की गई है. जिससे औसतन 4 लाख 72 हजार 500 मेट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार 15 से 20 प्रतिशत खेतों में गेहूं की फसल की कटाई नहीं हो पाई है.
ऐसे में किसान अब खुद ही अपने खेतों में कटाई के लिए पहुंच रहे हैं. किसानों का कहना है कि मशीनों और मजदूरों से जो काम एक-दो दिन में हो जाना चाहिए था. उस काम में 8 से 10 दिन का वक्त लग रहा है.
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स्थानीय मजदूरों ने भी मोड़ा मुंह...
कोरोना वायरस के चलते बाहर से मजदूर आए नहीं है और स्थानीय मजदूर भी वायरस के डर से नहीं आ पा रहे हैं. जिसकी वजह से गेहूं की फसलें खेतों में ही खड़ी हुई है. किसानों ने बताया कि हर सीजन में इन दिनों तक गेहूं मंडियों में पहुंच जाता था. लेकिन अब भी हफ्ते भर से ज्यादा दिन लगने की संभावना है.