हैदराबाद: आजकल सोशल मीडिया पर बहुत तरह के स्कैम्स होते हैं. साइबर क्रिमिनल्स समय-समय पर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने या उन्हें ठगने के लिए नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं. उन्हीं से एक तरीके का नाम "पिग बुचरिंग स्कैम" है. इसे इन्वेस्टमेंट स्कैम भी कहते हैं. इस स्कैम के बारे में बीते गुरुवार को भारत के गृह मंत्रालय (MHA) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उन्होंने देश के नागरिकों को इस नए प्रकार के साइबर धोखाधड़ी के बारे में चेतावनी दी है. आइए हम आपको पहले इस स्कैम के बारे में बताते हैं, उसके बाद इसके लिए सरकार द्वारा जारी की गई चेतावनी के बारे में भी बताएंगे.
पिग बुचरिंग स्कैम क्या होता है?
इस स्कैम के नाम को पढ़ने के बाद आपके दिमाग में एक सवाल आ रहा होगा कि आखिर इसके नाम में एक जानवर का नाम क्यों शामिल है. दरअसल, इस स्कैम का नाम जानवर को पहले मोटा करने और उसे मारने की अवधारणा से लिया गया है. पिग को हिंदी में सुअर कहते हैं. दुनियाभर के बहुत सारे लोग पहले सुअर के बच्चों को पालते हैं, उसे खिला-पिलाकर बढ़ाकर करते हैं और फिर उसे मारकर अपना व्यापार करते हैं.
ठीक इसी तरह से कुछ साइबर क्रिमिनल्स पहले लोगों को फोन करके बात करते हैं, किसी माध्यम और कारण के जरिए उनके साथ दोस्ती बढ़ाते हैं, वो हफ्तों या महीनों तक अपने टागरेट लोगों के बातचीत करते हैं, धीरे-धीरे उनका विश्वास जीतते हैं और फिर उन्हें किसी तरह के इन्वेस्टमेंट प्लान में अपना पैसा लगाने और फिर प्रॉफिट कमाने का लालचस दिखाते हैं. स्कैमर्स इस पूरी प्रक्रिया को बड़े ही धैर्य के साथ करते हैं और लोगों की भवानाओं के साथ खेलते हैं. जब लोगों को ऐसे स्कैमर्स पर पूरा भरोसा हो जाता है और वो इन्वेस्टमेंट कर देते हैं, तो उन्हें भारी-भरकम नुकसान का सामना करना पड़ता है. इसी कारण इस तरह के नए स्कैम को पिग बुचरिंग स्कैम कहा जाता है.
इस स्कैम में कैसे फंसते हैं लोग?
आज से लगभग एक साल पहले अमेरिका में एक भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल, इस तरह के स्कैम का शिकार हुई थीं, जिसमें उन्हें भावनात्मक रूप से आघात पहुंचा और $450,000 (लगभग 4 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ. इस नुकसान के कारण उनपर काफी कर्ज हो गया. दत्ता नाम की इस महिला के जीवन में ऐसे स्कैम की नींव तब रखी गई, जब वो उन्होंने Hinge नाम के एक डेटिंग ऐप पर एंसल नाम के एक इंसान से मुलाकात की और फिर रोमांस शुरू किया. एंसल ने अपने-आप को एक फ्रेंच वाइन ट्रेडर बताया था. दोनों की फ्लर्टिंग कुछ ही दिनों के बाद डेटिंग ऐप्स से पर्सनल व्हाट्सएप चैट तक पहुंच गई. एंसल ने हिंज डेटिंग ऐप से अपनी प्रोफाइल को डिलीट करके दत्ता के विश्वास को जीतने की शुरुआत की.
उनके चैट्स में सेल्फी, फ्लर्टिंग, इमोजी और वीडियो कॉल भी हुआ करते थे. एंसल ने दत्ता से बातचीत करते-करते उसके पास्ट, प्रजेंट और फ्यूचर प्लानिंग के बारे में बहुत सारी जानकारियां पता की और फिर उनकी कई भावनात्मक कमजोरियां का फायदा उठाया, जिसमें दत्ता का हालिया तलाक भी शामिल था. कई महीनों तक विश्वास जीतने की इस प्रक्रिया के बाद एंसल ने दत्ता को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने और उससे होने वाले फायदे के बाद शानदार रिटायरमेंट लाइफ की कहानी सुनानी शुरू कर दी.
एंसल की बातों से प्रेरित होकर, दत्ता ने एक बिल्कुल असली और लीगल दिखने वाले क्रिप्टो ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड किया और अपनी सेविंग्स को इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया. शुरू में दत्ता द्वारा किए गए निवेश से काफी फायदा होता हुआ दिख रहा था. दत्ता को पहली बार शक तब हुआ, जब ऐप ने किसी भी निकासी प्रयास के लिए व्यक्तिगत टैक्स की मांग की. दत्ता को इस स्कैम का पता तब चला, जब उसके लंदन में रह रहे भाई ने एंसल की असली पहचान का पता लगाया. असल में, एंसल जर्मन का एक फिटनेस इन्फ्लुएंसर था. हालांकि, तब तक में दत्ता को भारतीय रुपये के अनुसार लगभग 4 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका था.
भारत सरकार ने जारी की चेतावनी
इस तरह के स्कैम को ही पिग बुचरिंग स्कैम कहते हैं. ऐसे स्कैम का शिकार होने वाली दत्ता अकेली पीड़िता नहीं है. दत्ता जैसे कई पुरुष, महिला, युवा लड़के और लड़कियां, इस स्कैम का शिकार हो चुके हैं. सिंगापुर में एक 37 वर्षीय मलेशियाई नर्स ने COVID-19 लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन माध्यम से एक नया दोस्त बनाने की कोशिश की और $270,000 से भी ज्यादा के धोखाधड़ी का शिकार हो गई. अपना दोस्त या प्यार पाने के लिए बजाय उस महिला ने धोखाधड़ी वाले प्लेटफॉर्म में निवेश करना शुरू कर दिया. उसने अपने सभी पैसे लगा दिए, लोन लेकर भी पैसे लगा दिए, अपनी कार बेच दी, दोस्तों और परिवार से भी उधार लेकर और यहां तक कि अपना घर गिरवी रखकर भी पैसे जमा किए और फ्रॉड प्लेटफॉर्म में इन्वेस्ट कर दिए. इतना नुकसान होने के बाद वो एक बड़े कर्ज में डूब गईं.
भारत में भी इस प्रकार के बहुत सारे केस देखने को मिल रहे हैं. इस कारण से भारत के गृह मंत्रालय ने एक चेतावनी जारी की है और लोगों को इस तरह के इन्वेस्टमेंट फ्रॉड से बचने को कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्कैम में ज्यादातर स्टूडेंट्स, बेरोजगार युवा और उन लोगों को फंसाया जाता है, जो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं या किसी प्रकार का आर्थिक धोखा खा चुके हैं. ऐसे लोग जल्दी पैसा कमाने, या कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा अर्जित करने के चक्कर में ऐसे स्कैम का शिकार बन जाते हैं.
पिग बुइचरिंग स्कैम: नाम का मतलब क्या है?
पिग बुइचरिंग स्कैम का नाम एक जानवर को काटने से पहले मोटा करने के विचार से आया है. इसमें साइबर क्रिमिनल्स अपने शिकार को पिग यानी सुअर की तरह मानते हैं. विकटिम्स को फंसाने के लिए क्रिमिनल्स जिन तरीकों का इस्तेमाल करके हैं, उन्हें वो 'सुअर का चारा' मानते हैं. वहीं, ऐसे साइबर क्रिमिनल्स खुद को बुचर यानी कसाई मानते हैं, जो पहले सुअर का भरोसा जीतता है, उसके साथ इमोशनली कनेक्ट होता है, उसे खिला-पिलाकर मोटा करता है और फिर काटता है. ठीक, उसी तरह साइबर क्रिमिनल्स भी अपने विकटिम्स से बातचीत बढ़ाते हैं, दोस्ती करते हैं, इमोशनली कनेक्ट होते हैं, भरोता जीतते हैं, उसके बाद कई तरह के इन्वेस्टमेंट और उसके फायदे बताते हैं और फिर उनका सारा पैसा ठग लेते हैं. इसी कारण से इस स्कैम को पिग बुइचरिंग स्कैम कहा जाता है.
चीन में पहली बार हुआ था स्कैम
इस स्कैम की पहली घटना साल 2016 में चीन में हुई थी. वहां उसे "शा झू पान" के नाम से जाना जाता है, जिसका अनुवाद "सुअर को मारने का खेल" होता है. साइबर अपराधी समय के साथ अपने शिकारों का विश्वास जीतते हैं और अंत में उन्हें क्रिप्टोक्यूरेंसी या अन्य लाभकारी दिखने वाली योजनाओं में निवेश करने के लिए मनाते हैं. उनका मकसद सिर्फ लोगों को लाखों-करोड़ों रुपये ठगना ही होता है.
पिग बुइचरिंग स्कैम से सुरक्षित कैसे रहें
- अनजान कॉन्टैक्ट: अजनबियों से मिलने वाले मैसेजेस से सावधान रहें, खासकर तब, जब वो बहुत दोस्ताना या तेजी से विश्वास बनाने की कोशिश कर रहे हों.
- असंभव लगने वाले वादों पर भरोसा न करें: अगर कोई हाई रिटर्न की गारंटी देता है, जिसमें जोखिम कम से कम बताया जा रहा है, तो उससे दूर रहें, क्योंकि असली इन्वेस्टमेंट प्लान्स में जोखिम की सभी संभावनाओं को अच्छी तरह से बताया और समझाया जाता है.
- जल्दी से काम करने का दबाव: किसी भी इन्वेस्टमेंट प्लान में इन्वेस्ट करने के लिए जल्दबाजी न करें. इन्वेस्टमेंट प्लान असली हो या नकली, हमेशा सोच समझकर ही निर्णय लें.
- फाइनेंशियल डिटेल्स शेयर न करें: कभी भी किसी अनजान व्यक्ति से अपनी बैंक अकाउंट डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड नंबर या किसी भी अन्य संवेदनशील जानकारियों को शेयर न करें.
पिग बुइचरिंग स्कैम से खुद को सुरक्षित रखने के टिप्स
- कभी भी किसी अनजान नंबर से आए मैसेज का रिप्लाई न करें. खासतौर पर अगर कोई इन्वेस्टमेंट करने के लिए कोई प्रपोज़ल भेज रहा है, तो उस मैसेज का रिप्लाई तो बिल्कुल न करें.
- किसी भी ऐसे व्यक्ति से हमेशा सावधान रहें, जो ऑनलाइन माध्यमों के जरिए काफी कम समय में दोस्त बनने की कोशिश कर रहा हो.
- किसी भी इन्वेस्टमेंट प्लान्स में पैसा लगाने से पहले, उसके बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करें और सभी संभावित रिस्क फैक्टर्स को भी ध्यान से समझें.
- अगर आपको किसी इन्वेस्टमेंट प्लान में रुचि लग रही है और आप किसी डिटेल्स समझ नहीं पा रहे हैं, तो आप किसी ऐसे फाइनेंसशियल एडवाइज़र की मदद लें, जिन्हें आप काफी लंबे वक्त और अच्छी तरह से जानते हैं.
- किसी भी अनजान व्यक्तियों के साथ अपनी बैंक डिटेल्स को शेयर न करें.
- अगर आपको किसी भी इंसान से बात करने में अगर थोड़ा भी अज़ीब या फ्रॉड होने का अंदाजा लग रहा है तो उससे बात करना तुरंत बंद कर दें और उसकी शिकायत पुलिस में करें.
भारत में क्रिप्टो पिग बुइचरिंग स्कैम से निपटने की तैयारियां
नेशनल साइबरक्राइम थ्रेट एनालिटिकल यूनिट ने मार्च 2024 में बताया कि भारत में बड़ी टेक कंपनियों के गलत इस्तेमाल की 37,500 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. सबसे ज्यादा शिकायतें व्हाट्सएप (14,746) पर थीं, इसके बाद टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, फेसबुक, और यूट्यूब पर भी कई शिकायतें आईं.
गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने गूगल के साथ मिलकर क्रिप्टो पिग बुइचरिंग स्कैम से लड़ने के लिए जानकारी शेयर की है. साइबर अपराधी स्पॉन्सर्ड फेसबुक विज्ञापनों का उपयोग करके गैर-कानूनी लोन एप्लीकेशन का प्रचार करते हैं और उनके लिंक को फेसबुक पर भेजे जाते हैं. मंत्रालय ने साइबर वॉलंटियर फ्रेमवर्क भी शुरू किया है, जिसमें 54,833 वॉलंटियरों को गलत कंटेंट की रिपोर्टिंग और कानून की सहायता के लिए शामिल किया गया है.
अवैध ऋण एप्लीकेशन का प्रचार करते हैं और उनके लिंक फेसबुक को भेजे जाते हैं। मंत्रालय ने साइबर वॉलंटियर फ्रेमवर्क भी शुरू किया है, जिसमें 54,833 वॉलंटियरों को गलत कंटेंट की रिपोर्टिंग और कानून की सहायता के लिए शामिल किया गया है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के दुरुपयोग को ट्रैक और जांच करने के लिए भी भारत का प्रवर्तन निदेशालय (ED) कई नए प्लान्स बना रहा है.
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