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झालावाड़: कामखेड़ा गांव में आज भी रामलीला के प्रति गहरी आस्था, गांव सहित आस-पास के इलाके से भी आते हैं लोग

महावीर कला मंडल की ओर से झालावाड़ जिले के कामखेड़ा गांव में रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. रामलीला में मध्यप्रदेश के राजगढ़, भोपाल, ब्यावरा, गुना और राजस्थान के झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां और आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने पहुंचते हैं. मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस जमाने में आज भी पर्यटक स्थल कामखेड़ा में रामलीला के प्रति लोगों का उत्साह बरकरार है.

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Published : Dec 8, 2019, 10:31 AM IST

Ramlila organized in Jhalawar, झालावाड़ में रामलीला का आयोजन
आज भी रामलीला देखने कई गांवों से पहुंचते हैं लोग

मनोहरथाना (झालावाड़). महावीर कला मंडल कामखेड़ा गांव की ओर से रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला का मंचन देखने पहुंचते हैं. मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला मंचन प्रस्तुति को लेकर लोगों का उत्साह बरकरार है.

आज भी रामलीला देखने कई गांवों से पहुंचते हैं लोग

स्थानीय बुजुर्ग रामप्रसाद कारपेंटर ने बताया कि कामखेड़ा पर्यटन स्थल धार्मिक नगरी में रामलीला की शुरुआत उनके सामने ही हुई है. वे भी रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे. परंतु उम्र के साथ-साथ अब युवा पीढ़ी ने इस रामलीला की बागडोर संभाल ली है, तब से ही यह चली आ रही है. इस रामलीला को ऐसे ही देखा है. उनका कहना है कि करीब 60 सालों से इस गांव में रामलीला मंचन होता आ रहा है.

आज भी गांव में कृषि कार्य करने के बाद शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं. भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं. यह रामलीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है. आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी व मोबाइल कंप्यूटर के इस जमाने में भी आज इस गांव में रामलीला के प्रति लोगों की श्रद्धा और उत्साह बरकरार है. इस रामलीला मंचन को देखने दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 85 गांव के लोग इस रामलीला को देखने के लिए आते हैं.

इसी के साथ कामखेड़ा धार्मिक स्थल पर कई क्षेत्रों से एवं राज्य के लोग बालाजी धाम दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. जिसके कारण यहां की रामलीला में हजारों की भीड़ रहती है. जिले का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने पर रामलीला में दर्शकों की भारी भीड़ रहती है और यहां की रामलीला काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मानी जाती है. रामलीला में मुख्य अभिनय करने वाले कई ऐसे कलाकार भी है, जिनमें पिता-पुत्र व पोते भी रामलीला में अभिनय करते हैं. एक ही परिवार की तीन-तीन पीढ़ियां एक साथ रामलीला में अभिनय कर चुकी है.

पढ़ें- सिविल सेवाएं वर्तमान में नाजुक दौर से गुजर रही हैं -अरुणा राय

बता दें कि कामखेड़ा प्रसिद्ध स्थल पर रामलीला का मंचन जारी रहता है, तब उस समय मंचन में किरदार निभाने वाले कलाकारों को भी श्रद्धा के भाव से ही देखा जाता है और लोग उन पर फूलों की पुष्प वर्षा भी करते हैं और भेंट स्वरूप उपहार भी देते हैं. मध्य प्रदेश बॉर्डर के नजदीक होने के कारण यहां पर मध्य प्रदेश से भी दर्शक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

पढ़ें- राजस्थान सबसे भ्रष्ट राज्य तो एसीबी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे नहीं, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

ग्रामीणों ने बताया कि यहां की रामलीला काफी प्रचलित एवं प्रसिद्ध मानी जाती है. कामखेड़ा धार्मिक स्थल पर विगत 60 वर्षों से चली आ रही रामलीला अब वर्तमान हालातों में युवाओं के सहयोग से चल रही है. अब इस रामलीला की बागड़ोर युवा पीढ़ी के हाथों में है.

मनोहरथाना (झालावाड़). महावीर कला मंडल कामखेड़ा गांव की ओर से रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला का मंचन देखने पहुंचते हैं. मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला मंचन प्रस्तुति को लेकर लोगों का उत्साह बरकरार है.

आज भी रामलीला देखने कई गांवों से पहुंचते हैं लोग

स्थानीय बुजुर्ग रामप्रसाद कारपेंटर ने बताया कि कामखेड़ा पर्यटन स्थल धार्मिक नगरी में रामलीला की शुरुआत उनके सामने ही हुई है. वे भी रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे. परंतु उम्र के साथ-साथ अब युवा पीढ़ी ने इस रामलीला की बागडोर संभाल ली है, तब से ही यह चली आ रही है. इस रामलीला को ऐसे ही देखा है. उनका कहना है कि करीब 60 सालों से इस गांव में रामलीला मंचन होता आ रहा है.

आज भी गांव में कृषि कार्य करने के बाद शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं. भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं. यह रामलीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है. आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी व मोबाइल कंप्यूटर के इस जमाने में भी आज इस गांव में रामलीला के प्रति लोगों की श्रद्धा और उत्साह बरकरार है. इस रामलीला मंचन को देखने दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 85 गांव के लोग इस रामलीला को देखने के लिए आते हैं.

इसी के साथ कामखेड़ा धार्मिक स्थल पर कई क्षेत्रों से एवं राज्य के लोग बालाजी धाम दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. जिसके कारण यहां की रामलीला में हजारों की भीड़ रहती है. जिले का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने पर रामलीला में दर्शकों की भारी भीड़ रहती है और यहां की रामलीला काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मानी जाती है. रामलीला में मुख्य अभिनय करने वाले कई ऐसे कलाकार भी है, जिनमें पिता-पुत्र व पोते भी रामलीला में अभिनय करते हैं. एक ही परिवार की तीन-तीन पीढ़ियां एक साथ रामलीला में अभिनय कर चुकी है.

पढ़ें- सिविल सेवाएं वर्तमान में नाजुक दौर से गुजर रही हैं -अरुणा राय

बता दें कि कामखेड़ा प्रसिद्ध स्थल पर रामलीला का मंचन जारी रहता है, तब उस समय मंचन में किरदार निभाने वाले कलाकारों को भी श्रद्धा के भाव से ही देखा जाता है और लोग उन पर फूलों की पुष्प वर्षा भी करते हैं और भेंट स्वरूप उपहार भी देते हैं. मध्य प्रदेश बॉर्डर के नजदीक होने के कारण यहां पर मध्य प्रदेश से भी दर्शक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

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ग्रामीणों ने बताया कि यहां की रामलीला काफी प्रचलित एवं प्रसिद्ध मानी जाती है. कामखेड़ा धार्मिक स्थल पर विगत 60 वर्षों से चली आ रही रामलीला अब वर्तमान हालातों में युवाओं के सहयोग से चल रही है. अब इस रामलीला की बागड़ोर युवा पीढ़ी के हाथों में है.

Intro:हेमराज शर्मा /झालावाड़/ मनोहरथाना


मनोहरथाना /झालावाड़/ जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा बालाजी धाम पर
महावीर कला मंडल द्वारा द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. रामलीला में मध्यप्रदेश के राजगढ़ भोपाल ब्यावरा गुना तथा राजस्थान के झालावाड़ कोटा बूंदी बारां एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी पर्यटक स्थल कामखेड़ा में रामलीला का रुझान बरकरार है.

मनोहरथाना (झालावाड़). जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा बालाजी में विगत 60 सालों से अधिक हो चुके हैं महावीर कला मंडल कामखेड़ा गांव द्वारा रामलीला आयोजित की जा रही है. रामलीला में आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी गांव में रामलीला का रुझान बरकरार है.मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी रामलीला देखने पहुंचता है पूरा गांवस्थानीय बुजुर्ग कजोडीलाल मीणा बताते हैं कि मेरी उम्र लगभग 55 से ऊपर है. रामप्रसाद कारपेंटर 85 वर्षीय ने बताया कि कामखेड़ा पर्यटक स्थल धार्मिक नगरी में रामलीला की शुरुआत मेरे सामने ही शुरू हुई हैमैं भी रामलीला में रावण का पाठ अदा करता था परंतु उम्र के साथ-साथ अब युवा पीढ़ी ने इस रामलीला की बागडोर संभाल ली है तब
से चली आ रही इस रामलीला को ऐसे ही देखा है लगभग 60 सालों से इस गांव में रामलीला चली आ रही है. आज भी गांव के अंदर खेती कार्य करने के उपरांत शाम को लोग रामलीला देखने के लिए बड़े सहज भाव से पहुंचते हैं.।
भगवान के दरबार में भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं यह राम लीला गांव के जन सहयोग द्वारा की जाती है गांव का आधुनिक मॉडल टेक्नोलॉजी मोबाइल कंप्यूटर का जमाना जिसमें आज भी रामलीला का अस्तित्व बरकरार है. आज गांव के अंदर मनोरंजन का मुख्य साधन रामलीला ही माना जाता है. आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन का मुख्य आकर्षक का केंद्र बन रही है रामलीला दूरदराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. अपनी खेती कार्यों को निवृत्त होकर रामलीला देखने पहुंचते हैं. इस गांव में लगभग 85 गांव के लोग इस राम लीला को देखने के लिए आते हैं. इसी के साथ साथ कामखेड़ा धार्मिक स्थल पर कई क्षेत्रों से एवं राज्य के लोग बालाजी धाम दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं जिसके कारण यहां की रामलीला में हजारों की भीड़ रहती है प्रसिद्ध जिले का पर्यटक स्थल होने पर रामलीला में दर्शकों की भीड़ भारी रहती है और यहां की रामलीला काफी प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मानी जाती है। रामलीला में मुख्य अभिनय करने वाले कई ऐसे कलाकार भी है जिसमें पिता-पुत्र पोते ने भी रामलीला के अंदर अभिनय करते हैं । एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों ने एक साथ रामलीला में अभिनय किया।Body:आपको बता दें कि कामखेड़ा प्रसिद्ध स्थल पर रामलीला का मंचन चलता है तब उस समय पात्रों को बिल्कुल भगवान की तरह दर्जा दिया जाता है और लोग उनको प्रणाम करने लगते हैं लोग उन पर फूलों की पुष्प वर्षा भी करते हैं और भेंट स्वरूप उपहार भी चढ़ाते हैं इसे सहज भाव से आज भी यहां पर रामलीला देखी जाती है

राजस्थान का झालावाड़ जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा बालाजी धाम राजस्थान के झालावाड़ जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूरी पर आपको बता दें कि मध्य प्रदेश बॉर्डर के नजदीक होने के कारण यहां पर मध्य प्रदेश से भी दर्शक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं देखने के लिए मध्य प्रदेश राजगढ़ जिले के 115 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थल है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां की रामलीला इसलिए काफी प्रचलित एवं प्रसिद्ध मानी जाती है इस कारण से यहां की रामलीला में अधिक भीड़ रहती है


युवा कलाकारों की बाइट


Conclusion:कामखेड़ा धार्मिक प्रसिद्ध स्थल पर विगत 60 वर्षों से चली आ रही रामलीला अब वर्तमान हालातों में युवाओं के बीच में चल रही है अब इस रामलीला की बागडोर नई युवा पीढ़ी द्वारा संचालित की जा रही है झालावाड़ जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कामखेड़ा बालाजी धाम का यह रामलीला एक ऐतिहासिक मानी जाती है यहां पर दूर-दराज सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग प्रसिद्ध बालाजी धाम होने के कारण यहां की रामलीला में अधिक भीड़ रहती है और रामलीला ऐसी होती है जैसे टीवी सीरियल के अंदर रामायण का अभिनय किया जा रहा है उसी प्रकार से यहां के मंच पर भी उसी प्रकार का दृश्य दर्शाया जाता है ।
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