जैसलमेर. पंचायती राज चुनाव के बीच जिले में कांग्रेस की सियासत में गर्मी साफ देखी जा रही है. जिला प्रमुख और पंचायत समितियों के सदस्यों की टिकटों के वितरण के बाद कांग्रेस की फूट अब खुलकर सामने आ गई है. बगावती तेवर अपनाने वाले और कोई नहीं बल्कि राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के चार भाई हैं, जिन्होंने कांग्रेस के सामने खुलकर बगावत के स्वर को तेज किया है.
मंत्री सालेह मोहम्मद के चार भाईयों में पूर्व प्रधान अमरदीन फकीर जो यूथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष भी है. वहीं दूसरे भाई जैसलमेर यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैं, ऐसे में अब जैसलमेर के पंचायती राज चुनाव को लेकर यह चर्चा हो रही है कि प्रदेश सरकार के मंत्री जैसलमेर में कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे या फिर अपने बगावती भाईयों का.
जैसलमेर की राजनीति में कांग्रेस पार्टी का पर्याय माना जाने वाला फकीर परिवार जैसलमेर में सिंधी मुसलमानों का धर्मगुरू है. ऐसे में एक बहुत बड़ा तबका उनका मुरीद होने के नाते राजनीति में भी उन्हीं का अनुसरण करता है और यही कारण है कि जैसलमेर में पंचायती राज चुनाव में पिछले 20 वर्षों से फकीर परिवार का कब्जा रहा है और प्रधान-प्रमुख वही लोग बने हैं. जिन पर इस परिवार का हाथ रहा है, लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं और पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस की कमान जैसलमेर विधायक रूपाराम धनदे ने अपने हाथ में ले रखी है.
जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में जिला परिषद सीटों और पंचायत समिती सदस्यों की टिकटों का वितरण खुद द्वारा करवाए गए सर्वे के अनुसार किया है. जिसमें फकीर परिवार के कई सदस्यों की टिकटें कट गई और फकीर परिवार जो कांग्रेस पार्टी के प्रति निष्ठा के लिए जाना जाता था. उसने पार्टी में बगावत का बिगुल बजा दिया.
गौरतलब है कि जैसलमेर में गत विधानसभा चुनाव में जैसलमेर से रूपाराम और पोकरण से सालेह मोहम्मद विधायक चुने गए थे और सालेह मोहम्मद को राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिलने से जिले में उनका दर्जा बढ़ गया. जिसके बाद दोनों में राजनैतिक प्रतिद्वंदता लगातार बढने लगी है. पूर्व में हुए जैसलमेर नगर परिषद चुनाव में भी फकीर परिवार ने रूपाराम द्वारा खड़े किए गए अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के उम्मीदवार को हराकर निर्दलीय हरिवल्लभ कल्ला को नगर परिषद अध्यक्ष बनाया था.
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हालांकि कल्ला ने जीत के तुरंत बाद वापस कांग्रेस का दामन थाम लिया था, लेकिन राजनीति की ये लड़ाई लगातार बढ़ते हुए अब पंचायती राज चुनाव तक आ पहुंची है और विधायक द्वारा कांग्रेस पार्टी की ओर से खड़े किए गए कई उम्मीदवारों के सामने फकीर परिवार के सदस्यों सहित उनके समर्थकों को उतारा गया है. जिसका सीधा खामियाजा इन चुनावों में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.