ETV Bharat / state

जयपुरः थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए युवाओं ने बढ़-चढ़कर किया रक्तदान - Amer Thalassemia

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर महीने और किसी-किसी को हर 10 दिन में खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. अकेले राजधानी जयपुर में 500 से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं. इन्हीं बच्चों के लिए खून की जरूरत पूरी करने के उद्देश्य से आमेर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. जिसमें युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

थैलेसीमिया ब्लड, आमेर थैलेसीमिया, आमेर समाचार, थैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसायटी, Thalassemia Children's Society, आमेर रक्तदान शिविर, Thalassemia blood, Amer Thalassemia, Amer news
author img

By

Published : Sep 16, 2019, 3:49 PM IST

जयपुर. थैलेसीमिया की बीमारी से पीड़ित बच्चों की जीवन रक्षा के लिए 20 साल से थैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसायटी के तत्वाधान में हर साल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है. रक्त दाताओं को सोसायटी की ओर से प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो देकर भी सम्मानित किया गया. साथ ही लोगों से थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए रक्तदान करने की अपील की गई.थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है. यह बीमारी शरीर में रक्त नहीं बनने देती है. जिससे शरीर में रक्त की कमी होने से पीड़ित को हर माह रक्त चढ़ाना आवश्यक होता है. जयपुर शहर में इस बीमारी से पीड़ित करीब 500 से ज्यादा बच्चे है.

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए युवाओं ने किया रक्तदान

थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चे खाने के बिना रह सकते है. लेकिन रक्त के बिना नहीं रह सकते. क्योंकि बच्चों का जीवन रक्त चढ़ाने पर ही निर्भर करता है. एक बच्चे को हर महीने 2 से 3 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. धीरे-धीरे बच्चे की उम्र के साथ-साथ ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता भी बढ़ जाती है. उम्र के साथ बच्चों को हर 15 दिन और हर सप्ताह रक्त की आवश्यकता पड़ती है. कई बार हर दिन भी रक्त चढ़ाना पड़ जाता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में रक्त बनने की क्षमता नहीं होती है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: सोशल मीडिया के जरिए बेसहारा परिवार के लिए युवाओं ने मांगी मदद, 1.45 लाख रुपए की मिली सहायता

डॉ महावीर सैनी ने बताया कि राजधानी जयपुर में रोजाना थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को 100 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. इन बच्चों के जीवन रक्षा के लिए जयपुर में कई संस्थाएं जगह-जगह पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करती है. रक्तदान शिविर डोनेट ब्लड को जांच करने के बाद बच्चों को चढ़ाया जाता है.थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के जीवन रक्षा के लिए सोसायटी की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाकर संदेश दिया जाता है कि युवा अपना थैलेसीमिया बीमारी का टेस्ट करवाएं, ताकि आने वाले समय में इस बीमारी से पीड़ित बच्चे जन्म नहीं ले.

जयपुर. थैलेसीमिया की बीमारी से पीड़ित बच्चों की जीवन रक्षा के लिए 20 साल से थैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसायटी के तत्वाधान में हर साल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है. रक्त दाताओं को सोसायटी की ओर से प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो देकर भी सम्मानित किया गया. साथ ही लोगों से थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए रक्तदान करने की अपील की गई.थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है. यह बीमारी शरीर में रक्त नहीं बनने देती है. जिससे शरीर में रक्त की कमी होने से पीड़ित को हर माह रक्त चढ़ाना आवश्यक होता है. जयपुर शहर में इस बीमारी से पीड़ित करीब 500 से ज्यादा बच्चे है.

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए युवाओं ने किया रक्तदान

थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चे खाने के बिना रह सकते है. लेकिन रक्त के बिना नहीं रह सकते. क्योंकि बच्चों का जीवन रक्त चढ़ाने पर ही निर्भर करता है. एक बच्चे को हर महीने 2 से 3 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. धीरे-धीरे बच्चे की उम्र के साथ-साथ ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता भी बढ़ जाती है. उम्र के साथ बच्चों को हर 15 दिन और हर सप्ताह रक्त की आवश्यकता पड़ती है. कई बार हर दिन भी रक्त चढ़ाना पड़ जाता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में रक्त बनने की क्षमता नहीं होती है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: सोशल मीडिया के जरिए बेसहारा परिवार के लिए युवाओं ने मांगी मदद, 1.45 लाख रुपए की मिली सहायता

डॉ महावीर सैनी ने बताया कि राजधानी जयपुर में रोजाना थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को 100 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. इन बच्चों के जीवन रक्षा के लिए जयपुर में कई संस्थाएं जगह-जगह पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करती है. रक्तदान शिविर डोनेट ब्लड को जांच करने के बाद बच्चों को चढ़ाया जाता है.थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के जीवन रक्षा के लिए सोसायटी की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाकर संदेश दिया जाता है कि युवा अपना थैलेसीमिया बीमारी का टेस्ट करवाएं, ताकि आने वाले समय में इस बीमारी से पीड़ित बच्चे जन्म नहीं ले.

Intro:जयपुर
एंकर- थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर महीने और किसी किसी को हर 10 दिन में खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। अकेले राजधानी जयपुर में 500 से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं। इन्हीं बच्चों के लिए खून की जरूरत पूरी करने के उद्देश्य से आमेर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।


Body:थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चों की जीवन रक्षा के लिए 20 साल से थैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसायटी के तत्वाधान में हर साल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। रक्त दाताओं को सोसायटी की ओर से प्रशस्ति पत्र व मोमेंटो देकर भी सम्मानित किया गया। साथ ही लोगों से थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए रक्तदान करने की अपील की गई।
थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी शरीर में रक्त नहीं बनने देती है जिससे शरीर में रक्त की कमी होने से पीड़ित को हर माह रक्त चढ़ाना आवश्यक होता है। जयपुर शहर में इस बीमारी से पीड़ित करीब 500 से ज्यादा बच्चे हैं।
थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चे खाने के बिना रह सकते हैं लेकिन रक्त के बिना नहीं रह सकते। क्योंकि बच्चों का जीवन रक्त चढ़ाने पर ही निर्भर करता है। एक बच्चे को हर महीने 2 से 3 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। धीरे-धीरे बच्चे की उम्र के साथ-साथ ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। उम्र के साथ बच्चों को हर 15 दिन और हर सप्ताह रक्त की आवश्यकता पड़ती है। कई बार हर दिन भी रक्त चढ़ाना पड़ जाता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में रक्त बनने की क्षमता नहीं होती है।
डॉ महावीर सैनी ने बताया कि राजधानी जयपुर में रोजाना थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को 100 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। इन बच्चों के जीवन रक्षा के लिए जयपुर में कई संस्थाएं जगह जगह पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करती है। रक्तदान शिविर डोनेट ब्लड को जांच करने के बाद बच्चों को चढ़ाया जाता है।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के जीवन रक्षा के लिए सोसायटी की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाकर संदेश दिया जाता है कि युवा अपना थैलेसीमिया बीमारी का टेस्ट करवाएं ताकि आने वाले समय में इस बीमारी से पीड़ित बच्चे जन्म नहीं ले।

बाईट- गिर्राज प्रसाद जागा, आयोजक, थैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसाइटी
बाईट- डॉ. महावीर सैनी, एसएमएस ब्लड बैंक




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.