जयपुर. फैमिली डायनेस्टी की हिस्ट्री इंडिया में ही नहीं है. इसे पूरे विश्व में देखा जा सकता है. फैमिली पावर का अलग इफेक्ट है. नेहरू, कैनेडी, रूजवेल्ट इसका सीधा उदाहरण हैं. पूरे विश्व में ऐसा हो रहा है. इसका पॉजिटिव इफेक्ट भी है और नेगेटिव भी. नोर्थ कोरिया में ये घातक है, जहां किमजोंग रूल कर रहे हैं. ये कहना है इतिहासकार और लेखक साइमन सिबेग का. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सोमवार को आयोजित सेशन में त्रिपुर दमन सिंह के साथ बातचीत में साइमन ने ये बात कही. साथ ही कहा कि फैमिली हमारा आइना है, हमारी शक्ति है.
'द वर्ल्ड: 'ए फैमिली हिस्ट्री ऑफ ह्यूमैनिटीज' के लेखक साइमन ने कहा कि उनकी किताब में विश्व के सभी डिक्टेटर के बारे में लिखा है. ये फुल ऑफ डार्कनेस के साथ हैं. जहां हर तरह के युद्ध और क्रूरता भी पढ़ने को मिलेगी. वेस्टर्न डेमोक्रेसी के बाहर भारत और पाकिस्तान में डायनेस्टी देखने को मिलती है. किताब में उन्होंने आगामी 50 साल के भविष्य के बारे भी लिखा है, जिसके अनुसार भारत, चीन के साथ विश्व की सुप्रीम पावर में होगा. आज ग्रेट एम्पायर स्टेट अमरीका और चाइना है, लेकिन भविष्य में भारत भी इसमें शामिल होगा. वर्तमान में बहुत न्यूक्लियर पावर बन गए हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही ह्यूमेनिटी को लेकर सोच रहे हैं.
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साइमन ने कहा कि पाकिस्तान भी डायनेस्टी से अछूता नहीं है. वहां भुट्टो और अन्य फैमिली हैं. मुगल सहित विभिन्न डायनेस्टी की तरह विश्व में अन्य डायनेस्टी में भी क्रुएलिटी देखने को मिली है. भारत इस बुक का सेंट्रल पार्ट है. इसके अलावा चीन, कम्बोडिया के अन्य देश भी शामिल हैं. साइमन ने कहा कि रशिया का यूक्रेन पर हमला एक वर्ल्ड चेंजिंग इवेंट है. पिछले 50 साल में उन्होंने हर तरह के युद्ध देखे. सोवियत यूनियन का पतन और जॉर्जिया का उदय देखा. एक घटना ने उन्हें बताया कि युद्ध क्या होता है. जॉर्जिया में लोग युद्ध के दौरान जश्न मना रहे थे. उनके हेड ने जब मारे गए लोगों के बारे में पूछा तो उन्होंने वाइन रखने वाली टेबल का कपड़ा हटाया, जहां मरे हुए लोगों की लाशें रखी हुई थीं.
वहीं एक अन्य सत्र में हॉवर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और लेखक मॉर्टिन पुखनर ने अपनी नई बुक 'कल्चर: द स्टोरी ऑफ अस, फ्रॉम केव आर्ट' पर अपनी बात रखी. इस दौरान अमरीकी लेखक अन्ना डेल्ला सुबिन के साथ चर्चा की. मॉर्टिन ने कहा कि संस्कृति को सहेजकर अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी वर्तमान पीढ़ी की होनी चाहिए. किसी भी देश, जनजाति या कबीले के लोगों की पहचान से उनकी संस्कृति से होता है. उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक में पिछले 30 हजार साल के कल्चर में बारे में लिखा गया है. कल्चर में काफी बदलाव भी देखे गए हैं. बदलाव हमारे विकास को दर्शाता है.