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विश्व वन्यजीव दिवस आज, मिलिए ऐसे 'वन्यप्रेमी' से जो मानते हैं चुनौतियां कम नहीं लेकिन हर रेस्क्यू में रोमांच और एडवेंचर

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Published : Mar 3, 2023, 12:36 PM IST

Jaipur Wildlife Saviour Doctor, विश्व वन्यजीव दिवस 2023 के इस बार की थीम है 'वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी'. कोशिश हो रही है कि दूरी को पाटा जा सके. हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि दुश्वारियां कम नहीं. आज इस दिवस पर मिलते हैं अब तक 550 वन्यजीवों को रेस्क्यू करने वाले डॉ. अरविन्द माथुर से...

World Wildlife Day 2023
World Wildlife Day 2023
डॉ अरविंद माथुर ने साझा किए वो अनमोल पल

जयपुर. किसी भी तरह की मुसीबत आने पर इंसान तो अपनी पीड़ा को शब्दों में बयां कर सकता है, लेकिन बेजुबानों के लिए तो ये बेहद मुश्किल काम होता है. उनकी इसी वेदना को समझते हैं डॉ अरविंद माथुर. पेशे से वन्यजीव चिकित्सक हैं लेकिन Wildlife बचाना और उनके साथ जीवन के अनमोल पल बिताना अपनी खुशकिस्मती समझते हैं. इन्होंने बचपन के सपने को पूरा करने लिए वेटनरी चिकित्सक बनने का फैसला लिया. फिलहाल नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सा अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं.

बचपन से ही रहा वन्यजीवों से प्रेम - डॉक्टर अरविंद माथुर बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें वन्यजीवों से खासा प्रेम था. जयपुर चिड़ियाघर एवं जंगलों में जाना ,वन्यजीवों के साथ टाइम स्पेंड करना ,उनकी बचपन की हॉबी रही. यही वजह है कि उन्होंने आगे की अपनी पढ़ाई भी हॉबी के अनुरूप की. वाइल्ड लाइफ लव को प्रोफेशन में तब्दील किया. 1995 में वेटरनरी कॉलेज बीकानेर में सर्जरी में टॉप करने के साथ ही पशु चिकित्सक की नौकरी की शुरुआत की. माथुर बताते हैं कि शुरुआत में अलग अलग जगह काम करने का मौका मिला लेकिन 2008 में जयपुर चिड़ियाघर में वन्यजीव चिकित्सक के तौर पर जब पोस्टिंग हुई तो उसके बाद लाइफ में कुछ अलग काम करने का मौका मिला. चिड़ियाघर के वन्यजीवों के साथ इस तरह से घुलमिल गए जैसे मानो वह उन्हीं के बीच के एक सदस्य हों.

Jaipur Wildlife Saviour Doctor
विदेश से ली है ट्रैंकुलाइज करने की ट्रेनिंग

सर्वाधिक लेपर्ड रेस्क्यू का रिकॉर्ड - डॉ. अरविन्द कुमार माथुर ने प्रदेश के कई जिलों में बाघ, बघेरे और भालू सहित कई खतरनाक वन्यजीवों के रेस्क्यू और इलाज कर नए रिकॉर्ड बना चुके हैं. माथुर बताते हैं कि वैसे तो उन्होंने 550 से ज्यादा वन्यजीवों को रेस्क्यू किया है , लेकिन हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम सर्वाधिक लेपर्ड को रेस्क्यू करने और उन्हें पुनर्वास करने के क्षेत्र में दर्ज किया गया है. बताया कि 10 मार्च 2008 से फरवरी 2023 तक राजस्थान के अलग-अलग जिलों में सर्वाधिक 66 लेपर्ड का रेस्क्यू कर चुके हैं, 59 लेपर्ड रेस्क्यू करने और लेपर्ड को सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के क्षेत्र में उन्हें यह अवार्ड दिया गया था.

पढ़ें-New Technology to Reduce Human Wildlife Conflict: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से रुकेगा मानव-वन्यजीव संघर्ष

राज्य स्तर पर हुए सम्मानित - डॉ माथुर बताते हैं कि वन्यजीवों को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन हर रेस्क्यू में रोमांच और एडवेंचर की तरह होता है. इस दौरान कभी वन्यजीव के हमले में तो कभी रेस्क्यू के दौरान घायल भी हो गए. माथुर जयपुर में लेपर्ड को रेस्क्यू करने के वक्त की अपनी घटना को याद करके बताते हैं कि जब वह झालाना के पास पैंथर को रेस्क्यू कर रहे थे तो उस समय अंधेरा था और अचानक कैमरे की फ्लैशलाइट से पैंथर ने इस कदर उन पर हमला किया की एक बार के लिए उन्हें लगा मानो आज तो जान ही गई , लेकिन सतर्कता से वह बच निकले. इस दौरान उनके हाथ पर पैंथर के हमले से जो घाव लगे उसमें 12 से अधिक टांके आए, इस हमले से भी माथुर का वन्यजीव संरक्षण का जज्बा कम नहीं हुआ. इसी काबिलियत एवं वन्य जीव संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के चलते उन्हें कई महत्वपूर्ण अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यस्तरीय सम्मान से 15 अगस्त 2011 को नवाजा था.

बीब
सर्वाधिक लेपर्ड रेस्क्यू का रिकॉर्ड

अंतर्राष्ट्रीय वन्य जीव प्रशिक्षण -अरविंद माथुर का नाम उन चंद डॉक्टर में शुमार है जिन्होंने विदेश में जाकर प्रशिक्षण लिया है . राज्य सरकार की ओर यूके (2011) और साउथ अफ्रीका (2019) में वन्य जीव चिकित्सा एवं ट्रेंकुलाइजर्स क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने भी भेजा गया था. डॉ. माथुर ने प्रदेश के रणथम्भौर, सरिस्का और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में करीब 30 से ज्यादा बाघों को ट्रेंक्यूलाइज कर उनका उपचार किया है, साथ ही कइयों को रेडियोकॉलर भी लगाए हैं. ऐसे ही अभी तक सर्वाधिक 50 से ज्यादा वन्यजीवों की सर्जरी भी की है. प्रदेश में 2003 में पहली बार अफ्रीकन लायन की मेजर सर्जरी हो, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लॉयन त्रिपुर के कोरोना होने पर उसका सफल इलाज हो या पार्क की शेरनी तेजिका के पेरेलेसिस होने पर सफल उपचार सभी डॉ. माथुर के नाम दर्ज है. वहीं जयपुर में पिछले 10 वर्षों से इंडियन वुल्फ का सफल प्रजनन एवं संरक्षण भी माथुर की निगरानी में हुआ.

वन्यजीव पर हमला नहीं करें-डॉक्टर अरविंद माथुर विश्व वन्य दिवस पर आम जनता से अपील करते हैं कि कोई भी व्यक्ति वन्य जीवों पर हमला न करे . उन्होंने कहा कि यह शर्मीले होते हैं, जब तक आप इनसे आप छेड़खानी नहीं करेंगे , तब तक यह आप पर हमला नहीं करते हैं. माथुर बताते हैं कि गर्मी के समय वन्यजीव जंगलों से बाहर भोजन-पानी की तलाश के चलते शहरी क्षेत्रों की ओर रुख करते हैं, जिससे लोगों और वन्यजीव दोनों को नुकसान होने का अंदेशा बना रहता है. खासतौर से पैंथर या अन्य वन्य जीव जो जंगल से कई बार आबादी वाले क्षेत्र में आ जाते हैं. लोग उन्हें कई बार घेर कर हमला करते हैं और जख्मी या जान से मार देते हैं , लेकिन आम जनता को उनके साथ इस तरह की क्रूरता का व्यवहार नहीं करना चाहिए. वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति आम लोगों में भी जागरूकता होनी चाहिए. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी ज्यादा जरूरत है.

आज विश्व वन्यजीव दिवस - विश्व में विलुप्त हो रहे वन्य जीवों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण के लिए 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस हर साल मनाया जाता है. इस दिन को मनाए जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से की गई थी , विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम " वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी " है. सर्वप्रथम इस दिन को 3 मार्च 2014 में मनाया गया था और आज तक मनाया जा रहा है. प्रदेश में भी वन्य जीव संरक्षण और उनके प्रति जागरूकता के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

डॉ अरविंद माथुर ने साझा किए वो अनमोल पल

जयपुर. किसी भी तरह की मुसीबत आने पर इंसान तो अपनी पीड़ा को शब्दों में बयां कर सकता है, लेकिन बेजुबानों के लिए तो ये बेहद मुश्किल काम होता है. उनकी इसी वेदना को समझते हैं डॉ अरविंद माथुर. पेशे से वन्यजीव चिकित्सक हैं लेकिन Wildlife बचाना और उनके साथ जीवन के अनमोल पल बिताना अपनी खुशकिस्मती समझते हैं. इन्होंने बचपन के सपने को पूरा करने लिए वेटनरी चिकित्सक बनने का फैसला लिया. फिलहाल नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सा अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं.

बचपन से ही रहा वन्यजीवों से प्रेम - डॉक्टर अरविंद माथुर बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें वन्यजीवों से खासा प्रेम था. जयपुर चिड़ियाघर एवं जंगलों में जाना ,वन्यजीवों के साथ टाइम स्पेंड करना ,उनकी बचपन की हॉबी रही. यही वजह है कि उन्होंने आगे की अपनी पढ़ाई भी हॉबी के अनुरूप की. वाइल्ड लाइफ लव को प्रोफेशन में तब्दील किया. 1995 में वेटरनरी कॉलेज बीकानेर में सर्जरी में टॉप करने के साथ ही पशु चिकित्सक की नौकरी की शुरुआत की. माथुर बताते हैं कि शुरुआत में अलग अलग जगह काम करने का मौका मिला लेकिन 2008 में जयपुर चिड़ियाघर में वन्यजीव चिकित्सक के तौर पर जब पोस्टिंग हुई तो उसके बाद लाइफ में कुछ अलग काम करने का मौका मिला. चिड़ियाघर के वन्यजीवों के साथ इस तरह से घुलमिल गए जैसे मानो वह उन्हीं के बीच के एक सदस्य हों.

Jaipur Wildlife Saviour Doctor
विदेश से ली है ट्रैंकुलाइज करने की ट्रेनिंग

सर्वाधिक लेपर्ड रेस्क्यू का रिकॉर्ड - डॉ. अरविन्द कुमार माथुर ने प्रदेश के कई जिलों में बाघ, बघेरे और भालू सहित कई खतरनाक वन्यजीवों के रेस्क्यू और इलाज कर नए रिकॉर्ड बना चुके हैं. माथुर बताते हैं कि वैसे तो उन्होंने 550 से ज्यादा वन्यजीवों को रेस्क्यू किया है , लेकिन हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम सर्वाधिक लेपर्ड को रेस्क्यू करने और उन्हें पुनर्वास करने के क्षेत्र में दर्ज किया गया है. बताया कि 10 मार्च 2008 से फरवरी 2023 तक राजस्थान के अलग-अलग जिलों में सर्वाधिक 66 लेपर्ड का रेस्क्यू कर चुके हैं, 59 लेपर्ड रेस्क्यू करने और लेपर्ड को सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के क्षेत्र में उन्हें यह अवार्ड दिया गया था.

पढ़ें-New Technology to Reduce Human Wildlife Conflict: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से रुकेगा मानव-वन्यजीव संघर्ष

राज्य स्तर पर हुए सम्मानित - डॉ माथुर बताते हैं कि वन्यजीवों को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन हर रेस्क्यू में रोमांच और एडवेंचर की तरह होता है. इस दौरान कभी वन्यजीव के हमले में तो कभी रेस्क्यू के दौरान घायल भी हो गए. माथुर जयपुर में लेपर्ड को रेस्क्यू करने के वक्त की अपनी घटना को याद करके बताते हैं कि जब वह झालाना के पास पैंथर को रेस्क्यू कर रहे थे तो उस समय अंधेरा था और अचानक कैमरे की फ्लैशलाइट से पैंथर ने इस कदर उन पर हमला किया की एक बार के लिए उन्हें लगा मानो आज तो जान ही गई , लेकिन सतर्कता से वह बच निकले. इस दौरान उनके हाथ पर पैंथर के हमले से जो घाव लगे उसमें 12 से अधिक टांके आए, इस हमले से भी माथुर का वन्यजीव संरक्षण का जज्बा कम नहीं हुआ. इसी काबिलियत एवं वन्य जीव संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के चलते उन्हें कई महत्वपूर्ण अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यस्तरीय सम्मान से 15 अगस्त 2011 को नवाजा था.

बीब
सर्वाधिक लेपर्ड रेस्क्यू का रिकॉर्ड

अंतर्राष्ट्रीय वन्य जीव प्रशिक्षण -अरविंद माथुर का नाम उन चंद डॉक्टर में शुमार है जिन्होंने विदेश में जाकर प्रशिक्षण लिया है . राज्य सरकार की ओर यूके (2011) और साउथ अफ्रीका (2019) में वन्य जीव चिकित्सा एवं ट्रेंकुलाइजर्स क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने भी भेजा गया था. डॉ. माथुर ने प्रदेश के रणथम्भौर, सरिस्का और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में करीब 30 से ज्यादा बाघों को ट्रेंक्यूलाइज कर उनका उपचार किया है, साथ ही कइयों को रेडियोकॉलर भी लगाए हैं. ऐसे ही अभी तक सर्वाधिक 50 से ज्यादा वन्यजीवों की सर्जरी भी की है. प्रदेश में 2003 में पहली बार अफ्रीकन लायन की मेजर सर्जरी हो, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लॉयन त्रिपुर के कोरोना होने पर उसका सफल इलाज हो या पार्क की शेरनी तेजिका के पेरेलेसिस होने पर सफल उपचार सभी डॉ. माथुर के नाम दर्ज है. वहीं जयपुर में पिछले 10 वर्षों से इंडियन वुल्फ का सफल प्रजनन एवं संरक्षण भी माथुर की निगरानी में हुआ.

वन्यजीव पर हमला नहीं करें-डॉक्टर अरविंद माथुर विश्व वन्य दिवस पर आम जनता से अपील करते हैं कि कोई भी व्यक्ति वन्य जीवों पर हमला न करे . उन्होंने कहा कि यह शर्मीले होते हैं, जब तक आप इनसे आप छेड़खानी नहीं करेंगे , तब तक यह आप पर हमला नहीं करते हैं. माथुर बताते हैं कि गर्मी के समय वन्यजीव जंगलों से बाहर भोजन-पानी की तलाश के चलते शहरी क्षेत्रों की ओर रुख करते हैं, जिससे लोगों और वन्यजीव दोनों को नुकसान होने का अंदेशा बना रहता है. खासतौर से पैंथर या अन्य वन्य जीव जो जंगल से कई बार आबादी वाले क्षेत्र में आ जाते हैं. लोग उन्हें कई बार घेर कर हमला करते हैं और जख्मी या जान से मार देते हैं , लेकिन आम जनता को उनके साथ इस तरह की क्रूरता का व्यवहार नहीं करना चाहिए. वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति आम लोगों में भी जागरूकता होनी चाहिए. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी ज्यादा जरूरत है.

आज विश्व वन्यजीव दिवस - विश्व में विलुप्त हो रहे वन्य जीवों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण के लिए 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस हर साल मनाया जाता है. इस दिन को मनाए जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से की गई थी , विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम " वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी " है. सर्वप्रथम इस दिन को 3 मार्च 2014 में मनाया गया था और आज तक मनाया जा रहा है. प्रदेश में भी वन्य जीव संरक्षण और उनके प्रति जागरूकता के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

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